किसानों के लिए विकसित हुई प्याज की आधुनिक किस्म, प्रति हेक्टेयर मिलेंगी 42 टन की पैदावार 

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सफेद प्याज की यह भीमा शुभ्रा किस्म छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तमिलनाडु में खरीफ मौसम के लिए अनुमोदित की गयी है। महाराष्ट्र में पछेती खरीफ के लिए भी इसे अनुमोदित किया गया है।

देशभर में प्याज की कीमत हमेशा चर्चा का विषय रही है. जिसके चलते किसानों से लेकर रसोईया तक हर कोई प्याज का विकल्प तलाश रहा है. ऐसे में राज्य में इस संकट को दूर करने के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय प्याज की लोकप्रिय किस्म भीमा शुभ्रा को तैयार किया है। परियोजना से जुड़े कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक प्याज की पांच उन्नत किस्मों में से भीमा शुभ्रा प्याज की पैदावार छत्तीसगढ़ की जलवायु में अच्छी पाई गई है। खासकर खरीफ सीजन में इस प्याज की पैदावार लगभग 42 टन प्रति हेक्टेयर तक मिलती है। 

खरीफ में प्याज की खेती कम की जाती है, लेकिन इसके विपरीत कृषि विशेषज्ञों ने प्याज की फसल लगाई और सफल परिणाम मिले। इसी तरह अगर किसान इन इलाकों में प्याज की खेती करते हैं तो इससे प्याज का उत्पादन बढ़ेगा। जिससे प्रदेश में प्याज की कमी नहीं होगी. वहीं प्याज की यह किस्म का इस्तेमाल बेहतर उत्पादन के लिए किए जा रहा है।

क्या है भीमा शुभ्रा किस्म

सफेद प्याज की यह भीमा शुभ्रा किस्म छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तमिलनाडु में खरीफ मौसम के लिए अनुमोदित की गयी है। महाराष्ट्र में पछेती खरीफ के लिए भी इसे अनुमोदित किया गया है। खरीफ में यह 110-115 दिन और पछेती खरीफ में 120-130 दिन में यह पककर तैयार हो जाती है. मध्यम भण्डारण की यह किस्म मौसम के उतार-चढ़ाव के प्रति सहिष्णु है। खरीफ में 18-20 टन/है। और पछेती खरीफ में 36-42 टन/है. तक इसकी उपज प्राप्त की जा सकती है।

कैसे तैयार करें खेत

प्याज के सफल उत्पादन में भूमि की तैयारी का विशेष महत्व है. खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए. इसके बाद 2 से 3 जुताई कल्टीवेटर या हैरो से करें, प्रत्येक जुताई के बाद फावड़ा अवश्य चलाएं ताकि नमी बनी रहे और मिट्टी भी भुरभुरी हो जाए। जमीन की सतह से 15 सेमी ऊंचाई पर 1.2 मीटर चौड़ी पट्टी पर रोपण किया जाता है, इसलिए खेत को रेज्ड-बेड प्रणाली से तैयार करना चाहिए।

ऐसे करें बीजोपचार

नर्सरी में बीज बोने से पहले बीजों को बाविस्टिन से उपचारित करें. इसके लिए 2 ग्राम बाविस्टिन को 1 लीटर पानी में मिलाकर घोल तैयार करें और फिर इस तैयार मिश्रण से 1 किलोग्राम प्याज के बीज को उपचारित करें। इसके अलावा डैम्पिंग ऑफ और अन्य बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए 1 किलो बीज के लिए 8-10 ग्राम ट्राइकोडर्मा विराइड को 50 मिलीलीटर पानी में मिलाकर जैव कवकनाशी का उपयोग करें।

प्याज की उन्नत किस्में

कर्नाटक और तेलांगना नासिक लाल प्याज (एन-53), रॉयल सेलेक्शन प्याज, जेएससी नासिक लाल प्याज (एन-53), प्रेमा 178 प्याज

आंध्र प्रदेश नासिक लाल प्याज (एन-53), जेएससी नासिक लाल प्याज (एन-53), प्रेमा 178 प्याज, गुलमोहर प्याज

मध्य प्रदेश नासिक लाल प्याज (एन-53), गुलमोहर प्याज, लक्ष्मी प्याज के बीज डायमंड सुपर, रॉयल सेलेक्शन प्याज

महाराष्ट्र नासिक लाल प्याज (एन-53), गुलमोहर प्याज, जेएससी नासिक लाल प्याज (एन-53), रॉयल सेलेक्शन प्याज, लक्ष्मी प्याज के बीज डायमंड सुपर

उत्तर प्रदेश नासिक लाल प्याज (एन-53), रॉयल सेलेक्शन प्याज, जेएससी नासिक लाल प्याज (एन-53), प्रेमा 178 प्याज, गुलमोहर प्याज

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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।
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