जानिए, पपीते की खेती से संबंधित जानकारी..
हमारे देश में किसानों द्वारा परंपरागत खेती के अतिरिक्त फलों की खेती, सब्जियों की खेती, दलहन फसलों, तिलहन फसलों और अन्य व्यापारिक खेती भी की जा रही है। इसी दौर में सरकार की ओर से किसानों की आय में वृद्धि के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा किसानों के लिए कई प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही हैं। गर्मी के मौसम में फलों की बाजार में मांग काफी होती है। गर्मी के मौसम में फलों की खेती करना फायदेमंद होता है। इसी क्रम में फलों की खेती में पपीता एक ऐसा फल है जो बाजार में वर्ष भर मिल जाता है। पपीते के मूल्य भी काफी अच्छे मिल जाते हैं। सामान्य रूप से पपीते का बाजार भाव प्रति किग्रा लगभग 30 से 40 रुपए तक होता है। मांग के अनुसार इसके अधिक मूल्य भी प्राप्त हो जाते हैं। किसान भाई पपीते की खेती से प्रति हेक्टेयर 4 से 6 लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं। यदि किसान भाई पपीते की खेती करें तब इससे काफी अच्छा लाभ प्राप्त हो सकता है। आइए, पपीते की खेती के सही तरीके और प्राप्त कमाई से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।
पपीते की विभिन्न किस्में
पपीते की उन्नत किस्में जैसे – C.O.-1, C.O.-3, वाशिंगटन, मधुबिंदु, कुर्ग, हनीड्यू, बड़वानी लाल और पीला आदि। पपीते की संकर किस्में जैसे – पूसा डेलिशियस, पूसा मैजेस्टी, पूसा नन्हा, सूर्या और C.O.-7 आदि। पपीते के कच्चे फलों से पपेन प्राप्त के लिए किस्में जैसे – C.O.-2, C.O.-5 और C.O.-7 आदि।
पपीते की खेती के लिए मिट्टी, जलवायु और तापमान का निर्धारण
पपीते की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली दोमट या हल्की दोमट मिट्टी होना चाहिए। मिट्टी का pH मान 6.5 से 7.5 के मध्य होना चाहिए। पपीते की खेती के लिए पाला ठीक नहीं होता है। पाले से पपीते की फसल का बचाव करना चाहिए। ठंड के मौसम में रात में तापमान 12°C से कम होने पर पौधों के विकास और फल के उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। पपीते की खेती के लिए उपयुक्त तापमान बीजों के अंकुरण के लिए 35°C होता है। पपीते की खेती के लिए उपयुक्त तापमान 10°C से 26°C होता है।
पपीते की बुवाई का सही समय
पपीते की खेती वर्ष भर की जा सकती है। पपीते की कई उन्नत किस्में हैं जिनकी बुवाई का सही समय जून और जुलाई के माह से लेकर अक्टूबर से नवंबर के माह तक होता है। इसके अतिरिक्त पपीते की बुवाई फरवरी से मार्च के माह में भी की जा सकती है।
पपीते की खेती में बीजों की मात्रा
पपीते की खेती में बुवाई से पूर्व पौधे को तैयार किया जाता है। पपीते के पौधे तैयार करने के लिए बीजों की मात्रा की जानकारी होना आवश्यक है। पपीते की खेती में उन्नत किस्मों की बुवाई करने पर बीजों की मात्रा प्रति हेक्टेयर 300 ग्राम और परंपरागत किस्मों की बुवाई करने पर बीजों की मात्रा प्रति हेक्टेयर 500 ग्राम होना चाहिए।
पपीते के पौधे कैसे तैयार करें?
पपीते के पौधे तैयार करने के लिए पौधों को पॉलिथीन की थैलियों और क्यारियों में तैयार कर सकते हैं। यदि पपीते के पौधे को पॉलिथीन की थैलियों में तैयार करना हो तब इसके लिए 20×15 सेमी आकार की 200 गेज मोटी थैलियां लेनी होगी जिसमें नीचे और चारों ओर छेद किए गए हो। अब इस थैली में गोबर की खाद, वर्मी कंपोस्ट, रेत और मिट्टी को 1:1:1:1 के अनुपात में मिलाकर मिश्रण तैयार करके थैली में भर दें। इसके पश्चात् प्रत्येक थैली में पपीते के 1 से 2 बीजों की बुवाई करें। यदि पपीते के पौधे को क्यारियों में तैयार करना हो तब क्यारियों की लंबाई 3 मीटर, चौड़ाई 1 मीटर और ऊंचाई 20 सेमी होना चाहिए। इन क्यारियों में पपीते के बीजों की बुवाई करें। जब पौधा रोपण के लिए तैयार हो जाए तब इसकी बुवाई मुख्य खेतों में करें।
पपीते के पौधे की रोपाई कैसे करें?
पपीते के पौधे के रोपण से पूर्व खेत तैयार करने के लिए खेत को मिट्टी पलटने वाले हल की सहायता से जुताई करें। इसके पश्चात् कल्टीवेटर की सहायता से 2 से 3 गहरी जुताई करें। खेत को समतल बनाने के लिए पाटा का प्रयोग करें। इस तैयार खेत में गड्ढों का निर्माण करें। गड्ढों का आकार 45X45X45 सेमी होना चाहिए। इन गड्ढों में पंक्तियों और पौधों की दूरी का ध्यान रखें। पंक्तियों से पंक्तियों और पौधों से पौधों की आपसी दूरी 2X2 मीटर होना चाहिए। अब इस पर पपीते के तैयार किए गए पौधों की रोपाई करें।
पपीते के मध्य में खाली स्थान पर करें इन फसलों की बुवाई
पपीते की खेती में पौधों के मध्य में काफी स्थान खाली होता है। किसान भाई अतिरिक्त लाभ प्राप्त करने के लिए पपीते के मध्य में खाली स्थान पर पालक, मेथी, चना, मटर, सोयाबीन और फ्रेंचबीन जैसी फसलों की खेती अंतवर्ती फसल के रूप में कर सकते हैं। पपीते की खेती के साथ भिंडी, बैंगन, टमाटर और मिर्च जैसी फसलों की खेती नहीं करना चाहिए।
पपीते की खेती पर सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी
बिहार सरकार की ओर से एकीकृत बागवानी विकास मिशन (Mission for the Integrated Development of Horticulture) योजना के तहत पपीते की खेती में खर्च प्रति हेक्टेयर 60 हजार रुपए तय किया गया है जिस पर किसान भाइयों को प्रति हेक्टेयर 45 हजार रुपए अनुदान (subsidy) प्रदान किया जाता है। इस योजना के अनुसार राज्य के किसानों को पपीते की खेती के लिए 75% अनुदान (subsidy) प्रदान किया जाता है।