गेहूं की फसल के लिए वर्तमान मौसम अनुकूलित लेकिन अभी भी लग सकतें हैं यह रोग, बुवाई भी 34.11 मिलियन हेक्टेयर हुई

5/5 - (1 vote)

इस वर्ष 2022-23 में लगभग 34.11 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुआई की गई है, अभी भी लग सकते हैं गेहूं की फसल में यह कीट एवं रोग भारत में रबी सीजन की सबसे मुख्य फसल गेहूं हैं, इस वर्ष 2022-23 में लगभग 34.11 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुआई की गई है। ऐसे में गेहूं एवं जौ की फसल की बंपर पैदावार प्राप्त की जा सके इसके लिए भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने किसानों के लिए फरवरी माह 2023 के पहले पखवाड़े के लिए सलाह जारी की है।

वर्तमान मौसम गेहूं के विकास के लिए काफी अनुकूल

इस वर्ष 2022-23 में लगभग 34.11 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुआई की गई है, अभी लग सकते हैं गेहूं की फसल में यह कीट एवं रोग जारी सलाह में बताया गया है कि वर्तमान मौसम गेहूं के विकास के लिए काफी अनुकूल है। अभी के मौसम में गेहूं की फसल में लगने वाले कीट एवं रोगों के बचाव के लिए किसान क्या करें, जिससे फसल को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके, इसके लिए किसानों के लिए विशेष सलाह जारी की है। किसान समय पर इन कीट एवं रोगों की पहचान कर गेहूं फसल को होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं।

पीला या भूरा रतुआ रोग

संस्थान द्वारा जारी सलाह में बताया गया है कि इस समय उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र एवं पहाड़ी क्षेत्र जैसे की जम्मू, हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा हरियाणा में इस समय गेहूं एवं जौ में पीला रतुआ आने की संभावना रहती है। इसमें पीले रंग की धारियाँ बनती है और छूने से उँगलियों पर पीला पाउडर लग जाता है। वर्तमान मौसम में मध्य भारत में भूरा रतुआ आने की सम्भावना है। भूरा रतुआ निचली पंक्तियों पर नारंगी से भूरे रंग के गोल फफोलों के रूप में उत्पन्न होता है जो पंक्तियों की ऊपरी व निचली सतह पर अनियमित बिखरे दिखाई देते हैं। इसलिए, किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पीले या भूरे रतुआ के लिए अपने खेतों की कड़ी निगरानी रखें।

पीला या भूरा रतुआ का नियंत्रण

अगर गेहूं की फसल में पीला या भूरा रतुआ दिखाई देता है तो प्रभावित क्षेत्रों में अनुशंसित कवकनाशी जैसे प्रोपिकानाजोल 0.1% या टेबुकोनाजोल 50% ट्राइफ़्लॉक्सीस्ट्रोबिन 25% प्रति 0.06% का छिड़काव करें। और जरुरत पड़ने पर 15 दिनों के बाद इस छिड़काव का दोहराव करें।

गेहूं में माहूँ या चेपा कीट नियंत्रण के लिए क्या करें

अगेती गेहूं की बुआई में जहाँ गेहूं में बालियाँ निकल रही हैं वहाँ पर पत्ती माहूँ (चेपा) के लिए भी निरंतर निगरानी किसानों को रखनी चाहिए। अगर पत्ती माहूँ की संख्या आर्थिक क्षति स्तर (ई.टी.एल. 10-15 माहूँ/ टिलर) को पार करती है, तब क्यूनालफोस 25 प्रतिशत ई.सी. नामक दवा की 400 मि.ली. मात्रा 200-250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

Source by – betulsamachar.com

  social whatsapp circle 512
WhatsApp Group
Join Now
2503px Google News icon.svg
Google News 
Join Now
Spread the love