सोयाबीन की अच्छी पैदावार के लिए किसान इस प्रकार करें रोगों का नियंत्रण, देखें सबसे अच्छे उपाय

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खरीफ सीजन में यदि तिलहन फसलों की बात कि जाए तो सोयाबीन सबसे मुख्य फसल है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की मानें तो इस वर्ष सोयाबीन के बुआई रकबे में वृद्धि दर्ज की गई है। 18 अगस्त 2023 तक देश में किसानों ने 124.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की फसल लगाई है। जो कि पिछले वर्ष की इसी अवधि में लगाए गए क्षेत्र से 0.61 फीसदी अधिक है। ऐसे में किसान सोयाबीन की फसल से अधिक पैदावार प्राप्त कर सकें इसके लिए सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर द्वारा किसानों के लिए साप्ताहिक सलाह जारी की गई है।

सोयाबीन की फसल लगभग 45-60 दिनों की हो गई है, इस स्थिति में फूल आने एवं फलियों में दाने भरना शुरू हो जाते हैं ऐसे में किसान किस तरह सोयाबीन की फसल का प्रबंधन करें, इसके लिए सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने विस्तृत जानकारी दी है।

किसान इस तरह बचाएं सोयाबीन को सूखे से

इस वर्ष अगस्त महीना लगभग बीत जाने के बाद भी कई क्षेत्रों में सामान्य से बहुत कम बारिश हुई है। ऐसे में सूखे से बचाने के लिए सलाह दी गई है कि जिन किसानों के पास सिंचाई की व्यवस्था है, अधिक समय तक बारिश की प्रतीक्षा करने के स्थान पर भूमि में दरारे पड़ने से पूर्व ही फसल में सिंचाई करें। साथ ही नमी संरक्षण के वैकल्पिक उपाय जैसे भूसे (5 टन/हेक्टेयर) की पलवार लगाये।

ऐसे किसान जो आगामी वर्ष के लिए उपयोगी सोयाबीन बीज का बीजोत्पादन कर रहे हैं, शुद्धता बनाये रखने के लिए फूलों के रंग एवं पौधों/पत्तियों/तने पर पाए जाने वाले रोये के अधर पर भिन्न किस्मों के पौधों को अपने खेत से उखाड़कर बहार करें।

जहाँ पर कम समयावधि में पकने वाली किस्में लगी हैं , वहाँ किसानों को सलाह दी गई है कि चूहे द्वारा फलियों के अंदर दाने खाने से होने वाले नुकसान से बचाने हेतु प्रबंधन के उपाय अपनाये। इसके लिए फ्लोकोउमाफेन 0.005% रसायन से बने प्रति हेक्टेयर 15 से 20 बेट/हे. बनाकर चूहों के छेदों के पास रखें।

इस तरह करें सोयाबीन फसल में रोग का नियंत्रण

किसानों को सलाह दी गई है कि फफूंदजनित रोगों के प्रकोप से सुरक्षा हेतु अपनी फसल पर सुरक्षात्मक रूप से टेबुकोनाजोल 25.9 ई.सी. (625 मिली/हे) या टेबुकोनाझोल 10% + सल्फर 65 % WG (1250 ग्राम/हे) या कार्बनडाजिम + मेन्कोजेब 63% WP (1250 ग्राम/हे) या पिकोक्सीस्ट्रोबिन 22.52% w/w SC (400 मिली/हे) या फ्लुक्सापयोक्साड 167 g/l + पायरोक्लोस्ट्रोबीन 333 g/l SC (300 ग्राम/हे) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 133 g/l + इपिक्साकोनाजोल 50 g/l SE (750 मिली/हे) में से किसी एक अनुशंसित फफूंदनाशकों का तुरंत छिडकाव करें। इससे एंथ्राक्रोज, राइजोक्टोनिया एरियल ब्लाईट जैसे फफूंदजनित रोगों का नियंत्रण हो सकेगा।

पीला मोजेक/ सोयाबीन मोजैक रोग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाडकर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फैलाने वाले वाहक सफेद मक्खी की रोकथाम हेतु एसिटेमीप्रीड 25% या बायफेंथ्रिन 25% WG (250 ग्रा./हे) का छिडकाव करें। इसके स्थान पर पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (125 मिली/हे) या बीटासायफलुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे) छिड़काव किया जा सकता हैं इनके छिडकाव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है।

