dragon fruit : ड्रैगन फ्रूट की खेती : देशभर के कई किसानों ने परंपरागत खेती से अलग हटकर कुछ नया किया है और इससे वे शानदार कमाई कर रहे हैं। नई फसल की खेती कर अपनी किस्मत बदलने में सफलता हासिल कर ली है। ऐसी ही एक खेती है ड्रैगन फ्रूट की खेती।
ड्रैगन फ्रूट की खेती
ड्रैगन फ्रूट वास्तव में खाने-पीने के लिहाज से बहुत बढ़िया फल है जिसमें कई तरह के विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं। अब उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, उत्तराखंड जैसे कई राज्यों के किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं। ड्रैगन फ्रूट की मार्केट डिमांड और खेती किसानी में भविष्य को देखते हुए किसानों की सक्सेस स्टोरी बहुत से लोगों को प्रेरणा दे रही है
ड्रैगन फ्रूट के साथ एक अच्छी बात यह है कि आप एक बार इसका पौधा लगाने के बाद 25 साल तक इससे फसल लेते रहते हैं। अगर आप भी अपने खेत में ड्रैगन फ्रूट का पौधा लगाते हैं तो ढाई से 3 साल का एक पौधा आपको तकरीबन 25-30 किलो तक ड्रैगन फ्रूट दे देता है। ड्रैगन फ्रूट का मार्केट रेट ₹200 किलो है। एक एकड़ में इस तरह ड्रैगन फ्रूट के 500 पौधे लगते हैं।
जलवायु
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उष्ण जलवायु जिसमें निम्नतम वार्षिक वर्षा 50 से.मी. और तापमान 20 से.36 डिग्री सेल्सियस हो, सर्वोत्तम मानी जाती है। पौधों के बढ़िया विकास आरै फल उत्पादन के लिए इन्हें अच्छी रोशनी व धूप वाले क्षेत्र में लगाना चाहिए। इसकी खेती के लिए सूर्य की ज्यादा रोशनी उपयुक्त नहीं होती।
मृदा
इस फल को रेतीली दोमट मृदा से लेकर दोमट मृदा जैसी विभिन्न प्रकार की मृदाओं में उगाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए कार्बिनक पदार्थ से भरपूर, उचित जल निकास वाली काली मृदा, जिसका पी-एच मान 5.5 से 7 हो, अच्छी मानी जाती है
खाद एवं उर्वरक
अधिक उत्पादन लेने के लिए प्रत्येक पौधे को अच्छी सड़ी हुई 10 से 15 कि.ग्रा. गोबर या कम्पोस्ट खाद देनी चाहिए। इसके अलावा लगभग 250 ग्राम नीम की खली, 30-40 ग्राम फोरेट एवं 5-7 ग्राम बाविस्टिन प्रत्येक गड्ढे में अच्छी तरह मिला देने से पौधों में मृदाजनित रोग एवं कीट नहीं लगते हैं। 50 ग्राम यूरिया, 50 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट तथा 100 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश का मिश्रण बनाकर पौधों को फूल आने से पहले अप्रैल में फल विकास अवस्था तथा जुलाई-अगस्त और फल तुड़ाई के बाद दिसबंर में देना चाहिए।
सिंचाई
इस फल के पौधों को दूसरे पौधों की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार रोपण, फूल आने एवं फल विकास के समय तथा गर्म व शुष्क मौसम में बार-बार सिंचाई की आवश्यकता होती है।
कीट एवं व्याधियां
सामान्यतः ड्रैगन फ्रूट में कीट और व्याधियों का प्रकोप कम होता है। फिर भी इसमें एंथ्रेक्नोज रोग व थ्रिप्स कीट का प्रकोप देखा गया है। एंथ्रेक्नोज रोग के नियंत्रण के लिए मैन्कोजेब दवा के घोल का 0.25 प्रतिशत की दर से छिड़काव करें।
तुड़ाई
प्रायः ड्रैगन फ्रूट प्रथम वर्ष में फल देना शुरू कर देता है। सामान्यतः मई और जून में पफूल लगते हैं तथा जुलाई से दिसंबर तक फल लगते हैं। पुष्पण के एक महीने बाद फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इस अवधि के दौरान इसकी 6 तुड़ाई की जा सकती है।