इन दिनों चना, मसूर, सरसों और गेहूं की कटाई के बाद किसानों के खेत खाली हो रहे हैं. अगली फसल धान की रोपाई के लिए अभी करीब 80 से 90 दिन का वक्त मिल रहा है. ऐसे में किसान कुछ दलहनी फसलें लेकर अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं. खास बात यह है कि दलहन की फसलों में लागत कम आती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है। कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के प्रभारी डॉक्टर एनसी त्रिपाठी ने बताया कि अगर किसान इन दिनों उड़द की फसल उगाएं, तो उनको बेहद कम लागत में अच्छा मुनाफा मिलेगा. इसके अलावा उड़द की खेती करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है. उड़द की जड़ों में राइजोबियम पाया जाता है, जो मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए भी बेहद ही फायदेमंद होता है. उड़द की फसल 85 से 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
बुआई के दौरान रखें विशेष ध्यान
उड़द की बुवाई करने के लिए सबसे पहले खेत में उचित नमी रखते हुए डिस्क हैरो से अच्छी तरह से जोत कर तैयार कर लें. खेत की अंतिम जुताई के वक्त 100 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) और 40 किलो पोटैशियम क्लोराइड प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में मिला दें. उसके बाद खेत को समतल कर लाइन से लाइन की दूरी 40 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 15 सेमी की रखते हुए बीज लगा दें. जरूरी है कि बीज लगाने से पहले बीज को शोध कर ही इस्तेमाल करें. 1 किलो बीज शोध करने के लिए 2.5 ग्राम कारबेंडाजिम का इस्तेमाल करें. बीज का शोधन करने से फसल में रोग नहीं लगेंगे और अच्छी गुणवत्ता की उपज तैयार होगी. ध्यान रखें कि एक एकड़ में 10 से 12 किलो बीज का इस्तेमाल करें।
अच्छे बीज का करें चुनाव
उड़द की बुवाई करते समय अच्छे किस्म के बीज का चुनाव करना बेहद जरूरी है. डॉ एनसी त्रिपाठी ने बताया कि अगर किसान कम समय में अच्छी उपज पाना चाहते हैं, तो वह PU-30, PU-31, PU-35 और PU-41 किस्म की उड़द की बुवाई करें. ध्यान यह भी रखें कि किसी विश्वसनीय कंपनी का ही बीज खरीदें।
सिंचाई का रखें खास ख्याल
डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि बुवाई के 25 से 30 दिन के बाद उड़द में सिंचाई कर दें, वहीं अगली सिंचाई 10 से 15 दिन के अंतराल पर फिर कर सकते हैं। ध्यान रखें कि खेत में पर्याप्त नमी रहते हुए अगर निराई गुड़ाई कर दें, तो खरपतवार नहीं आएंगे और मिट्टी में वायु संचार होगा. जिससे उड़द की फसल अच्छी होगी।
कम समय में मिलेगा अच्छा मुनाफा
उड़द की फसल 85 से 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है। ऐसे में किसान खेत में ही उड़द की फलियों को तोड़कर अलग कर लें। बाद में उड़द के पौधों को खेत में ही जोत कर मिट्टी में मिला दें. जिससे मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ेगी। धान की अगली फसल में कम उर्वरकों का इस्तेमाल करना होगा।
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