Kisan News: किसानों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है यह मौसम, इन गेहूं पर पड़ेगा सबसे अधिक असर

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Kisan News: फरवरी महीने में ही भीषण गर्मी के चलते इस बार गेहूं के दाने समय से पहले पकने की उम्मीद है। जिसके चलते गेहूं का दाना छोटा रह सकता है।कृषि विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक, इस बार 3 लाख 42 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई की गई है। 48 से लेकर 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार होने का अनुमान है।मध्य प्रदेश का सीहोर जिला अपने शरबती गेहूं के चलते पूरे देश में मशहूर है। अच्छी-खासी डिमांड के बाद भी इसकी खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान होने वाला है। अचानक हुए मौसम में बदलाव के चलते इस फसल की उपज के साथ इसकी चमक और क्वालिटी पर भी असर पड़ सकता है।

मौसम के बदलाव का खेती पर कितना असर?

फरवरी महीने में ही भीषण गर्मी के चलते इस बार गेहूं के दाने समय से पहले पक सकते हैं। जिसके चलते इसका दाना छोटा रह सकता है। कृषि विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक, इस बार 3 लाख 42 हजार हेक्टेअर में गेहूं की बुवाई की गई है। 48 से लेकर 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार होने का अनुमान है। पिछले साल जिले में 3 लाख 30 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई की गई थी। उस दौरान प्रति हेक्टेयर 47 क्विंटल की उपज हासिल हुई थी। कुल 15 लाख 51 हजार मीट्रिक टन गेंहू की पेदावर हुई थी।

शरबती गेंहू के स्वाद के सभी दीवाने

सीहोर का शरबती गेहूं मुंबई, तमिलनाडु, गुजरात,चेन्नई, दिल्ली सहित अन्य प्रदेशों में भेजा जाता है। इसके आटे की रोटियां एकदम सफेद और नरम रहती हैं। हर छोटी-बड़ी दुकानों, होटलों और घरों में शरबती गेहूं का ही अधिकतर लोग उपयोग करते हैं।शरबती गेहूं की खासियत यह है कि इसकी चमक के साथ ही इसके दाने लगभग एक जैसे होते हैं। गेहूं की सभी किस्मों में यह सबसे महंगा बिकता है। लोकमन और अन्य किस्मों के गेहूं जहां दो हजार से 2200 प्रति क्विंटल बिकते हैं। वहीं, शरबती गेहूं का न्यूनतम भाव ही 2800 रुपये होता है।यह आमतौर पर 3300 से 4000 रुपये तक में बिकता है।

टेंपरेचर बड़ा तो 25 से 30% नुकसान की आशंका

कृषि एवं मौसम केंद्र के तकनीकी अधिकारी डॉ एसएस तोमर ने बताया कि आगामी 3 दिनों तक हवा की गति पश्चिम से रहेगी। इसकी वजह से तापमान में बढ़ोतरी होगी. इससे गेहूं के जल्दी पकने की स्थिति बनेगी। जल्दी पकने के चलते प्रोटीन का परसेंटेज कम रहेगा और दाने का वजन भी कम होगा। इससे 25 से 30 पर्सेंट तक का नुकसान हो सकता है।

फसलों को बचाने किसान खेतों में बनाए रखे नमी

कृषि एवं मौसम विशेषज्ञ डॉ एसएस तोमर ने किसानों से निर्देश देते हुए कहा कि जो फसल देरी से बोई गई है, उस खेत में नमी बनाएं रखें। उनके मुताबिक अभी तक फसल बहुत अच्छी चल रही थी. 15 से 20 प्रतिशत बढ़ोतरी की संभावना थी, लेकिन आगामी दिनों में तापमान तेजी से बढ़ता है तो औसत उत्पादन ही हो सकेगा।मौसम में आए अचानक बदलाव को लेकर किसान घनश्याम यादव कहते हैं कि अचानक मौसम में बदलाव के चलते फसल के उत्पादन पर असर पड़ेगा। तेज धूप और बादल के चलते उत्पादन कम होने के साथ ही क्वालिटी पर भी असर दिखाई देगा। हरी फसल एकदम से पक जाएगी. 10 से 20 प्रतिशत नुकसान की संभावना है।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।