Kisan News: सोयाबीन की फसल में इल्ली पहुंचाती है अधिक नुकसान, इससे बचाव के उपाय देखें

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Soybean ki fasal : सोयाबीन की फसल को तना मक्खी 40%, गर्डल बीटल 58%, सफेद मक्खी 80% सेमीलूपर 46% और सबसे अधिक 95% नुकसान चने की इल्ली पहुंचाती है। सोयाबीन की फसल इन किट रोगों से सुरक्षित रही तो निश्चित तौर पर बंपर पैदावार होगी। सोयाबीन की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने वाले इन गेट कीट एवं इल्लियों की पहचान कैसे करें एवं इनसे फसल को बचाने के लिए कौन-कौन से उपाय करें आइए सब कुछ जानते हैं…

सोयाबीन की फसल में कीटों का प्रबंधन आवश्यक


आरएके कृषि महाविद्यालय, सीहोर के पूर्व कीट विज्ञानी डॉ. कृष्ण कुमार नेमा ने सोयाबीन की फसल में कीटों को नियंत्रित करने की विभिन्न विधियों का जिक्र करते हुए कहा कि सोयाबीन की फसल Soybean ki fasal में कीटों का प्रबंधन आवश्यक है, क्योंकि यह आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने एकीकृत पीड़क प्रबंधन के तहत कहा कि कीट और पीड़क में फर्क है। हर कीट पीड़क नहीं होता। सोयाबीन फसल में कीट के नुकसान के आधार पर पती/ फूल / जड़ों को कुतरने वाले, तने और फलों को खोखला करने वाले या सुरंग बनाने वाले और रस चूसने वाले कीट होते हैं।

कीट प्रबंधन की विधियों में निगरानी जरुरी

Soybean ki fasal सोयाबीन में एकीकृत समेकित कीट प्रबंधन जरूरी है, क्योंकि इन कीटों से सोयाबीन फसल में करीब 17 हजार करोड़ रुपये तक का नुकसान होता है। तना मक्खी 40%, गर्डल बीटल 58%, सफेद मक्खी 80% सेमीलूपर 46% और चने की इली 95% नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखते है। इसलिए कीट प्रबंधन की विधियों में निगरानी कृषिगत क्रियाएं, यांत्रिक और भौतिक के तहत प्रकाश प्रपंच, टी खूंटी, फेरोमेन ट्रैप चिपचिपे प्रपंच पर अधिक जोर देना चाहिए।जैविक सोयाबीन में एनपीव्ही 250 इल्ली समतुल्य, बीटी 1 किग्रा/हे. और बुवेरिया बेसियाना 1 लीटर /हे. इस्तेमाल करने की सलाह दी। साथ ही कहा कि व्यूवेरिया उच्च तापमान और ह्यूमिनिटी होने पर ही अच्छा परिणाम देती है। एनपीव्ही, व्यूवेरिया बड़ी इलियों पर अपेक्षाकृत कम कारगर होते हैं। Soybean ki fasal

इल्ली एवं कीट नियंत्रण के उपाय

Soybean ki fasal में भूमिगत कीट सफेद लट (व्हाइट ग्रब) के नियंत्रण के लिए व्यूवेरिया बेसियाना 1 लीटर / हे अथवा क्लोरोपायरीफॉस 2% @ 16 किग्रा / है. डालने की सलाह दी और कहा कि नमी के अलावा दो कतारों के बीच गुड़ाई करना भी आवश्यक है।पत्ती भक्षक इल्ली, तम्बाकू की इल्ली, चने की इल्ली और अर्ध कुंडलक इल्ली, रोमिल इल्लियों की पहचान के बाद सावधानी पूर्वक अनुशंसित कीटनाशक का प्रयोग करके उनका निदान करना चाहिए। इसी तरह तना छेदक मक्खी, चक्र भृंग और रस चूसक कीटों, गर्डल बीटल के साथ इल्लियों का प्रकोप होने पर उचित कीटनाशक / मिश्रित कीटनाशक का सावधानीपूर्वक उपयोग करना चाहिए।

