मध्यप्रदेश के यह गेहूं बिकेंगे 3000 पार,चमक के कारण पूरे देश में बढ़ रही डिमांड, जानें पूरा कारण और इसकी वजह

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बेमौसम बारिश है ओलावृष्टि के कारण मध्यप्रदेश में गेहूं की चमक भले ही उनकी बड़ी हो किंतु इसकी डिमांड में कोई कमी नहीं हुई है। प्रदेश के गेहूं की डिमांड अब भी पूरे देश भर में है। यही कारण है कि हल्का चमकदार गेहूं भी ऊंचे भाव में बिक रहा है।तेजस एवं अन्य कुछ वैरायटी ओ को छोड़ दिया जाए तो बाकी की अन्य किस्मों का गेहूं समर्थन मूल्य से कहीं अधिक बिक रहा है। ऐसे में यह संभावना जताई जाने लगी है कि एमपी का चमकदार गेहूं 3000 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास बिकेगा आइए जानते हैं एमपी के गेहूं की विशेषताएं

वार्षिक संग्रहण के लिए गेहूं की खरीदी शुरू हुई

समर्थन मूल्य की खरीदी के साथ अब वार्षिक संग्रहण के लिए भी गेहूं की खरीदी शुरू हो चुकी है। आम लोग अच्छी क्वालिटी का रोटी (चपाती) बनाने के लिए उपयुक्त किस्म का गेहूं खरीदने लगे हैं। मार्केट में सबसे ज्यादा डिमांड लोक वन गेहूं की बताई जा रही है। इन वैरायटीयों के दाम अभी से तेजी लिया हुए हैं।प्रदेश की मशहूर गेहूं की किस्मों शरबती, चंदौसी की चमक ओलों और वर्षा ने चुरा ली है। इसके बावजूद हल्का चमक विहीन गेहूं मार्केट में 2500 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक के भाव में बिक रहा है। व्यापारी बताते हैं कि गेहूं-आटा के दाम बढ़ने लगे हैं और अच्छी गुणवत्ता के गेहूं इस साल महंगी कीमतों पर उपभोक्ताओं को खरीदने होंगे।

गेहूं की किस्मों के भाव बढ़े

कारोबारी और इंदौर दलाल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हीरालाल अगीवाल के अनुसार, 1 सप्ताह के बीच ही गेहूं के दामों में 100 से 200 रुपये का उछाल आ गया है। दामों में ज्यादा बढ़ोतरी अच्छी गुणवत्ता वाले गेहूं जो आम उपभोक्ता खरीदते हैं, उसमें हो रही है।चाहे वह लोकवन गेहूं हो, चंद्रौसी हो या पूर्णा किस्म का गेहूं। लोकवन गेहूं जो बारिश का दौर शुरू होने के पहले और नई फसल की शुरुआत में 2300 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा था अब फिर से 2600 रुपये हो गया है। उन्होंने कहा कि आगे और अधिक भाव बढ़ने की संभावना है।

एमपी का गेहूं पूरे देश में बिकता है, यह है विशेषताएं

मप्र में रबी के सीजन में पंजाब, हरियाणा जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों के मुकाबले कम सर्दी होती है, ऐसे में हमारे प्रदेश के गेहूं की चमक ज्यादा अच्छी होती है। इसी सुनहरे रंग के कारण मप्र का गेहूं अब पूरे देश में बिकने लगा। इस वर्ष गेहूं का उत्पादन तो ज्यादा है, लेकिन अब मार्च में आई बरसात मप्र के गेहूं की गुणवत्ता खराब कर रही है। पानी लगने से गेहूं का रंग और चमक फीकी पड़ जाती है।

प्रोटीन व ग्लूटोन के कारण पहली पसंद

जानकारों के अनुसार मालवा के गेहूं में मिठास के साथ प्रोटीन व ग्लूटोन की मात्रा अधिक होने के कारण श्रीलंका, दुबई, अरब देशों से लेकर अमेरिका, रूस तक मे पसंद किया जाता है। कांडला पोर्ट से करोड़ों रुपये का गेहूं विदेशों के लिये जहाज में लदान होता है। बीते दो सालों से कोरोना के कारण व्यापार कमजोर हो गया था।इस बार जबरदस्त मांग की आशा है। रानीसती फूड्स के डायरेक्टर लोकेश अग्रवाल के अनुसार, अच्छे गेहूं की कमी से आटा के दाम भी बढ़ने लगे हैं। मिलों ने अपनी आपूर्ति 2600 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम दाम से शुरू की है। पहले गेहूं का अच्छा उत्पादन देखकर उम्मीद थी कीमतें कम होंगी, लेकिन अब ऐसा नहीं लगता।

गेहूं 3000 रुपये क्विंटल से कम नहीं बिकेगा

मंडी के कारोबारियों के अनुसार, ताजा स्थिति से लग रहा है कि चंदौसी और अन्य अच्छी क्वालिटी का रोटी वाला गेहूं जो उपभोक्ता वार्षिक संग्रहण के लिए खरीदते हैं, वह इस सीजन में भी 3000 रुपये प्रति क्विंटल या उससे ज्यादा की कीमत पर ही मिलेगा।बीते वर्ष रूस-यूक्रेन युद्ध के दौर में वैश्विक अनाज संकट और भारत से बड़े निर्यात से दाम बढ़े थे। लेकिन इस वर्ष निर्यात बंद होने और अच्छी फसल होने के बाद भी बरसात के असर से गेहूं के दाम ऊंचे रहेंगे। पानी लगा गेहूं समर्थन मूल्य wheat price future 2023पर सरकारी खरीदी और आटा मिलों में अपेक्षाकृत कम दामों पर बिकेगा।

गेहूं की चमक ज्यादा फिकी नहीं पड़ी

कृषि विभाग इंदौर के उपसंचालक एसएस राजपूत ने कहा कि इंदौर उज्जैन एवं कुछ अन्य जिलों में जहां ओलावृष्टि नहीं हुई है वहां पर बारिश के कारण बेमौसम बारिश के कारण ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है गेहूं की चमक भी फीकी नहीं पड़ी एवं बरसात के पहले जो फसल पक चुकी थी, वह भी अच्छी है। ऐसे में गेहूं की गुणवत्ता ज्यादा खराब नहीं हुई है।

उज्जैन मंडी में मिलता है सभी प्रकार का गेहूं

पौष्टिक व गुणवत्तापूर्ण होने से मालवा का गेहूं व आटा देश के महानगरों के साथ अब निर्यात भी होने लगा है। करोड़ों का कारोबार के चलते व्यापारियों को तो मुनाफा मिलेगा ही, वहीं किसानों को भी अधिक भाव मिलेगा। उज्जैन मंडी में करीब 10 शार्टेक्स मशीनें हैं जहां पर गेहूं शार्टेक्स होकर चमक के साथ बोल्ड दाना बन जाता है।यहां के शरबती गेहूं के भाव काफी अकल्पनीय होते हैं। यह मंडी नीलामी में ही 4000 रुपये क्विंटल बिक जाता है। इस बार किसानों ने लोकवन, पूर्णा के अतिरिक्त पोषक मालव राज किस्म का गेहूं भी काफी बोया है जो कि दलिया, पास्ता, लापसी जैसे अनेक व्यंजन बनाने में काम आता है।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।