पशु चारे के मूल्यों में जबरदस्त वृद्धि का क्या कारण है?
देश में पशुधन की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन इसके अनुपात में पशु चारे की उपलब्धता में कमी देखने को मिल रही है। वर्ष 2024-25 की बात करें तो इस साल भी कई राज्यों में बारिश कम होने और गर्मी की समय से पहले शुरुआत ने पशु चारे के संकट को और गहरा कर दिया है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड जैसे राज्यों में वर्षा सामान्य से कम रही है, जिससे चारे का उत्पादन प्रभावित हुआ है।
पशु चारे की आपूर्ति पर रोक लगाने के क्या कारण हैं?
महाराष्ट्र जैसे राज्य में लगातार कम बारिश और खरीफ एवं रबी फसलों की बुवाई में कमी के चलते पशु चारे की भारी कमी सामने आई है। विशेषकर ज्वार, बाजरा और दलहन की कम उपज के कारण चारे की उपलब्धता में गिरावट आई। वर्तमान में राज्य के कुछ जिलों में चारे के दाम अचानक बहुत ज़्यादा बढ़ गए हैं, जिस वजह से प्रशासन को चारे की आपूर्ति पर नियंत्रण लगाना पड़ा है ताकि स्थानीय पशुपालकों को पर्याप्त मात्रा में चारा मिल सके।
कई जिलों में आपूर्ति पर प्रतिबंध
महाराष्ट्र के 40 से अधिक तालुके सूखे की चपेट में हैं। राज्य के परभणी, अकोला, बीड, जलगांव और लातूर जैसे जिलों में प्रशासन ने टोटल मिक्स राशन (TMR), मुर्गी फीड और अन्य उत्पादित चारे की बाहरी आपूर्ति पर रोक लगा दी है। इसका उद्देश्य है कि जिले के भीतर चारे की पर्याप्त आपूर्ति बनी रहे और स्थानीय पशुपालकों को राहत मिल सके।
नीलामी में अब बाहर के लोग नहीं ले सकेंगे हिस्सा
महाराष्ट्र के कई जिलों में प्रशासन ने यह निर्णय लिया है कि अब पशु चारे की नीलामी में बाहरी जिलों के लोग हिस्सा नहीं ले सकेंगे। यह निर्णय विशेष रूप से अकोला जिले में लागू किया गया है, जहां फरवरी 2025 से ही चारे की भारी कमी महसूस की जा रही है। इस निर्णय से जिले के भीतर चारा उपलब्ध रहेगा और पशुपालकों की चिंता कुछ हद तक कम होगी।
गांवों में भी पशु चारे की भारी कमी
गांवों में भी बारिश की कमी और सूखे के कारण चारे का संकट बढ़ गया है। बहुत कम मात्रा में चारा खेतों में बचा है और पशुपालक तुरी चारा और सोयाबीन भूसी को अधिक कीमत पर खरीदने के लिए मजबूर हैं। वर्तमान में तुरी चारे का दाम 1100–1400 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है, जो सामान्य समय में 600–800 रुपये होता था। इसके बावजूद दूध के रेट में कोई विशेष बढ़ोतरी नहीं हुई, जिससे पशुपालकों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है।
महंगा चारा और कम दूध उत्पादन: दोहरी मार
गर्मी के कारण पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता वैसे ही कम हो जाती है, और ऊपर से महंगे चारे ने पशुपालकों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। पशुओं के लिए दूर-दराज से चारा लाना पड़ रहा है, जिससे लागत काफी बढ़ गई है। इस वजह से पशुपालकों को महंगा चारा खरीदकर कम दूध उत्पादन का सामना करना पड़ रहा है, यानी उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।
कृषि विभाग करेगा किसानों की सहायता
राज्य सरकार और कृषि विभाग ने इस संकट को देखते हुए किसानों को चारा उत्पादन के लिए प्रोत्साहन देने का निर्णय लिया है। कई जिलों में चारा बीजों के वितरण, सिंचाई सहायता और फीडिंग यूनिट्स की स्थापना के लिए सब्सिडी दी जा रही है। महाराष्ट्र सरकार ने 2025 के बजट में चारा संकट से निपटने के लिए अलग से फंड का प्रावधान किया है। साथ ही, केंद्र सरकार भी राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF) के अंतर्गत सूखा प्रभावित क्षेत्रों में सहायता भेजने की प्रक्रिया में है।