दवाइयों के इस्तेमाल के समय यह सावधानी जरूर रखें

कृषि वैज्ञानिक डॉ. नेमा के मुताबिक किसानों को अनुमोदित कीटनाशक खरीदकर उसकी अनुशंसित मात्रा और निर्धारित पानी की मात्रा का ही प्रयोग करना चाहिए।
किसानों को खास तौर पर इस बात का अधिक ध्यान देना चाहिए कि कम मात्रा का प्रयोग करने पर कीटों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
अधिक मात्रा से पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ता है।इसके अलावा छिड़काव करने के 3-4 घंटे तक वर्षा नहीं होना चाहिये।
वर्षा ऋतु में विशेष तौर से कीटनाशक के साथ चिपकू का प्रयोग करें।
सभी सावधानियों के साथ मुंह ढंककर ही छिड़काव करें।
इसके अलावा चिकनी पत्ती वाली फसलें जैसे मक्का, ज्वार, पत्ता गोभी फूलगोभी आदि पर कीटनाशक के साथ 1 ग्राम / मिली चिपक का प्रयोग करने को कहा। इसके लिए सस्ता डिटर्जेंट 1 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव भी कर सकते हैं छिड़काव तब करें जब पत्तियों पर पानी कम हो प्रातः 10 बजे के बाद या शाम के समय छिड़काव करना ठीक रहता है।
Soybean ki fasal में एनपीव्ही का छिड़काव ज्यादा धूप में न करें, क्योंकि तब पराबैंगनी किरणों से इसकी गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
हर सीजन में स्प्रेयर के नोजल को बदलें वर्षा काल में पानी को इस्तेमाल करें, क्योंकि इन दिनों पानी गंदा रहता है। गंदे पानी में मौजूद मिट्टी के सूक्ष्म कण के घर्षण से नोजल पत्ती (रिवल प्लेट) छानकर का छेद बड़ा हो जाता है, जिससे दवाई की मात्रा ज्यादा जाती है, पानी भी ज्यादा लगता है।
खरपतवार के लिए फ्लैट फैन नोजल और कीटनाशको के लिए कोन नोज़ल इस्तेमाल करना चाहिए।

सोयाबीन की विभिन्न अवस्था के दौरान अनुशंसित कीटनाशक

Soybean ki fasal की प्रारंभिक अवस्था में कीट प्रकोप ब्लू वीटल, तना मक्खी, सफेद मक्खी, अलसी की इल्ली

कीटनाशक : – क्विनालफॉस 25 ईसी मात्रा 15 मि.ली/ हेक्टेयर

थायोमिथोक्सम 30 एफएस मात्रा 10 मि.ली. / कि.ग्रा. सीड
इमिडाक्लोप्रिड 45 एफएस मात्रा 1.25 मि.ली./कि.ग्रा. सोड
क्लोरएंट्रानिलिप्रोल 18.5 एससी (कोराजन) मात्रा 150 मि.ली./हेक्टेयर
बीटासायफ्लूचिन 8.49-इमिडाक्लोप्रिड 19.81 मात्रा 350 मिली. / हेक्टेयर
थायोमिथोक्सम 12.6+ लेम्ब्डासायहेलोथ्रिन 9.5. मात्रा 125 मि.ली. / हेक्टेयर

Soybean ki fasal में बाद के अवस्था (35-40 दिन) पर

तना मक्खी, सफेद मक्खी

थायमिथोक्सम 12.6+ लेम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 9.5
(अलीका) 125 मि.ली./हेक्टर
बीटासायफ्लूथिन 8.49 इमिडाक्लोप्रिड 19.81
(सोलोमोन) 125 मिली / हेक्टेयर
Soybean ki fasal में केवल गर्डल बीटल का प्रकोप

थायक्लोप्रिड 21.7 एससी मात्रा 650 मिली/ हेक्टेयर
प्रोफेनोफॉस 50 ईसी मात्रा 1000 मिली/हेक्टेयर
टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एससी (बायगो) मात्रा 250-300 मिली/हेक्टेयर।
Soybean ki fasal में गर्डलबीटल के साथ इल्लियों का प्रकोप

लेम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 9.5% थायमिथोक्स 12.6% 125 मिली/हेक्टेयर।
लेम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.6% क्लोरएंट्रानिलिप्रोल 9.3%200 मिली/ हेक्टेयर।
बीटासायफ्लूचिन 8.49% + इमिडाक्लोप्रिड 19.81% 350 मिली/हेक्टेयर।
इमामेक्टिन बेन्जोएट 1.9 ईसी 450 मिली / हेक्टेयर।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।