Kisan News: गेहूं की फसल में पीलापन आ रहा है तो इतना यूरिया एक एकड़ में ट्रापड्रेसिंग किया जाए

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Kisan News: गेहूं की फसल में सबसे कम बीमारियों का प्रकोप रहता है लेकिन कभी-कभी गेहूं की फसल पीली पड़ने लग जाती है। गेहूं की फसल की बुवाई रबी सीजन में सोयाबीन की फसल काटने के बाद की जाती है। गेहूं की बुवाई मशीन द्वारा और हाथों से भी की जा सकती है। एक आंकड़े के अनुसार सोयाबीन 50-55 लाख हेक्टेयर में लगी थी लेकिन सभी जगह पीलापन की समस्या नहीं रही थी। आंशिक जगह पीलापन पत्तों पर भूमि में जिंक की कमी का लक्षण दर्शाता है। अगर आपके भी गेहूं की फसल पर पीलेपन की समस्या दिख रही है तो आप इतनी दवाई का छिड़काव एक हेक्टेयर में कर सकते हैं, जिससे पीलेपन की समस्या से छुटकारा मिल सके।

Kisan News: गेहूं की फसल में पीलापन आ रहा है तो इतना यूरिया एक एकड़ में ट्रापड्रेसिंग किया जाए

kisan News: गेहूं की फसल में पीलापन की समस्या आने पर आप खड़ी फसल में 500 ग्राम जिंक सल्फेट के साथ 250 ग्राम बुझा हुआ चूना 100 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं। इसके छिड़काव से आपको लाभ मिल सकता है। यूरिया की टाप ड्रेसिंग प्रति एकड़ कितनी की जाये, इसके बारे में आपने सूचित नहीं किया। आपका गेहूं असिंचित, अर्धसिंचित अथवा पूर्व सिंचित है, क्योंकि स्थिति के अनुसार यूरिया की दर भी कम अधिक होती है। आपकी सहुलियत के लिए असिंचित अवस्था में 30-35 किलो प्रति एकड़ की टाप ड्रेसिंग यदि बुआई के समय नहीं डाला गया हो तो, अर्धसिंचित में 40-50 किलो और सिंचित अवस्था में 50 से 60 किलो यूरिया प्रति एकड़ आधा बुआई के समय और शेष को दो भागों में बाटकर क्रमश: पहली तथा दूसरी सिंचाई के बाद और खरपतवार निकालने के बाद दिया जा सकता है।

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Kisan News: इस बार देश में गेहूं का रकबा कई लाख हेक्टेयर बढ़ गया है। संभावना जताई जा रही है कि इस बार देश में गेहूं की बंपर पैदावार हो सकती है। वर्तमान की स्थिति देखते हुए बताया गया है कि गेहूं में फिलहाल किसी भी प्रकार के रोग का प्रकोप नहीं है। अगर आपकी गेहूं की फसल में किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो आप कृषि विशेषज्ञों की सहायता लें सकते हैं।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।
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