आलू को समर्थन मूल्य में लाने की मांग, अच्छे भाव नहीं मिलने पर उदास किसान ने सड़क पर फेंके 25 क्विंटल आलू

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बेगूसराय में किसानों ने नेशनल हाईवे पर आलू फेंककर प्रदर्शन किया। किसानों का कहना है कि हमें आलू के 4 रुपए प्रति किलो भी दाम नहीं मिल पा रहे हैं। इससे हमारा मंडी में लेकर जाने का भाड़ा भी नहीं निकल पाएगा। ऐसी स्थिति में हम क्या करें। गुरुवार को किसानों ने NH 28 पर आलू फेंककर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। पूरा मामला बछवाड़ा प्रखंड क्षेत्र का है।

दरअसल, जिले में इस बार आलू की पैदावार काफी अच्छी हुई है, लेकिन किसानों को आलू की खेती में जो लागत मूल्य है, वह ब्रिकी के बाद भी नहीं मिल पा रहा है। किसानों को 4 रुपए प्रति किलो में भी खरीदार नहीं मिल रहा है। कोल्ड स्टोरेज में भी रखने की जगह नहीं मिल पा रही है।किसानों ने नेशनल हाईवे पर करीब 25 क्विंटल आलू फेंककर विरोध प्रदर्शन किया। बछवाड़ा प्रखंड क्षेत्र के रानी एक पंचायत के झमटिया ढ़ाला चौक के पास किसानों ने जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शन के दौरान किसानों ने केन्द्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बताया कि अगर यही स्थिति बनी रही तो अगले साल से किसान आलू की खेती छोड़ने को विवश हो जाएंगे। आलू की फसल इस बार किसानों की कमर तोड़ रही। उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण किसानों के माथे पर चिंता की लकीर है। किसान आलू की पक्की फसल की खुदाई में लगे हैं। पर उनके समझ में नहीं आ रहा है कि कम रेट से कैसे उबरा जाएगा।वहीं, किसानों ने मांग की है कि आलू को एमएसपी के दायरे में लाया जाए। ताकि किसानों को उनकी फसल का उचित और लागत मूल्य मिल सके। नहीं तो सरकारें आती रहेगी जाती रहेगी और किसान का हाल यही बना रहेगा।

अलग-अलग जिलों में अलग है कीमत

बेगूसराय की मंडी में आलू 6 रुपए बिक रहा। वहीं दुकानदार 10 रुपये प्रति किलो बेच रहे। जिले से सटे समस्तीपुर में किसान ₹3 से 4 रुपए प्रति केजी बेच रहे। वहीं, दुकान में ग्राहकों को 10 रुपए आलू मिल रहा। कटिहार जिले में किसान आलू 3.5 से 4 रुपए में मिल रहा। तो बाजार में खुदरा मूल्य 6 रुपये प्रति किलो मिल रहा। आरा में किसान 7 रुपए प्रति किलो बेच रहे। जबकि दुकान में 12 रुपये तक खुदरा में आलू बिक रहा।

वैशाली की मंडी में 7 रूपए प्रति किलो और खुदरा 10 रूपए प्रति किलो बिक रहा है। सीतामढ़ी की मंडी में 3 रुपए प्रति किलो किसान बेच रहे। जबकि 7 से 10 तक खुदरा बिक रहा है।वहीं, उक्त जिलों में किसानों के पास लागत मूल्य और इसके खुदाई में लगी मजदूरी ऊपर करने के लिए किसान कम कीमत पर आलू बेचने को विवश है। कमोवेश सभी जगह कोल्ड स्टोर में जगह कम पड़ रही। आलू को सही तरीक से स्टोर नहीं कर पाने के कारण इसके सड़ने की समस्या से किसान जूझ रहे हैं।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।