किसान ने खास तरीके से लैब के अंदर शुरू की मशरूम की खेती,3 लाख रुपए प्रति किलो बिकता है मशरूम

Rate this post

उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद के विकास खंड महेवा में एक शख्स ने कमाल कर दिखाया है. यहां के राहतपुर गांव के युवक गौरव कश्यप ने बी फार्मा और एमबीए की पढ़ाई करने के बाद प्राइवेट कंपनी में जॉब की और मार्केटिंग का भी काम किया। लेकिन कोविड-19 काल के दौरान लॉकडाउन लगा तो उनकी नौकरी चली गई।इसके बाद उन्होंने यूट्यूब के जरिए एक ऐसे मशरूम की खेती शुरू की, जिसकी मेडिकल लाइन में काफी अधिक मांग है। वहीं, कहा जाता है कि इस मशरूम को पीएम मोदी भी खाना पसंद करते हैं।

जानकारी के मुताबिक, इस मशरूम को टीके नाम से भी जाना जाता है. इस मशरूम के सेवन से ही कई तरीके के विटामिन्स, प्रोटीन एवं अन्य पोषक तत्व शरीर को मिलते हैं।इससे आपका शरीर निरोग और चमकदार रहता है।साथ ही इसके लगातार सेवन करने से इंसान हमेशा तरोताजा दिखता है।ऐसे में वह बढ़ती उम्र के मुकाबले कम वायु का देखने लगता है।

हिमालय गोल्ड व मशरूम टीके नामों से भी जानते हैं

गौरव कश्यप ने बताया कि इसकी खेती की शुरुआत उन्होंने 2018 में पहली बार की थी। लेकिन उस समय अच्छा रिस्पांस नहीं मिला। लेकिन जब मेडिकल लाइन के लोगों को मेरे द्वारा की जाने वाली कोर्डिसेप्स मिलीटेरिस मशरूम की खेती के बारे में पता चला, तो फिर मेरे पास ऑडर का भरमार लग गया।उन्होंने बताया कि इस कोर्डिसेप्स मिलीटेरिस मशरूम को कई नामों से भी जाना जाता है. जैसे कुछ लोग इसे कीड़ा जड़ी, हिमालय संजीवनी, हिमालय वाइग्रा, हिमालय गोल्ड व मशरूम टीके कहते हैं।

ऐसे शुरू किया बिजनेस

उन्होंने कहा कि हमनें बी फार्मा और एमबीए मार्केटिंग की पढ़ाई की है। कोविड काल में नौकरी जाने के बाद डॉक्टरों की सलाह और यूट्यूब की मदद से फिर मैंने इसका उत्पादन शुरू किया। अपने ही गांव में लैब बनाने के बारे में सोंचा। इसके बाद मैंने गांव में ही 20 लाख रुपए की लागत से मशरूम को तैयार करने के लिए लैब को तैयार किया. लैब के अंदर टेंपरेचर मेंटेन करने के लिए ऐसी लगाई। साथ ही ह्यूमिडिटी फायर सिस्टम भी लगाया गया जो कि नमी को बरकरार रखता है। गौरव कश्यप ने कहा कि वहीं, ग्रामीण क्षेत्र होने के नाते बिजली की समस्या से बचने के लिए 8 किलो वाट का सोलर प्लांट भी लगाया है।

एक वर्ष के उत्पादन में 6 बार निकलता है मशरूम

गौरव ने जानकारी देते हुए बताया कि एक वर्ष में हम 6 बार मशरूम लैंब के अंदर उगा लेते हैं, जिसे मार्केट में अच्छा रेट मिल जाता है। गौरव ने बताया कि कोर्डिसेप्स मिलीटेरिस मशरूम की कीमत 60 हजार रुपये किलो होती है। जब जैसी डिमांड हो उसी हिसाब से इसका मूल्य रहता है।वहीं, चीन, इंडोनेशिया, सिंगापुर एवं अन्य देशों में इसकी कीमत ढ़ाई से तीन लाख प्रति किलो होती है। गौरव ने बताया कि इसकी सप्लाई वे खुद ही करते हैं। साथ ही अमेज़न, फ्लिपकार्ट, टाटा mg1 सहित अन्य ऑनलाइन मार्केटिंग साइट से भी टाइअप कर रखा है।इन ऑनलाइन मार्केटिंग साइट से लगातार ऑर्डर आते हैं और कूरियर के माध्यम से ऑर्डर को पहुंचाया जाता है।

10 लोगों को रोजगार मिल रहा है

उन्होंने यह भी बताया कि इस उत्पादन के माध्यम से मैं व मेरे भाई सहित 10 लोगों को रोजगार मिल रहा है, जिसमें से 4 से अधिक लोगों को दिल्ली में ही मार्केटिंग का काम दे रखा है। ये लोग दिल्ली में मेडिकल लाइन से जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि इस तरीके की लैब इटावा जनपद के आसपास कहीं नहीं है। यह इटावा की इकलौती लैब है। जहां पर कोर्डिसेप्स मिलीटेरिस मशुरूम का उत्पादन किया जा रहा है।

  social whatsapp circle 512
WhatsApp Group
Join Now
2503px Google News icon.svg
Google News 
Join Now
Spread the love
  मंडी भाव कृषि समाचार एवं नवीनतम योजनाओं के लिए हमारे साथ व्हाट्सएप पर जुड़े Join Now