यूरिया के भाव हमारे देश में खेती करने के लिए किसानों के लिए सबसे जरूरी यूरिया खाद होता है लेकिन उसकी साइड इफेक्ट भी होते हैं किसान के लिए खाद आज के समय में बेहद ही अहम् हो गया है। बिना खाद के कोई भी फसल का उत्पादन संभव नहीं है. DAP और यूरिया की कीमतों में लगातार गिरावट का रुख जारी है। वैश्विक बाजार में डीएपी की कीमत गिरकर 553 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई है, जो फरवरी में 640 डॉलर प्रति टन थी। नई कीमत पर सऊदी अरब की एक कंपनी के साथ हाल ही में निजी क्षेत्र की एक भारतीय कंपनी का सौदा हुआ है। वहीं यूरिया की कीमत 315 से 325 डॉलर प्रति टन (सीएफआर) पर आ गई है। करीब डेढ़ साल पहले डीएपी की कीमत 1000 डॉलर प्रति टन को पार कर गई थी, जबकि यूरिया की 900 डॉलर पर पहुंच गई थी। उद्योग सूत्रों के मुताबिक कीमतों में गिरावट की बड़ी वजह वैश्विक बाजार में उर्वरकों की उपलब्धता में बढ़ोतरी के साथ ही चीन का निर्यात बाजार में बड़े पैमाने पर उतरना है आइए जानते हे।
100 लाख टन यूरिया का आयात
किसानों को जानकारी देते हुवे बता दे की हर साल लाखो टन खाद का आयात होता है। भारत सालाना करीब 100 लाख टन यूरिया का आयात करता है। वहीं पिछले वित्त वर्ष में करीब 60 लाख टन डीएपी का आयात किया गया। देश में डीएपी की खपत करीब 100 लाख टन के आसपास है। पिछले वित्त वर्ष में डीएपी का उत्पादन करीब 40 लाख टन रहा है। हालांकि इसके उत्पादन का अधिकांश कच्चा माल आयात किया जाता है। डीएपी के कच्चे माल फॉस्फोरिक एसिड की कीमत गिरकर 1050 डॉलर प्रति टन पर आ गई जबकि कुछ माह पहले तक इसकी कीमत 1475 डॉलर प्रति टन चल रही।
यूरिया की कीमतों में होते रहते है उतार चढ़ाव
मित्रो सूत्रों ने रूरल वॉयस को बताया कि म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) की कीमतों में भी गिरावट आई है और इस समय भारत के लिए इसकी कीमत 422 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई है। हाल ही में देश की एक बड़ी उर्वरक सहकारी संस्था ने 30 हजार टन के दो शिपमेंट के सौदे इस कीमत पर किये हैं। यह सौदे रूस की कंपनी यूराल कली और एक जर्मन कंपनी के साथ हुए हैं। इसके पहले एमओपी की कीमत 590 डॉलर प्रति टन पर चल रही थी। वहीं यूरिया उत्पादन में उपयोग की जाने वाली अमोनिया गैस की कीमत 13 अप्रैल को 375 डॉलर पर बोली जा रही थी, जबकि अमोनिया की कीमत 1200 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई थी।
देश में सरकार को हो रहा है फायदा
किसानों के साथ-साथ सरकार को भी हो रहा है फायदा उर्वरकों की कीमतों में इस भारी गिरावट से सरकार को सब्सिडी बचत के रूप में फायदा हो रहा है। उत्पादकों को गैर-यूरिया डिकंट्रोल उर्वरकों की कीमत तय करने की छूट है। यूरिया की कीमत सरकार तय करती है। उत्पादन लागत या आयातित कीमत और किसानों के लिए कीमत के बीच के अंतर का भुगतान वह उद्योग को सब्सिडी के रूप में करती है।
देश में खाद के भाव
विनियंत्रित उर्वरकों के लिए सरकार न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना के तहत सब्सिडी देती है। इसके तहत एन (नाइट्रोजन), पी (फॉस्फोरस), के (पोटाश) और एस (सल्फर) के लिए प्रति किलो के हिसाब से सब्सिडी दी जाती है। जहां तक विनियंत्रित उर्वरकों की कीमतों की बात है तो उसमें सबसे अधिक बिकने वाले उर्वरक डीएपी की कीमत पिछले दिनों 150 रुपये बढ़ाकर 1350 रुपये प्रति बैग (50 किलो) की गई थी। उसके पहले लंबे समय तक डीएपी की कीमत 1200 रुपये प्रति बैग रही थी। इससे अधिकांश विनियंत्रित उर्वरक डीएपी से महंगे हो गये थे। इसके चलते डीएपी की खपत काफी तेजी से बढ़ी और कॉम्प्लेक्स उर्वरकों और एमओपी की बिक्री में गिरावट आई थी। हालांकि इस समय कॉम्प्लेक्स उर्वरक 20:20:0:13 की कीमत 1200 रुपये प्रति बैग पर आ गई है। सरकार ने उर्वरकों के उपयोग में असंतुलन के बावजूद रबी सीजन के लिए एनबीएस के तहत नाइट्रोजन पर सब्सिडी बढ़ाई जबकि बाकी न्यूट्रिएंट पर सब्सिडी में कमी की थी।

