Kisan News: इंजिनियर ने लाखों की नौकरी छोड़ किया गाय पालन, थोड़े महिनों में खड़ी कर दी 6 करोड़ की कंपनी

5 Min Read
खबर शेयर करें

उत्तरप्रदेश:गाजियाबाद के रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर असीम रावत  ने अमेरिका सहित कई देशों में नौकरी कर अपनी इंजीनियरिंग नौकरी छोड़ पशुपालन की ओर बड़े और उन्होंने गाय पालन करके 6 करोड़ रुपए की टर्नओवर  कंपनी खड़ी की है। असीम ने गाजियाबाद के सिकंदरपुर गांव में हेथा नाम की डेयरी खोल रखी है। उन्होंने इसकी शुरुआत दो देसी गायों से की थी और आज उनके पास हजार से भी ऊपर गोवंश है इसमें गाय बछड़े बछिया सभी शामिल है। हमारी इस पोस्ट के माध्यम से जाने असीम रावत ने अपनी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ क्यों पशुपालन अपनाया वह साथ ही जाने की उन्होंने पशुपालन कर कैसे 6 करोड़ की टर्नओवर कर अपनी कंपनी खड़ी करी।

जानें असीम ने सॉफ्टवेयर की नौकरी छोड़ क्यो अपनाया पशुपालन

गाजियाबाद के रहने वाले असीम रावत एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे उन्होंने अमेरिका सहित कई देशों में नौकरी की उन्होंने 15 साल तक नौकरी की साथ ही सॉफ्टवेयर इंजीनियर होने पर उनकी सैलरी भी काफी अच्छी थी लेकिन असीम ने यह नौकरी छोड़ दी क्योंकि नौकरी के दौरान असीम ने एक दिन टीवी चैनल पर गायों के अस्तित्व पर  डिबेट देखी उस  डिबेट को सुनने के बाद असीम ने तय किया कि वह पशुपालन क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे । 2015 में उन्होंने अपनी सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़ी वह दो देसी गायों से अपनी देरी की शुरुआत करी और 8 साल में उन्होंने 6 करोड़ से भी ज्यादा टर्नओवर कर लिया है । और उन्होंने गाजियाबाद के अलावा बुलंदशहर, उत्तराखंड में भी अपनी डेयरी खोल रखी है।

जानें असीम पशुपालन के साथ घी, खोया, मिठाई समेत कई प्रोडक्ट बनाते हैं 

असीम में बताया कि  पशुपालन  के लिए में उन्होंने  गिर, साहिवाल, हिमालयन बद्री देसी गायों की प्रजाति को चुना हैं। डायरी में दूध के साथ-साथ असीम घी, खोया, मिठाइयां समेत कई तरह के प्रोडक्ट बनाकर भेजते हैं साथ ही गोमूत्र का उपयोग भी जीवामृत व दवाइयां बनाने के लिए करते हैं  और गोबर का उपयोग उपयोग कर वह जैविक खेती भी कर मुनाफा कमाते हैं। 

जानें असीम ने देसी गायों का ही पालन क्यों किया

असीम ने अपने बिजनेस की शुरुआत दो देसी गायों के पालन से की थी असीम भेस पालन व विदेशी गायों के पालन में दिलचस्पी नहीं रखते थे देसी गाय के दूध में विटामिन ज्यादा होते हैं और उपयोग पचने में आसान होता है वही भैंस का दूध थोड़ी देर से पचता है।  इसके अलावा देसी गायों का गोमूत्र भी कई प्रयोग में लाया जाता है और साथ ही विदेशी गायों के लिए यहां की जलवायु बेहतर नहीं होती है इसलिए उन्होंने देसी गायों का चुनाव किया।

असीम कई लोगों को रोजगार प्रदान किया 

असली में बताया है कि पशुपालन पर डायरी में उन्होंने कई सारे लोगों को सीधा रोजगार प्रदान किया है साथ ही वह अपने प्रोडक्ट की बिक्री भी कई तरीका से करते हैं वह डायरेक्ट ऑर्डर भी लेते हैं और साथ ही अपनी वेबसाइट पर प्रोडक्ट खरीदने का ऑप्शन दिया है इसके अलावा उनके सभी प्रोडक्ट की ई कॉमर्स वेबसाइट पर भी उपलब्ध है।

असीम किसी भी गोवंश को बेसहारा नहीं करते हैं 

असीम ने अपने पशुपालन की जानकारी देते हुए बताया कि पढ़ने वाली गायों की साफ सफाई खान-पान का अच्छे से ध्यान रखा जाता है सर्दियों में उन्हें अच्छा खान-पांच दिया जाता है जैसे दलिया बाजार और बाकी दिनों में गाने का चारा और दूध न देने वाली गायों का भी ख्याल रखा जाता है उन्हें बेसहारा नहीं छोड़ते हैं। उन्होंने बताया कि किसी भी गोवंश को बाहर छोड़ने की जरूरत नहीं है क्योंकि इनके गोबर गोमूत्र से भी हम अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।

असीम ने पशुपालन क्षेत्र में आगे बढ़कर पूरे देश में अपना नाम कमाया पीएम मोदी भी कर चुके इनकी तारीफ

असीम पशुपालन क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए एक प्रेरणा बन गए हैं उन्हें पशुपालन क्षेत्र को बेहतर करने के लिए कई अवार्ड भी मिल चुके हैं  उन्हें 2018 में राष्ट्रीय गोपाल रत्न अवॉर्ड से नवाजा गया था। साथ ही आईसीआर उन्हें स्टार्टअप ऑफ दी ईयर 2022 का पुरस्कार दे चुकी है और उत्तराखंड सरकार द्वारा उन्हें शक्ति अवॉर्ड मिला । इसके साथ ही  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनसे मिल चुके हैं और उनके काम की तारीफ कर चुके हैं।‌‌


खबर शेयर करें
Share This Article
By Harry
Follow:
नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।