कोटा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट ने अरहर की अरहर की नई प्रजाति विकसित की है. इस प्रजाति को कम पानी की जरूरत पड़ेगी, साथ ही कमाई अधिक हो सकेगी.
Arhar Ke beej: दलहन, तिलहन व अन्य फल और सब्जियों का उत्पादन कर देश के किसान अच्छा मुनाफा कर लेते हैं. बढ़ते प्रदूषण और खराब होती जलवायु का असर फसलों के उत्पादन पर पड़ा है. अच्छी खेती के लिए जरूरी है कि अच्छा बीज होना चाहिए. बीज से उत्पादकता बढ़ाने, कम सिंचाई हो और अन्य क्वालिटी से लेस बीज हो. इसको लेकर साइंटिस्ट लगातर उन्न्नत बीज विकसित करने के लिए रिसर्च करते रहते हैं. अब ऐसी ही रिसर्च वैज्ञानिकों की ओर से की गई. अरहर के उन्नत बीज से देश के किसान बंपर कमाई कर सकेंगे. नई प्रजाति के आने से किसान खुश हैं.
अरहर की नई प्रजाति एएल-882 विकसित
देश में बड़ी संख्या में किसान दलहन फसलों की बुवाई करते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कोटा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक अरहद की नई प्रजाति विकसित करने के लिए पिछले 2 सालों से नई प्रजाति विकसित करने में लगे हुए थे. अब साइंटिस्ट को सफलता हाथ लगी है. वैज्ञानिकों ने इरहर की नई प्रजाति एएल-882 विकसित की है. इस प्रजाति के दानों का वजन केवल 8 से 9 ग्राम ही है.
19 क्विंटल तक होगा उत्पादन
विशेष बात ये है कि अरहर के बीजों का वजन भी अधिक नहीं है. इनका वजन महज 8 से 9 ग्राम तक ही है. इस प्रजाति की खास बात ये है कि इसका उत्पादन 16 से 19 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकेगा. अधिक उत्पादन होने के कारण किसानों की इनकम भी बंपर होगी. वहीं, ये नई प्रजाति रोग प्रतिरोधक प्रजाति है. अरहर में होने ाला उखटा रोग नहीं हो सकेगा.
आईसीएआर ने दी मंजूरी
इस प्रजाति को इंडियन काउंसलि ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च ने मंजूरी दे दी है. किसान खेतों में इस प्रजाति के बीज का प्रयोग कर सकते हैं. इसके पौधों की बुवाई ऊंचाई 200 से 210 सेमी होती है. दानों का रंग भूरा रहता है. अधिक उपज के लिए पुष्प निकलने पर ही एनपीके घुलनशीन उर्वरक का नियमित मात्रा के आधार पर छिड़काव कर सकते हैं.

