Sahjan ki Kheti: देश के किसान अपनी कमाई बढ़ाने के लिए परंपरागत खेती के साथ-साथ बागवानी पर जोर देर रहे हैं। अगर आप भी खेती किसानी करते हैं और अपनी कमाई बढ़ाने के लिए कुछ नया करना चाहते हैं तो आप सहजन (Moringa) की खेती कर सकते हैं। इस पेड़ की खेती से पैसा बरसता है क्योंकि इसकी पत्तियां, बीज और तन समेत सब चीज बिक जाती है। इसकी खेती अन्य फसलों के साथ भी आसानी से की खेती की जा सकती है।
सुपर फूड भी Moringa
सहजन (Drumstick)को सुपर फूड्स भी कहा जाता है क्योंकि इसमें बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसमें बीटा-कैरोटीन, विटामिन सी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम और आयरन जैसे मैक्रोन्यूट्रिएंट पाए जाते हैं। 300 से अधिक बीमारियों को रोकने की क्षमता के कारण इसे ‘मिरैकल ट्री’ यानि ‘चमत्कारी पेड़’ के नाम से भी जाना जाता है. सहजन की बढ़ती मांग और औषधीय गुणों के कारण किसानों द्वारा इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है।
मोरिंगा की किस्में
आईसीएआर के मुताबिक, सहजन की फसल सालभर में सिर्फ एक बार और वह भी कुछ ही महीने के लिए मिलती है. इसकी वर्ष में 2 बार फसल देने वाली प्रजातियों में रोहित 1, धनराज, केएम 1, पीकेएम 2 और पीकेएम-1, ओडिसी और भाग्या शामिल हैं।
सहजन की खेती का तरीका
सहजन (Moringa) की खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में की जात सकती है लेकिन काली मिट्टी, लेटराईट मिट्टी, बलुई और बलुत दोमट मिट्टी जिसका पी.एच. 6.5 से 8.0 हो और उचित जल निकासी वाली मिट्टी ज्यादा बेहतर मानी जाती है. सहजन के पौधे बीज और कलम विधि तैयार किए जाते हैं. एक हेक्टेयर में पौधा लगाने के लिए 500-600 ग्राम बीज की जरूरत होती है. इन बीजों को पानी में 10-12 घंटे के लिए भिगोया जाता है जिससे पर्याप्त अंकुरण में बढ़ोतरी होती है. बुवाई से पहले बीचोपचार करना जरूरी है।सहजन के रोपण के समय 500 ग्राम सड़ी गोबर की खाद और 250 ग्राम नीम खली प्रति पौधा रोपते समय देना चाहिए. इसमें लगभग 75 दिन लगाने के बाद जब फूल आने लगे तो प्रति पौधा 44 ग्राम नाइट्रोजन देना चाहिए।
पौधा संरक्षण
सहजन में भुजा पिल्लू नामक कीट पत्तियों को खाते हैं और आसपास के पेड़ के ऊपर भी तेजी से फैलते हैं. इसके नियंत्रण के लिए कीट की नवजात अवस्था में कपड़ा धोने वाला पाउडर को घोलकर इसके ऊपर डालने से कीट का नियंत्रण हो जाता है। सहजन में जड़ गलन नामक बीमारी को रोकने के लिए ऊंची मेड़ पर पौधों का रोपण और अनावश्यक पदार्थ को हटा देना चाहिए. इसमें सफेद सुंडी का प्रकोप रोपणी अवस्था में होता है जो कि जड़ों को खाने की वजह से पौधा मर जाता है. इसकी रोकथाम के लिए प्रकाश जाल और क्लोरोपाइरीफोस का इस्तेमाल करें।
लाखों में होगी कमाई
सहजन पहले 3-4 साल में 20-30 किग्रा प्रति पेड़ और बाद में 40-50 किग्रा प्रति पेड़ उपज देता है। अगर किसान सहजन को 3×3 मीटर की दूसरी पर लगाते हैं तो प्रति वर्ष कम से कम 20-25 टन प्रति हेक्टेयर उपज मिल सकती है. जिससे वह 1 लाख से 1.50 लाख तक कमाई कर सकते हैं।
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