Kisan News: किसान 80 हजार में शुरू करें सर्पगंधा की खेती, 4 हजार रुपए किलो बिकता है इसका बीज

5 Min Read
खबर शेयर करें

Kisan News: किसान अगर कम खर्च में अधिक मुनाफे की खेती करना चाहते हैं तो सर्पगंधा की खेती आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। इन दिनों आयुर्वेदिक एवं हर्बल दवाओं की मांग बढ़ने के कारण सर्पगंधा की मांग में भी बढ़ोतरी हुई है। अगर आप भी औषधीय पौधों की खेती करना चाहते हैं, तो सर्पगंधा की खेती पारंपरिक खेती से बेहतर विकल्प है।सर्पगंधा की फसल 18 माह में तैयार हो जाती है. मात्र 80 हजार रुपये करीब खर्च कर डेढ़ साल में 4-5 लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं। सर्पगंधा के फल, तना, जड़ सभी चीजों का उपयोग होता है, इसलिए मुनाफा ज्यादा होता है।

Kisan News: किसान 80 हजार में शुरू करें सर्पगंधा की खेती, 4 हजार रुपए किलो बिकता है इसका बीज

उपयुक्त मिट्टी और जलवायु: रेतीली दोमट और काली कपासिया मिट्टी को सर्पगंधा की खेती के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।सर्पगंधा की खेती चिकनी दोमट मिट्टी, बलुई दोमट मिट्टी व भारी मिट्टी आदि में भी की जाती है।यह नमी और नाइट्रोजन युक्त मिट्टी जिसमें जैविक तत्व मौजूद हों और अच्छे जल निकास वाली हो, में उगाने पर अच्छे परिणाम देती है।इसकी अच्छी वृद्धि के लिए मिट्टी का pH 4.6-6.5 होना चाहिए. सर्पगंधा की अच्छी पैदावार के लिए गर्म एवं अधिक आर्द्र जलवायु उपयुक्त है।

ज़मीन की तैयारी: सर्पगन्धा की बिजाई के लिए, अच्छी तरह से तैयार ज़मीन की आवश्यकता होती है। मिट्टी के भुरभुरा होने तक बार-बार जोताई करें। हल से जोतने बाद मिट्टी में खाद, उर्वरक मिलाएं।सर्पगंधा की खेती के लिए उपजाऊ खेत को ही चुने। खेत की तैयारी के समय रूड़ी की खाद 10 टन डालें और मिट्टी में अच्छी तरह मिलाएं।खेत में प्रति एकड़ के हिसाब से नाइट्रोजन 8 किलो (यूरिया 18 किलो), फासफोरस 12 किलो (सिंगल सुपर फासफेट 75 किलो), पोटाश 12 किलो (म्यूरेट ऑफ पोटाश 20 किलो) डालें।सर्पगन्धा के विकास के समय 8 किलो नाइट्रोजन की मात्रा दो बार डालें. पौधों की रोपाई के 15 से 20 दिनों के भीतर निराई-गुड़ाई करें।

खेत की तैयारी: सर्पगंधा की खेती के लिए उपजाऊ खेत को ही चुने। पौधों की रोपाई के 15 से 20 दिनों के भीतर निराई-गुड़ाई करें।वर्षा शुरू होने पर गोबर की सड़ी खाद 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर देकर मिट्टी में मिला दें।पौधे लगाते समय 45 किलो नाइट्रोजन, 45 किलो फॉस्फोरस व 45 किलो पोटाश दें।45 किलो नाइट्रोजन दो बार अक्टूबर एवं मार्च में दें। कोड़ाई कर खरपतवार निकाल दें।बारिश के शुरू होने तक 30 दिन के अंतराल पर और जाड़े के दिनों में 45 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।सर्पगंधा की खेती बीज, जड़ और कलम द्वारा की जाती है। नर्सरी में तैयार किए गए पौधों की रोपाई अगस्त में करनी चाहिए।

खेती का उपयुक्त समय: जून से अगस्त तक इसकी खेती की जाती है। 10 डिग्री सेंटीग्रेड से 38 डिग्री सेंटीग्रेड तक इसकी खेती के लिए बेहतर तापमान है।गर्मियों में, हर महीने के अंतराल पर दो सिंचाइयां करें। सर्दियों के मौसम में, हर महीने के अंतराल पर चार सिंचाइयां करें। गर्म शुष्क मौसम में हर महीने के पखवाड़े में सिंचाई करें।पौधों को लगाने के 2 से 3 वर्ष बाद फसल खुदाई के लिए तैयार हो जाती है। फसल की खुदाई दिसंबर महीने में की जाती है।मुख्य रूप से जड़ों की पुटाई की जाती है। जड़ों की अच्छे से पुटाई के लिए, पुटाई से पहले सिंचाई करें। नए उत्पाद बनाने के लिए सूखी जड़ों का प्रयोग किया जाता है।1200-1800 मिलीमीटर तक वर्षा वाले क्षेत्र में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है।

स्पर्गंधा की खेती: R.S.1 किस्म में बीजों की संख्या 50-60% होती है और इसकी सूखी जड़ों की पैदावार 10 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है।सर्पगंधा की खेती से प्रति एकड़ में 30 किलोग्राम तक बीज आसानी से मिल सकता है। बाजार में सर्पगंधा के बीज की कीमत 3-4 हजार रुपए प्रति किलो है। एक एकड़ में करीब 25-30 क्विंटल सर्पगंधा का उत्पादन होता है और प्रति किलो 70-80 रुपये में इसकी बिक्री होती है।जानकारों के मुताबिक, किसान करीब 80 हजार रुपये खर्च कर डेढ़ साल में 4-5 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं।बाजार में सर्पगंधा की अच्छी कीमत और कई प्रकार की दवाओं में प्रयोग होने के कारण इसकी खेती किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रही है।यह रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) को कम करता है। पेट दर्द और पेट के कीड़े को मारने के लिए गोल मिर्च के साथ जड़ का काढ़ा बनाकर दिया जाता है।


खबर शेयर करें
Share This Article
By Harry
Follow:
नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।