शामगढ़ के आलू प्रौद्योगिकी संस्थान में वैज्ञानिकों ने एक नई दिशा में काम किया है: हवा में आलू की खेती। इस नयी तकनीक, एयरोपोनिक्स, के माध्यम से उन्होंने उन्नत गुणवत्ता के बीज का उत्पादन किया है, जो किसानों तक पहुंचाया जा सकता है। हाल ही में, इस संस्थान ने करनाल के क्षेत्र में ‘कुफरी’ नामक नया आलू का विकास किया है, जो किसानों के लिए बड़ी राहत हो सकती है। यह नया आलू किसानों की आय को दोगुना कर सकता है और लोगों को पोषण से भरपूर आलू उपलब्ध कराएगा। जल्द ही, इस नई किस्म को किसानों के लिए उपलब्ध किया जाएगा।
क्या है इन आलू की खासियत
यह आलू, जो एयरोपोनिक तकनीक से उगाए जा रहे हैं, मिट्टी और जमीन के बिना ही उगाये जा सकते हैं। किसान इस नई तकनीक के जरिए आलू की खेती करने की तैयारी कर रहे हैं। ‘कुफरी’ नामक इस नयी प्रजाति के बीज को अभी तक किसानों तक पहुंचाया नहीं गया है। यह नई प्रजाति के आलू अभी तक शामगढ़ के आलू प्रौद्योगिकी संस्थान में ही उगाए जा रहे हैं। जब इनके बीज मिनी ट्यूबर्स में परिवर्तित हो जाएंगे, तो इन्हें किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।
आलू प्रौद्योगिकी संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि कुफरी किस्म के आलू के करीब 5 से 6 लाख मिनी ट्यूबर्स बनाने का टारगेट है क्योंकि बाजार में इस वैराइटी की काफी डिमांड है. आलू की इस किस्म की खास बात ये है कि ये पिंक कलर के हैं और इसका प्रोडक्शन ज्यादा मात्रा में होता है.आने वाले समय में इस वैराइटी की बहुत ज्यादा डिमांड बढ़ेगी और किसानों को भी इसका काफी अच्छा रेट मिलेगा.
कम समय में मिलेगी ज्यादा पैदावार
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस विशेष आलू की पैदावार चार से पांच गुना बढ़ गई है। इसे उगाने के लिए एयरोपोनिक ग्रोबॉक्स के अंदर माइक्रो प्लांट को ट्रांसप्लांट किया जाता है, जिसे न्यूट्रेंट सॉल्यूशन से फीड किया जाता है। इसमें मिट्टी और कोकोपिट का उपयोग नहीं होता, इसे हार्डनिंग करने के बाद ट्रांसप्लांट किया जाता है।
यह खासियत रखती है कि यह 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाती है। आलू की ‘कुफरी’ किस्म जो ‘पुखंराज’ वैराइटी के आलूओं को भी टक्कर दे सकती है। किसानों के लिए, आलू की ‘कुफरी उदय’ वैराइटी जल्दी में ज्यादा पैदावार और अधिक मुनाफा कमाने का बेहतर विकल्प साबित हो सकती है।
आलू की नई किस्म
आलू प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया कि आलू की इस नई किस्म के बीज लेने के लिए यूपी, मध्यप्रदेश, राजस्थान और पंजाब जैसे राज्यों से किसान आ रहे हैं. लेकिन संस्थान की प्राथमिकता हरियाणा के किसान हैं क्योंकि ये खास किस्म उन्हीं के लिए उगाई गई है, ताकि हरियाणा के किसानों को हाई क्वालिटी का बीज मिल सके. एयरोपोनिक तकनीक से नई वैराइटी के आलू का ट्रायल किया जा रहा है, जिनके काफी अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं. इनमें कुफरी उदय और कुफरी पुष्कर किस्में फातियाबाद, सिरसा और हिसार के किसानों को काफी पसंद आ रही है.
आलू की नई किस्म
वैज्ञानिकों का कहना है कि संस्थान में कुफरी चिप सोना-1 और कुफरी प्राई सोना जैसी आलू की किस्मों के मिनी ट्यूबर्स भी जनवरी-फरवरी तक उपलब्ध हो जाएंगे. इनका रंग काफी आकर्षक है और कम समय में ज्यादा पैदावार होती है. कुफरी प्राई सोना वैराइटी के आलुओं का उपयोग चिप्स बनाने में होता है. इसके अलावा कुफरी संगम, कुफरी मोहन और कुफरी पुष्कर के बीज संस्थान में उपलब्ध हैं. किसान केंद्र जाकर या फिर ऑनलाइन भी इन बीजों को खरीद सकते हैं