आटे की महंगाई से परेशान होते आम आदमी को राहत देते हुए सरकार ने 15 साल में पहली बार गेहूं पर स्टॉक लिमिट लगाई थी, जिसका असर अब थोक मंडियों में दिखना शुरू हो गया है।
आटे की महंगाई से परेशान होते आम आदमी को राहत देते हुए सरकार ने 15 साल में पहली बार गेहूं पर स्टॉक लिमिट लगाई थी, जिसका असर अब थोक मंडियों में दिखना शुरू हो गया है। स्टॉक सीमा लगने से इसकी कीमतों में 100 से 150 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई है, जिसके अनुपात में आटा, मैदा एवं सूजी के दामों में भी नरमी दर्ज की जा रही है। स्टॉक सीमा फिलहाल 31 मार्च 2024 तक लागू रहेगी। इस बीच, सरकार ने खुला बाजार बिक्री योजना के तहत पहले चरण में केन्द्रीय पूल से थोक उपभोक्ताओं एवं व्यापारियों को 15 लाख टन गेहूं बेचने का भी फैसला किया है।
गेहूं में आ सकती और मंदी
खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने बताया कि स्टॉक सीमा लगने के बाद जयपुर मंडी में गेहूं मिल डिलीवरी के भाव 2250 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास रह गए हैं। एफसीआई के टेंडर किस भाव पर जारी होंगे, लेकिन अभी भविष्य के गर्त में है लेकिन, टेंडर यदि नीचे भावों पर जारी होते हैं, तो गेहूं में और मंदी आ सकती है। उल्लेखनीय है कि कुछ महीनों में गेहूं के भावों में तेजी दर्ज की गई थी। मंडी स्तर पर गेहूं की कीमतें करीब 8 फीसदी मजबूत हुई हैं। हालांकि, सरकार का गेहूं पर आयात शुल्क कम करने के बारे में फिलहाल बदलाव की कोई योजना नहीं है। क्योंकि, देश में गेहूं की कोई कमी नहीं है। गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध भी जारी रहेगा। परिणामस्वरूप गेहूं में और मंदी आने के संकेत हैं। गेहूं पर स्टॉक सीमा तय होने से आटा, मैदा एवं सूजी के भाव भी नीचे आने की संभावना बन गई है।

