गेहूं की फसल को यह बीमारी कर देती हैं बर्बाद, पैदावार पर पड़ता है भारी असर, देखिए इसके बचाव करने के उपाय

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पीला रतवा हवा से फैलने वाली बीमारी होती है। जो तलहटी से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में गेंहू की फसल को प्रभावित करती है। अधिकारियों के मुताबिक पत्ती से फैलने वाली इस बीमारी के कारण फसल की पैदावार बहुत प्रभावित होती है।

गेंहू किसान की मुख्य फसलों में से एक है। जिसकी पैदावार पर देश की जीडीपी भी निर्भर होती है। किसान 15 नवंबर से गेंहू की बुवाई शुरू कर देता है। जो दिसम्बर माह तक चलती है। इसमें कुछ बीज भी पैदावर के हिसाब से प्रयोग किये जाते हैं। गेंहू की बुवाई के समय भी बीज को उपचारित किया जाता है और फसल तैयार होने तक किसान को इसकी देखभाल पर विशेष ध्यान रखना होता है।

कृषि विभाग के अधिकारी ने बताया कि जनवरी- मार्च माह में गेंहू में वक बीमारी आती है, जिसे हम पीला रतवा कहते हैं। यह बीमारी हवा से फैलने वाली होती है। जो तलहटी से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में गेंहू की फसल को प्रभावित करती है। अधिकारियों के मुताबिक पत्ती से फैलने वाली इस बीमारी के कारण फसल की पैदावार बहुत प्रभावित होती है। इसकी रोकथाम के लिए किसान को सचेत होकर कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर छिड़काव आदि करना होता है।

कृषि अधिकारी ने बताया कि पीला रतवा की बीमारी जनवरी व फरवली माह में गेंहू में लगती है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी तलहटी क्षेत्र से हवा के माध्यम से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में प्रवेश करती है। डॉ ने बताया कि गेंहू की पीली पत्ती हो जाना इस बीमारी के लक्षण हैं। जो पहले खेत मे कहीं कहीं नजर आते हैं, परन्तु बाद में यदि बीमारी की रोकथाम के लिए उपाय नही किया गया तो इससे पूरा खेत ही इस बीमारी के कारण नष्ट हो सकता है। उन्होंने बताया कि इसलिए किसान भाइयों को पीला रतवा बीमारी के लक्षण नजर आते ही कृषि विशेषज्ञों की सलाह लेकर उचित छिड़काव आदि करना चाहिए। उन्होंने बताया कि यह बीमारी फसल के पत्ती से हवा के द्वारा पूरे खेत मे फैल जाती है।

पीला रतवा कैसा दिखता है

डॉ. आई के कुशवाहा ने बताया कि पीला रतवा बीमारी से ग्रसित खेत में फसल के पत्ते पीले हो जाते हैं, जो बाद में काले धब्बे बनकर पूरे खेत को ही अपनी चपेट में ले लेते हैं। उन्होंने बताया कि हाथ लगाने और रगड़ने पर हाथो पर हल्दी जैसा पिला रंग छोड़ देते हैं। पूरा खेत ही एक बार तो हल्दी के रंग जैसा नजर आता है। उन्होंने बताया कि पीला रतवा बीमारी ज्यादा फैलने पर गेंहू की पत्ती को नष्ट कर देती है। जिससे फसल की पैदावार भी प्रभावित हो जाती है।

कैसे करें किसान पीला रतवा रोग से फसल का बचाव

कृषि अधिकारी ने बताया कि पीला रतवा रोग के लिए किसान सतर्क रहकर बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाए। उन्होंने बताया कि सर्वप्रथम किसान को यदि अपने खेत मे एक या दो जगह पीला रतवा रोग से लक्षण वाला पौधा नजर आता है। तो उन पौधे को उखाड़ कर मिट्टी में दबा देना चाहिए। इसके अलावा बाजार में उपलब्ध दवाई का छिड़काव भी आवश्यक रूप से करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे पहले कृषि विशेषज्ञ की सलाह लेना भी अनिवार्य है।

क्या होता है फसल पर रोग का प्रभाव

डॉ आई के कुशवाहा ने बताया कि पीला रतवा रोग फसल के लिए पैदावार सम्बन्धी बहुत खतरनाक होता है। उन्होंने बताया कि पत्ती ही फसल के पौधे की नींव होती है। पत्ती से पौधे को भोजन मिलता है। पीला रतवा सबसे पहले पत्ती को ही नष्ट कर देता है, जिसके कारण पौधे को उचित भोजन नही मिल पाता औऱ गेंहूँ की बाली कमजोर हो जाती है। जिससे पैदावार न के बराबर हो जाती है। इसलिए किसान को चाहिए कि समय रहते अपनी गेंहू की फसल का उचित उपचार कर पीला रतवा रोग से बचाव करे।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।