Kisan News: सोयाबीन की बुवाई करने वाले किसानों के लिए जरूरी खबर,इस प्रकार करें फसल में रोगों की रोकथाम

पूरे देशभर में झमाझम बारिश का दौर चल रहा है। सोयाबीन की फसल अब 20 से 25 दिन की हो गई है। ज्यादा बारिश के चलते खरीफ सीजन की प्रमुख सोयाबीन में पीला मोजेक सहित अन्य रोग तेजी से फैल रहे है।ऐसे में भा.कृ.अनु.प. – भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर द्वारा सोयाबीन कृषकों के लिए साप्ताहिक सलाह (17 जुलाई से 23 जुलाई तक) जारी की गई है। कई किसानों को जानकारी न होने के कारण उनकी फसल बारिश एवं कीट रोगों से Soybean फसल की सही उपज नहीं ले पाते है। सोयाबीन की बढ़िया उपज लेने के लिए सोयाबीन कृषकों को यह सलाह अवश्य जान लेनी चाहिए।

पीला मोजेक रोग के लिए यह दवाई डालें

राजस्थान के चित्तोड़गढ़ जिले में Soybean में पीला मोज़ेक रोग का प्रारंभ होने की सूचना है। अतः इस रोग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फैलाने वाले वाहक सफ़ेद मक्खी की रोकथाम हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (125मिली/हे) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/है का छिड़काव करें इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है। यह भी सलाह है कि Soybean सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु कृषकगण अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।

बिहार हेयरी कैटरपिलर के लिए यह दवाई डालें

राजस्थान के कुछ जिलों में Soybean में बिहार हेयरी कैटरपिलर का प्रकोप होने की सूचनाये प्राप्त हुयी हैं। इसके नियंत्रण हेतु सलाह हैं कि प्रारंभिक अवस्था में ही झुण्ड में रहने वाली इन इल्लियो कोण पौधे सहित खेत से निष्कासित करें एवं फसल पर लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन. 0490 सी) एस. 300 मिली/हे ( या इंडोक्साकार्ब 15.) सी.एस 8333 मिली/हे( का छिडकाव करें।

सेमिलूपर या तंबाकू इल्ली नियंत्रण के उपाय

वर्तमान परिस्थिति में जिस प्रकार से रुक रुक कर बारिश हो रही है, Soybean में सेमिलूपर या तंबाकू की इलियों का अधिक प्रकोप होने की संभावना बढ़ जाती है। इसी प्रकार जहाँ अधिक पौध संख्या है, चक्र भृंग का प्रकोप भी बढ़ सकता है अतः कृषकों को यह भी सलाह है किअपने खेत की सतत निगरानी करें एवं इन कीटों की प्रारंभिक अवस्था में ही नियंत्रण के उपाय अपनाये।

सोयाबीन को पत्ती खाने वाले कीट एवं तना मक्खी से कैसे बचाएं? जानिए रासायनिक उपाय…

पत्ती खाने वाले कीट एवं तना मक्खी नियंत्र

जहाँ पर Soybean फसल 15-20 दिन की हो गई हो, पत्ती खाने वाले कीटों से सुरक्षा हेतु फूल आने से पहले ही सोयाबीन फसल में क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली/हे) का छिड़काव करें। इससे अगले 30 दिनों तक पर्णभक्षी कीटों से सुरक्षा मिलेगी।तना मक्खी के नियंत्रण हेतु सलाह हैं कि पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम 12.60% + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. ( 125 मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) का छिड़काव करें।

जलभराव के लिए यह करें

कई क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा होने की सूचनाये प्राप्त हुई हैं, Soybean कृषकों को सलाह हैं कि जलभराव से होने वाले नुकसान से सोयाबीन फसल को बचाने हेतु अतिरिक्त जल निकासी सुनिश्चित करें। जल निकासी के लिए कृषक खेत की मेड़ पर नाली बनाए।

खरपतवार नियंत्रण के लिए यह करे

ऐसे कृषक जिन्होंने अपनी Soybean फसल में बोवनी पूर्व या बोवनी के तुरंत बाद उपयोगी खरपतवारनाशकों का प्रयोग किया है, सलाह है कि खरपतवारों के नियंत्रण हेतु सुविधाजनक मौसम होने पर डोरा/कुलपा चलायें।जहा फसल 15-20 दिन की हो गई है, और अभी तक किसी भी प्रकार के खरपतवारनाशक का प्रयोग नहीं किया हैं, सलाह हैं कि Soybean फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए अनुशंसित खड़ी फसल में उपयोगी किसी एक रासायनिक खरपतवारनाशक का छिड़काव करें । खरपतवारनाशकों के छिडकाव हेतु पॉवर स्प्रयेर का उपयोग करते हुए 125 लीटर हि या नेपसेक स्प्रयेर से 450 लीटर / हे का प्रयोग सुनिश्चित करें।Soybean में खरपतवारनाशकों के छिडकाव के लिए फ्लड जेट फ्लैट फेन नोजल का प्रयोग करें।

सोयाबीन में खरपतवार नियंत्रण के लिए कौन सी दवाई इस्तेमाल करें, यहां जानिए दवाइयों की जानकारी

भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान द्वारा खरपतवारनाशकों एवं कीटनाशकों की सांगतता बाबत अभी तक किये गए अनुसन्धान परीक्षणों के अनुसार निम्म्र खरपतवारनाशक एवं कीटनाशकों की संगतता पाई गई हैं. अतः सलाह हैं कि जिन्होंने Soybean बोवनी पूर्व या बोवनी के तुरंत बाद उपयोगी खरपतवारनाशकों का अभी तक प्रयोग नहीं किया हैं, निम्न सूचि में से कोई एक कीटनाशक एवं खरपतवार नाशक Soybean का मिलाकर छिडकाव किया जा सकता हैं।कीटनाशक : क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली/हे) या विनाल्फोस 25 ई.सी (1 ली/हे) या इन्डोक्साकर्ब 15.8 एस.सी (333 मि.ली./हे)खरपतवारनाशक : इमाज़ेथापायर 10 एस.एल (1 ली/हे) या क्विजालोफोप इथाइल 5 ई.सी (1 ली/हे)।

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