सिर्फ 20,000 रुपये के निवेश में होगी लाखों की कमाई, इस तरीके से करें पाइनएप्पल की खेती

5 Min Read
खबर शेयर करें

पाइनएप्पल की खेती : किसान इसकी खेती के साथ-साथ इसके प्रोसेस्ड उत्पाद बनाकर बाजार में बेचते हैं, जिससे फसल उत्पादन की लागत कम और दोगुना आमदनी हो जाती है भारत में ज्यादातर किसानों ने पारंपरिक खेती की जगह फल और सब्जियों (Fruit & Vegetable Farming) की तरफ रुख किया है. ये ऐसी फसलें हैं, जिनकी एक बार बुवाई या रोपाई करने पर कई सालों तक मोटी कमाई होती रहती है. अनानास की खेती (Pineapple Farming) भी इन्हीं फलों में से एक है. ये एक कैक्टस प्रजाति (Cactus Variety) का सदाबहार फल है, जिसकी खेती किसी भी महीने में कर सकते हैं, लेकिन बेहतर उत्पादन (Pineapple Production) लेने के लिये मई-जुलाई तक इसकी रोपाई करने की सलाह दी जाती है. आज भारत में करीब  92,000 हेक्टेयर पर अनानास की खेती हो रही है, जिससे हर साल 14 लाख 96 हजार टन की उपज मिलती है.  

किन राज्यों में उगायें अनानास (Pineapple Farming in India)
भारत के ज्यादातर इलाकों में अनानास की खेती मुख्य फसल के रूप में की जाती है. इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, केरल, त्रिपुरा, मिजोरम, पश्चिम बंगाल और असम आदि शामिल है, यहां उगाये गये अनानास का स्वाद पूरी दुनिया चखती है. वहीं उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और बिहार के कुछ किसान अब बेहतर आमदनी की तलाश में अनानास की खेती की तरफ रुख कर रहे हैं. 

  • इसकी खेती के लिये जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी या रेतीली दोमट मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है.
  • अनानास की रोपाई के समय बारिश और नमी का वातावरण होना चाहिये, क्योंकि अनानास को बढ़ने के लिये भरपूर पानी की जरूरत होती है.
  • कई गर्म इलाकों में नमी होने पर भी अनानास की खेती से अच्छे फलों का उत्पादन ले सकते हैं.
  • भारत में दो बार अनानास की रोपाई की जाती है, जिसमें पहले रोपाई जनवरी से मार्च के बीच और दूसरी मई से जुलाई के बीच की जाती है.
  • भारत में अनानास की रेड स्पैनिशइस प्रजाति सबसे ज्यादा फेमस है, क्योंकि इसकी फसल में कीड़े और बीमारियों की संभावना कम ही होती है.

ऐसे करें अनानास की खेती (How to Grow Pineapple) 
अनानास की खेती करने के लिये सबसे पहले खेतों को तैयार करना बेहद जरूरी है.

  • अनानास की बुवाई के लिये खेत में गहरी जुताईयां लगाकर सौरीकरण होने दें.
  • इसके बाद मिट्टी में गोबर की सड़ी खाद या कंपोस्ट खाद मिलाकर आखिरी जुताई का काम कर लें.
  • बता दें कि अनानास की खेती के लिये कोई बीज नहीं होता, बल्कि इसके फल के ऊपरी हिस्से यानी अनानास के ताज की रोपाई की जाती है, जिसे पायनेपल स्लीप या सकर भी कहते हैं.
  • ध्यान रखें कि रोपाई से पहले इस ताज को 0.2 प्रतिशत डाईथेन एम 45 नाम की दवाई के घोल में भिगोकर साफ कर लें. 
  • घोल से निकालने के बाद खेत में 25 सेंटीमीटर की दूरी पर हर सकर की रोपाई का कम कर लें.
  • मानसून या बारिश होने पर अनानास की रोपाई का काम नहीं करना चाहिये.
  • समय-समय पर फसल में निराई-गुड़ाई करते रहें, जिससे खरपतवारों का प्रकोप न रहे.
  • फसल में कीट-रोग प्रबंधन का काम भी करते रहें, इसके लिये जैविक साधनों का ही प्रयोग करें.

लागत और कमाई (Expenses & Income through Pineapple Farming)
भारत के साथ-साथ विदेशों में भी अनानास (Pineapple) की काफी मांग रहती है. भारत खुद तो अनानास का बड़ा उत्पादक (Pineapple Producer)  है ही, साथ ही दूसरे देशों में इसका निर्यात (Pineapple Export)  भी होता है. कई किसान इसकी खेती के साथ-साथ इसके प्रोसेस्ड फूड(Pineapple Processing)  बनाकर बाजार में बेचते हैं, इसलिये इसकी खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक हेक्टेयर खेत में अनानास की खेती करने के लिये करीब  16 से 17 हजार पौधों की रोपाई की जाती है, जिससे करीब 3 से 4 टन अनानास के फलों का उत्पादन मिलता है. इसकी रोपाई में शुरुआती लागत 20,000 रुपये तक आती है, वहीं पहली उपज की बिक्री से लाखों की आमदनी हो सकती है. अनानास का एक ही फसल करीब 2 किलो का होता है, जो बाजार में 150-200 रुपये की कीमत पर बेचा जाता है. 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. kisan yojana किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

source by – abplive


खबर शेयर करें
Share This Article
Follow:
नमस्ते! मैं कपिल पाटीदार हूँ। सात साल से मैंने खेती बाड़ी के क्षेत्र में अपनी मेहनत और अनुभव से जगह बनाई है। मेरे लेखों के माध्यम से, मैं खेती से जुड़ी नवीनतम तकनीकों, विशेषज्ञ नुस्खों, और अनुभवों को साझा करता हूँ। मेरा लक्ष्य है किसान समुदाय को सही दिशा में ले जाना और उन्हें बेहतर उत्पादकता के रास्ते सिखाना।
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *