किसान एक छोटी सी गलती के कारण बर्बाद कर देते हैं अपनी फसल, देखिए कैसे धान की फसल में जिंक का उपयोग करें

आज के समय में कृषि कार्य करना बहुत ही आसान हो गया है क्योकि नई – नई तकनीक के कृषि यंत्र आ चुके है।धान की फसल में जिंक का प्रयोग कब करें : आज के समय में कृषि कार्य करना बहुत ही आसान हो गया है क्योकि नई – नई तकनीक के कृषि यंत्र आ चुके है। लेकिन अब धान के फसल में इतने बीमारी आते है कि किसानों को कई बार कीटनाशक दवा का छिड़काव करना पड़ता है। इसका मुख्य कारण है धान के फसल में जिंक की कमी होना है। अगर आप भी जानना चाहते है धान के फसल में जिंक कब डालने से बीमारी नहीं आते एवं पैदावार अधिक होते है तो इस आर्टिकल का पूरा अवलोकन करे।

ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश किसानों को कृषि कार्य करने का सही तरीका पता नहीं होते है जिसके कारण जिंक नहीं डालते है। जिससे धान के फसल में जिंक की कमी होने के कारण तना छेदक , पत्ता लपेटक , पीली पत्ती , ब्लॉस्ट , खैरा रोग जैसे तरह तरह के बीमारी आने शुरू हो जाते है। और धान के कल्ले निकलना बंद हो जाते है इसलिए सभी किसानों को सही समय में जिंक डालना चाहिए इससे किसानों के कीटनाशक का पैसा भी बच जाते है। और पैदावार भी अधिक होते है तो आइये बिना देरी किये धान के फसल में जिंक कब डालना चाहिए इसके बारे में पूरी जानकारी बताते है।

धान की फसल में जिंक का प्रयोग कब करें ?

धान के फसल में जिंक की कमी के लक्षण

धान के फसल में जिंक की कमी से पत्ती पीली होने लगती है।
धान में अधिक जिंक की कमी से पत्ते भूरे रंग के धब्बे होने लगते है।
जिंक की कमी धान के नए कल्ले निकलना बंद हो जाते है एवं धान का बढ़ाव भी रुक जाते है।फसल में जिंक की कमी होने के कारण पत्तिया मुड़ने लगती है।जिंक की कमी होने के कारण बालिया निकलने में देरी होती है और बालिया छोटी छोटी निकलती है।
धान में जिंक की कमी के कारण खैरा रोग आने की संभवाना बढ़ जाती है।जिंक की कमी से ऐसे ही और भी बहुत सारे बीमारी होने लगते है इसलिए धान के फसल में जिंक डालना अति आवश्यक होता है।

धान के फसल में जिंक की कमी को दूर करने के उपाय

धान के रोपाई से ठीक पहले 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट मिलाकर प्रति एकड़ के अनुसार छिड़काव करना चाहिए।अगर धान के फसल में जिंक की कमी होने के कारण किसी प्रकार के लक्षण दिखाई देने लगे तो 1 किलोग्राम जिंक सल्फेट और 5 किलोग्राम यूरिया को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ के हिसाब से डालना चाहिए।
इसके बाद ठीक धान के कल्ले निकलने से पहले 2 किलोग्राम जिंक सल्फेट का घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए ऐसा करने से धान के अधिक कल्ले निकलते है।अगर धान के फसल में सही मात्रा में जिंक डालते है तो धान के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते है और कई प्रकार रोग प्रभाव नहीं डाल पाते है।इसी कारण धान के फसल में जिंक का प्रयोग करना चाहिए। धान के बालिया निकलने के समय 30 से 35 किलोग्राम पोटाश को प्रति एकड़ के अनुसार डालना चाहिए इससे माहु आने के संभावना कम हो जाते है। इसके अलावा धान की बालिया अधिक बड़े होते है और धान के बीज में अधिक वजन आते है।

धान के फसल में जिंक कब डालना चाहिए जानने के लिए धान के रोपाई से पहले 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट 1 एकड़ में डालना चाहिए। इसके बाद अगर धान के फसल में किसी प्रकार के बीमारी दिखाई दे रहे है तो 1 किलोग्राम जिंक सल्फेट और 5 किलोग्राम यूरिया को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर 1 एकड़ में डालना चाहिए फिर धान के कल्ले निकलने से पहले 2 किलोग्राम जिंक सल्फेट की घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए इस प्रकार धान के फसल में जिंक का प्रयोग करना चाहिए।

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