Kisan News: किसान रबड़ की खेती कर 40 सालों तक लगातार कमा सकते हैं लाखों का मुनाफा, हमेशा रहती है इसकी डिमांड

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हम जानते हैं की आज की दिनचर्या में रबड़ एक आवश्यक संसाधन बन चुका है आज हम कहीं सारी रबड़ से बनी हुई चीजों का इस्तेमाल रोज करते हैं। दुनिया में 78% रबड़ का इस्तेमाल टायर और ट्यूब बनाने में होता है, रबड़ का इस्तेमाल कर सोल, टायर, रेफ्रिजरेटर, इंजन की सील के अलावा, गेंद बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।हम देखते हैं कि आजकल हर चीज में कहीं ना कहीं रबड़ का इस्तेमाल होता है । रबड़ के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए रबड़ की खेती के लिए भी किसान आगे बढ़ रहे हैं , इसकी खेती किसानों को बड़ा मुनाफा मिल रहा है।

भारत में रबड़ की खेती

भारत रबड़ का चौथा बड़ा उत्पादक देश है ,इसकी खेती के लिए खेती के लिए लेटेराइट युक्त गहरी लाल दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है, भारत मे केंद्र और राज्य सरकार किसानों को रबड़ की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है , इसमें कम लागत में कई गुना ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए किसान बड़ी संख्या में इस पेड़ की खेती में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। भारत में रबड़ का उत्पादन विशेषकर केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में होता है। केरल, देश का सबसे बड़ा रबड़ उत्पादक राज्य है। इसके अलावा पूर्वोत्तर में असोम और त्रिपुरा में भी रबड़ की खेती होती है। प्राकृतिक रूप से रबड़ के वृक्ष भूमध्य रेखीय सदाबहार वनों में पाए जाते हैं।

रबड़ की खेती कैसे करे

रबड़ की खेती करने के लिए अनुकूल जलवाय

रबड़ की खेती करने के लिए 25 से 30 डिग्री का तापमान उपयुक्त होती हैं और 150 से 200 सेंटीमीटर की वर्षा रबड़ की खेती करने के लिए उपयुक्त होती हैं।

उपयुक्त मिट्टी ,रोपण समय व रोपण विधि

रबड़ की खेती के लिए लेटेराइट युक्त गहरी लाल दोमट मिट्टी उपयुक्त है,इस मिट्टी का PH मान 4.5-6.0 के बीच होना जरूरी है। इसके पौधे की रोपाई के लिए जुलाई का महीना सही माना जाता है। रबड़ पौधे की रोपाई के लिए जुलाई का महीना सही माना जाता है।रबड़ का पेड़ लगाने के लिए पहले खेत की गहरी जुताई कर खेत को समतल करे। खेत में 3 मीटर की दूरी रखते हुए एक फीट चौड़े और एक फीट गहरे गड्ढे तैयार कर इसमें रबड़ का पौधे लगाए। इसके अलावा जैविक खाद गड्ढे में लगाकर मिट्टी से ढक दें। रबड़ के पेड़ के अच्छे विकास के लिए लगातार सिंचाई की आवश्यकता होती है।

रबड़ कैसे बनता है

रबड़ को बनाने के लिए उसके वृक्ष के तनो में छेद कर पेड़ से निकलने वाले दूध (लेटेक्स) को एकत्रित कर लिया जाता है।
इसके बाद इस लेटेक्स का केमिकल्स के साथ परीक्षण करते है, ताकि अच्छी गुणवत्ता वाला रबड़ प्राप्त हो सके।
इसके बाद लेटेक्स को गाढ़ा होने के लिए छोड़ देते है, लेटेक्स में मौजूद पानी के सूख जाने पर केवल रबड़ ही रह जाता है।
लेटेक्स पानी से भी हल्का होता है, जिसमे रबड़ के अलावा शर्करा, प्रोटीन, रेज़िन, खनिज लवण और एंजाइम्स पाया जाता है।
रबड़ में इतना लचीला पन पाया जाता है, जिससे यह अपने आकार से 8 गुना तक लंबा हो सकता है, इसी गुण की वजह से रबड़ के जूते, गेंद और गुब्बारे जैसी चीजों को बनाया जाता है।
रबड़ बिजली का कुचालक होता है, जिस वजह से इसे विद्युत उपकरणों में इस्तेमाल करते है।

रबड़ से 40 साल तक बंपर मुनाफा

रबड़ का पेड़ 5 वर्ष का होने के बाद उत्पादन देना शुरू कर देता है वह यह 40 वर्षों तक रबड़ का उत्पादन करता है ।एक एकड़ के खेत में 150 पौधे लगाए जा सकते है,एक पेड़ से साल भर में 2.75 किलो का रबड़ उत्पादन मिलता है। इस रबड़ को कई कंपनियां अच्छे दाम पर खरीदती है इससे किसान 40 साल तक लगातार बंपर मुनाफा कमा सकते हैं।

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