इस तरह करें सोयाबीन में लगने वाली इल्लियों का नियंत्रण
चक्र भृंग के नियंत्रण हेतु सलाह हैं कि प्रारंभिक अवस्था में ही आइसोसायक्लोसरम 9.2% W/W.DC (10% W/V) DC (600 मिली./हे.) या एसीटेमीप्रिड 25% + बायफेंथ्रिन 25% WG (250 ग्राम/हे.) या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250 – 300 मिली/हे.) या थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी.(750 मिली./हे.) या प्रोफेनोफाँस 50 ई.सी. (1 ली./हे.) या इमामेकटीन बेंजोएट (425 मिली/हे.) या क्लोरएंट्रानिलिप्रोल 18.50% SC का छिड़काव करें। यह भी सलाह दी जाती है कि इसके फैलाव की रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट कर दें।

बिहार हेयरी कैटरपिलर का प्रकोप होने पर किसानों को सलाह है कि प्रारंभिक अवस्था में झुण्ड में रहने वाली इन इल्लियों को पौधे सहित खेत से निष्कासित करें एवं इसके नियंत्रण हेतु फसल पर लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 04.90 सी.एस. (300 मिली/हे.) या इंडोक्साकार्व 15.8 एस.सी. (333 मिली/हे.) का छिड़काव करें।

तीनों प्रकार की इल्लियाँ हो वहाँ क्या करें?

जहां पर तीनों प्रकार की पत्ती खाने वाली इल्लियाँ हो, इनके एक साथ नियंत्रण के लिए निम्नलिखित में से किसी भी एक रसायन का छिड़काव करें:-

एसीटेमीप्रिड 25% + बायफेंथ्रिन 25% WG (250 ग्राम/हे.) या
ब्रोफ्लानिलाइड 300 एस.सी. (42 – 62 ग्राम/ली.) या
फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी. (150 मि.ली.) या
इंडोक्साकार्ब 15.8 एस.सी. (333 मि.ली./हे.) या
टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250–300 मिली/हे.) या
नोवाल्युरोन + इंडोक्साकार्ब 4.50% एस.सी. (825–875 मिली./हे.) या
स्पायनेटोरम 11.7 एस. सी (450 मिली/हे केवल तम्बाकू की इल्ली के नियंत्रण हेतु) या
पूर्वमिश्रित बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे : सेमीलूपर इल्ली के नियंत्रण के लिए ) या
पूर्वमिश्रण थायमिथोक्साम + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली/हे सेमीलूपर इल्ली के नियंत्रण के लिए) या
क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30% + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.60% ZC(200 मिली/ हे सेमीलूपर इल्ली के नियंत्रण के लिए) का छिड़काव करें इनसे पत्ती खाने वाली इल्लियों के साथ साथ फूल खाने वाली इल्लियों का नियंत्रण हो सकेगा।
जहाँ पर एक साथ पत्ती खाने वाले इल्लियों (सेमीलूपर / तम्बाकू / चने की इल्ली) तथा रस चूसने वाले कीट जैसे सफ़ेद मक्खी / एफिड एवं तना छेदक कीट (तना मक्खी / चक्र भृंग) प्रकोप हो, इनके नियंत्रण हेतु पूर्व मिश्रित कीटनाशक जैसे क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड. सी. या थायोमीथोक्सम 12.60% + लैंब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड. सी. (125 मिली./हे) या बीटासायफलुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे) का छिड़काव करें।

इस तरह करें जेवेल बग कीट का नियंत्रण

मध्य प्रदेश के कुछ जिले (धार, इंदौर, शाजापुर, देवास) में सोयाबीन का रस चूसने वाले जेवेल बग नामक कीड़े का प्रकोप कुछ क्षेत्रों में देखा जा रहा है, जो कि कभी–कभार ही होता है। अधिक प्रकोप होने पर इसके नियंत्रण हेतु सलाह हैं कि पुर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोकसम 12.60% + लैंब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) या आइसोसायक्लोसरम 9.2 WW.DC (10% W/V) DC (600 मिली./हे.) या इंडोक्साकार्ब 15.88 ई.सी.(333 मि.ली.) का छिड़काव करें। तना मक्खी के नियंत्रण के लिए भी इन्हीं रसायनों का उपयोग करें।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।