किसानो के लिए अच्छी खबर : सरकार ने बढ़ाई गेहूं सहित 6 रबी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)

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जानिए, फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) (2025 की अपडेट) के बारे में..

किसानों के लिए अच्छी खबर है कि केंद्र सरकार द्वारा रबी की फसलों की बुवाई से पूर्व ही गेहूं सहित अच्छे फसलों की एसपी में वृद्धि कर दी गई है। फसलों की एसपी में वृद्धि कर दी गई है जिससे किसानों को लाभ होगा। वर्तमान में रबी सीजन का दौर चल रहा है। रबी सीजन में फसलों की बात करें तो गेहूं रबी सीजन की एक महत्वपूर्ण फसल है। कई प्रदेशों में गेहूं की खेती प्रमुख रूप से की जाती है। यदि बात करें गेहूं के MSP (Minimum Support Price) की तो किसान भाई कई बार सरकार से गेहूं की MSP बढ़ाने की मांग कर चुके हैं। प्रत्येक वर्ष लाखों मैट्रिक टन में गेहूं की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर होती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस बार गेहूं सहित 6 रबी फसलों की MSP बढ़ा दी है। रबी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बुवाई से पूर्व निश्चित करने का केंद्र सरकार का उद्देश्य है कि किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के आधार पर फसल का चयन कर बुवाई कर सकेंगे। किसान जिस फसल की MSP में अधिक वृद्धि हुई है उस फसल की बुवाई कर ज्यादा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। सरकार प्रत्येक वर्ष दो बार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा फसल की बुवाई से पूर्व करती है जिसमें पहली खरीफ की फसल और दूसरी रबी के फसल की MSP तय की जाती है। प्रत्येक वर्ष की तरह ही इस वर्ष भी रबी की जिन 6 फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय की गई है उनके बारे में किसान भाई को जानकारी होना आवश्यक है। आइए, गेहूं सहित 6 रबी फसलों की MSP से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।

क्या है न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price)?

न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी सरकार की ओर से किसानों को फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देना है। इसके तहत सरकार किसानों के लिए रबी की 6 और खरीफ की 23 फसलों के लिए एमएसपी निर्धारित करती है। एमएसपी का सबसे बड़ा फायदा किसान को यह है कि यदि बाजार में किसी फसल के भाव गिर जाएं तो किसान एमएसपी पर अपनी फसल बेचकर होने वाले नुकसान से बच सकता है। एमएसपी निर्धारित करने के पीछे सरकार का मकसद किसानों को फसल विक्रय में होने वाले नुकसान से उन्हें बचाना है। एमएसपी के ज़रिए सरकार, किसानों को यह गारंटी देती है कि यदि किसी वजह से मार्केट प्राइज डाउन हो जाए तो किसान एमएसपी पर फसल बेचकर नुकसान की भरपाई कर सकते हैं। यानी मार्केट में कितना भी फसल का मूल्य कम हो जाए लेकिन एमएसपी पर फसल की खरीद निर्धारित मूल्य पर ही की जाएगी जो पूरे भारत के लिए एक समान रहेगी।

फसलों के MSP का निर्धारण कैसे किया जाता है

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का निर्धारण कृषि लागत एवं मूल्य आयोग Commission for Agricultural Costs & Prices (CACP) द्वारा किया जाता है। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) द्वारा गन्ने की फसल को छोड़कर सभी फसलों की MSP तय की जाती है। यह आयोग फसल से संबंधित उपदेशों को सरकार के पास भेजता है। सरकार आयोग द्वारा दिए उपदेशों के अध्ययन के पश्चात् न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निश्चित करती है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) कुल लागत को ध्यान में रखकर निश्चित की जाती है जिसके अंतर्गत पट्टे पर ली गई ज़मीन का किराया, बैल या मशीन द्वारा जुताई, मज़दूरों की मज़दूरी, खेत तैयार करने में लगने वाला खर्च, गतिशील पूंजी पर ब्याज, पंप सेट के लिए बिजली, उपकरण, खाद, उर्वरक, सिंचाई और बीज आदि सम्मिलित किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य खर्च और परिवार द्वारा किए जाने वाले श्रम मूल्य को भी सम्मिलित किया जाता है। इस प्रकार खेती की संपूर्ण लागत के आधार पर फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय की जाती है। सरकार द्वारा किसानों की खेती में संपूर्ण लागत के आधार पर फसल की MSP तय की जाती है। किसान अपनी फसल की बिक्री MSP पर कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

रबी फसलों का नया न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)

रबी की फसल की बुवाई से पूर्व सरकार द्वारा गेहूं सहित 6 रबी फसलों गेहूं, जौ, चना, सरसों, मसूर और कुसुम की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय की गई है। रबी फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) में वृद्धि से किसान भाइयों को रबी सीजन में फसल की बिक्री करने में पहले से ज़्यादा कीमत मिलेगी। रबी फसल में पूर्व का MSP और नवीनतम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि के बाद मूल्य इस प्रकार है –

रबी फसल और उनका पूर्व MSP और नवीनतम MSP (प्रति क्विंटल)

  1. गेहूं – 2275 रुपए → 2425 रुपए
  2. जौ – 1850 रुपए → 1980 रुपए
  3. चना – 5440 रुपए → 5650 रुपए
  4. सरसों – 5650 रुपए → 5950 रुपए
  5. मसूर – 6425 रुपए → 6700 रुपए
  6. कुसुम – 5800 रुपए → 5940 रुपए

फसल और उनके न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में कितनी हुई वृद्धि?

फसल और उनके न्यूनतम समर्थन मूल्य में हुई वृद्धि के बारे में बात करें तो सबसे अधिक वृद्धि मसूर की दाल पर हुई है। मसूर की दाल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि प्रति क्विंटल 275 रुपए हुई है। इसके पश्चात् सरसों-तिलहन के MSP में वृद्धि प्रति क्विंटल लगभग 300 रुपए है। कुसुम के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि प्रति क्विंटल लगभग 140 रुपए है, वहीं गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि प्रति क्विंटल 150 रुपए है तथा जौ और चने की फसल पर MSP में वृद्धि क्रमशः प्रति क्विंटल लगभग 130 रुपए और 210 रुपए है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि से कितना होगा लाभ?

केंद्र सरकार की ओर से गेहूं सहित 6 रबी फसलों के नए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को तय किया गया है। केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अनुसार सरकार ने किसान की कृषि लागत का 50% से भी अधिक लाभ के साथ MSP तय की है। भारतीय औसत उत्पादन लागत पर अपेक्षित लाभ के अनुसार फसलों के लिए लाभ प्रतिशत इस प्रकार है जैसे – गेहूं के लिए 105%, सरसों-तिलहन के लिए 98%, मसूर के लिए 89%, चने के लिए 60%, जौ के लिए 60% और कुसुम के लिए 50% हैं। रबी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में की गई वृद्धि से किसानों के लिए लाभकारी मूल्य ही तय किया गया है जिससे किसान भाइयों को लाभ होगा और साथ ही फसल विविधीकरण को भी प्रोत्साहन मिलेगा। किसान भाई इस नए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के आधार पर फसल की बुवाई कर बिक्री कर सकते हैं। उम्मीद है न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों के लिए लाभकारी होगी।

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