kisan News: किसानों को अब कम पानी में चना की बंपर पैदावार देने के लिए नई किस्म तैयार कर दी गई है।इस किस्म की खेती से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, दक्षिणी राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में चने की उत्पादकता बढ़ जाएगा। सरकार के अनुसंधान समूह, आईसीएआर और आईएआरआई ने ‘पूसा जेजी 16’ नाम से काबुली चने की एक किस्म को विकसित किया है। ‘पूसा जेजी 16’ की खासियत है कि इसे कम सिंचाई की जरूरत पड़ती है। यानी इस किस्म की खेती सूखे इलाकों में की जा सकती है। ऐसे में कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस किस्म की खेती करने से मध्य भारत में चने की पैदावार बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
Kisan News: चना की नई किस्म हुई लॉन्च, बिना पानी के भी लहराएगी फसल और देगी बंपर पैदावार
Kisan News: पूसा जेजी 16 किस्म बनाने के लिए जीनोम-सहायता प्राप्त प्रजनन तकनीकों का उपयोग किया गया है। इसने ICC 4958 से सूखा-प्रतिरोधी जीन को मूल किस्म, JG 16 में ट्रांसफर करना संभव बना दिया। काबुली चना अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान कार्यक्रम ने राष्ट्रीय स्तर पर इस किस्म का परीक्षण किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह सूखे का सामना कर सके।
Kisan News: जानकारों के मुताबिक, इस किस्म की खेती से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, दक्षिणी राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में चने की उत्पादकता बढ़ जाएगी. साथ ही यह किस्म फ्यूजेरियम विल्ट और स्टंट रोगों के लिए प्रतिरोधी भी है। यह किस्म 110 दिन से भी कम समय में पक कर तैयार हो जाती है और अपने मूल जेजी 16 से अधिक उत्पादन कर सकती है। यहां तक कि सूखे से प्रभावित होने पर भी (1.3 टन/हेक्टेयर बनाम 2 टन/ हेक्टेयर) उपज मिल सकती है। कृषि मंत्रालय ने काबुली की किस्म ‘पूसा जेजी 16’ की घोषणा की, जिससे आईसीएआर-आईएआरआई के प्रमुख ए.के. सिंह खुश हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह किस्म देश के मध्य क्षेत्र में किसानों के लिए एक बड़ी मदद होगी, जहां सूखा आम है।
फसलों की बर्बादी भी कम होगी
किसान समाचार: बता दें कि पिछले महीन भी वैज्ञानिकों ने ‘जवाहर चना 24’ नाम से चने की एक नई किस्म विकसित की थी. जवाहर चना 24 के झाड़ को हार्वेस्टर मशीन के माध्यम से भी काटा जा सकता हैं। ऐसे में किसानों को अब इसकी कटाई की टेंशन भी नहीं रही। पहले जहां चने की कटाई करने में किसानों को एक दिन लग जाता था। वहीं, अब इस नई किस्म के चने को कुछ ही घंटे में हार्वेस्टर मशीन के द्वारा काटा जा सकता है। ऐसे में किसानों को मजदूरों पर होने वाले खर्च से भी राहत मिलेगी. साथ ही फसलों की बर्बादी भी कम होगी।
Source By – TV9 भारतवर्ष