आलू की नई वैरायटी किसान भी आधुनिक हो रहा है. देश के किसान खेती के क्षेत्र में ऐसे-ऐसे काम कर रहे हैं, जो मिसाल बनते जा रहे हैं. साथ ही उनकी कमाई भी बढ़ रही है. कुछ ऐसा ही कमाल केशोद तालुका के किसान ने कर दिखाया है, जिसे देख लोग दंग हैं. केशोद में रहने वाले किसान हरसुखभाई डोबरीया ने जैन आलू की खेती की है.
कई वर्षों से कृषि से जुड़े हरसुखभाई ने अनोखे तरीके से सफल खेती कर सबको चौंका दिया है. उन्होंने इस सफल खेती का गुर कई लोगों को भी सिखाया है. जब हरसुखभाई परिक्रमा के दौरान 14 साल की उम्र में जूनागढ़ आए थे, तब वह एक मार्ग में गुम हो गए थे. उस समय कहीं से एक संत उनको मिले थे. उन्होंने यह भी बताया गया कि, इस पौधे को संत ने ही उनको भेंट किया था.
स्वाद भी मीठा
हरसुखभाई का कहना है कि जैन आलू में अन्य आलू की तुलना में अधिक मिठास होती है. यह आलू शरीर के बाईं बाजू को स्वस्थ रखता है. आज भी वह इसी आलू की वजह से स्वस्थ हैं. हरसुखभाई अभी 75 साल की उम्र में यह आलू खा रहा हैं. कहते हैं यह आलू उनकी सेहत का राज है
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इसलिए जैन आलू नाम
बता दें कि जैन समाज के लोग जड़-सब्जी नहीं खाते हैं. यह आलू जमीन के अंदर नहीं होता, बल्कि जमीन के ऊपर होता है. इसलिए जैन लोग भी यह आलू खा सकते हैं. शायद इसी वजह से इस आलू को जैन आलू नाम दिया गया है.