Nano DAP And Urea Use: किसान इस प्रकार से करें नैनो डीएपी और यूरिया का उपयोग, मिलेगा उम्मीद से ज्यादा उत्पादन

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Nano Urea and DAP : मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में किसान कल्याण तथा कृषि विभाग के सहयोग से बुधवार को इफको संस्था द्वारा नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी के उपयोग संबंधी प्रशिक्षण आयोजित किया गया। प्रशिक्षण में इफको संस्था के मुख्य प्रबंधक डॉ. डीके सोलंकी, उपसंचालक आरजी रजक, कृषि वैज्ञानिक आरडी बारपेटे सहित मैदानी कृषि अधिकारी मौजूद थे।

प्रशिक्षण में इफको के मुख्य प्रबंधक डॉ. सोलंकी ने बताया कि आगामी खरीफ मौसम में जिले में बोई जाने वाली विभिन्न खरीफ फसलों में नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी का उपयोग किये जाने के लिए किसानों को जागरूक किया जाए।

नैनो यूरिया का उपयोग फसल बुआई के 30-35 दिन पश्चात खड़ी फसल में 500 एमएल (एक बॉटल) प्रति एकड़ की दर से उपयोग किया जाए। उपयोग करते समय यह ध्यान रखा जाए कि स्प्रे पंप के माध्यम से बनाया गया घोल पौधे की पत्तियों पर ही छिड़काव किया जाए जमीन पर नहीं, जिससे कि नैनो यूरिया की सम्पूर्ण मात्रा पौध को प्राप्त हो सके। इसी प्रकार दूसरा स्प्रे फूल आने के एक सप्ताह पूर्व खड़ी फसल में किया जाए।

डॉ. सोलंकी द्वारा बताया गया कि इफको संस्था द्वारा नैनो डीएपी का उत्पादन एवं वितरण का कार्य प्रारंभ किया गया है। नैनो डीएपी का उपयोग किसान बुआई के पूर्व बीजोपचार के रूप में 5 एमएल मात्रा एक किलो बीज पर स्प्रे करके बीजोपचार कर उपयोग किया जाए। इसके पश्चात 30-35 दिन की फसल होने पर नैनो डीएपी का उपयोग खड़ी फसल में 4 एमएल प्रति लीटर पानी में घोल तैयार कर स्प्रे किया जाए। नैनो डीएपी की कीमत आधा लीटर मात्र 225 रूपए होने के कारण दानेदार डीएपी से कम खर्चीला है।

प्रशिक्षण में उपसंचालक कृषि आरजी रजक, कृषि वैज्ञानिक आरडी बारपेटे द्वारा विभाग के सभी कार्यकर्ताओं को नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी अधिक से अधिक मात्रा में उपयोग किए जाने के लिए किसानों को जागरूक करने के लिए कहा गया।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।