मिर्च की खेती क्यों करें?
मसाला फसलों में मिर्च का विशेष स्थान है। यह किसानों के लिए एक लाभकारी नकदी फसल मानी जाती है। मिर्च की बाजार में मांग पूरे साल बनी रहती है, जिससे इसकी खेती किसी भी दृष्टिकोण से फायदे का सौदा साबित होती है।
हमारे देश में हरी मिर्च की खेती
भारत में हरी और लाल मिर्च दोनों प्रकार का उपयोग किया जाता है। मसाले में उपयोग होने वाली मिर्च का तीखा होना जरूरी होता है। मिर्च की खेती से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए उन्नत और अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों का चयन करना महत्वपूर्ण है।
मिर्च की उन्नत 5 किस्में
किसान अपनी क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के अनुसार संकर एवं मुक्त परागित किस्मों का चयन कर अच्छे लाभ की प्राप्ति कर सकते हैं। यहां हम आपको मिर्च की कुछ ऐसी किस्मों की जानकारी दे रहे हैं, जो उच्च उत्पादन देने के साथ-साथ रोग-प्रतिरोधी भी होती हैं।
(1) अर्का श्वेता किस्म
अर्का श्वेता किस्म IHR 3903 (CGMS वंश) और IHR 3315 के संकरण का F1 संकर किस्म है। इस किस्म को 2005 में इसे राष्ट्रीय स्तर पर विमोचित किया गया था। अर्का श्वेता किस्म के फल चिकने और रंग हल्का हरा और परिपक्व होने पर लाल होता है। यह किस्म विषाणु रोगों के प्रति सहनशील होती है।
अर्का श्वेता किस्म की खासियत
- अर्का श्वेता किस्म उच्च उपज क्षमता वाली एक संकर किस्म है।
- मिर्च की अर्का श्वेता किस्म की लंबाई लगभग 13 सेमी और मोटाई 1.2 से 1.5 सेमी तक होती है।
- मिर्च की अर्का श्वेता किस्म विषाणु रोगों के प्रति सहनशील होती है।
- मिर्च की अर्का श्वेता किस्म से उपज प्रति हेक्टेयर 28 से 30 टन हरी मिर्च एवं 4 से 5 टन सूखी लाल मिर्च प्राप्त की जा सकती है।
(2) अर्का मेघना किस्म
अर्का मेघना किस्म IHR 3905 (CGMS वंश) और IHR 3310 के संकरण का F1 संकर किस्म है। इस किस्म को 2005 में इसे राष्ट्रीय स्तर पर विमोचित किया गया था। अर्का मेघना किस्म के फल का रंग गहरा हरा और परिपक्व होने पर लाल होता है। यह किस्म चूषक कीटों और विषाणु रोगों के प्रति सहनशील होती है।
अर्का मेघना किस्म की खासियत
- अर्का मेघना किस्म उच्च उपज क्षमता वाली एक संकर किस्म है।
- मिर्च की अर्का मेघना किस्म हरे एवं लाल दोनों प्रकार के फलों के लिए उपयुक्त किस्म है।
- मिर्च की अर्का मेघना किस्म के फल की लंबाई लगभग 10 सेमी और रंग गहरा हरा होता है।
- मिर्च की अर्का मेघना किस्म विषाणु रोगों और चूर्णिल आसिता के प्रति सहनशील होती है।
- मिर्च की अर्का मेघना किस्म के पकने की अवधि लगभग 150 से 160 दिन है।
- मिर्च की अर्का मेघना किस्म से उपज प्रति हेक्टेयर 30 से 35 टन हरी मिर्च एवं 5 से 6 टन सूखी लाल मिर्च प्राप्त की जा सकती है।
(3) काशी अर्ली
काशी अर्ली किस्म PBC-473 और KA-w के संकरण का F1 संकर किस्म है। इस किस्म को IIVR वाराणसी में विकसित किया गया था। काशी अर्ली किस्म के फल चिकनी सतह के साथ तीखे होते हैं, जो हरे तनों पर नोडल रंजकता के बिना लटके हुए फल लगते हैं। काशी अर्ली के फल की लंबाई लगभग 8 से 9 सेमी और मोटाई लगभग 1.0 से 1.2 सेमी होती हैं। इस किस्म के फल का रंग गहरा हरा और परिपक्व होने पर लाल होता है।
काशी अर्ली किस्म की खासियत
- काशी अर्ली किस्म एक जल्दी पकने वाली किस्म है।
- मिर्च की इस किस्म के पौधे की लंबाई 60 से 75 सेमी और छोटी गांठों वाले होते हैं।
- मिर्च की काशी अर्ली किस्म के फल की लंबाई लगभग 7 से 8 सेमी और रंग गहरा हरा होता है।
- मिर्च की काशी अर्ली किस्म से फलों की पहली तुड़ाई पौधे की रोपाई से 45 दिन पश्चात् की जा सकती है, जो सामान्य संकर किस्मों से लगभग 10 दिनों पहले होती है।
- मिर्च की काशी अर्ली किस्म से उपज प्रति हेक्टेयर 300 से 350 क्विंटल हरी मिर्च प्राप्त की जा सकती है।
(4) काशी सुर्ख
काशी सुर्ख किस्म सेमी लाइन (CCA 4261) और पूसा ज्वाला के संकरण का F1 संकर किस्म है। काशी सुर्ख किस्म लाल फलों के उत्पादन के लिए उपयुक्त किस्म है, जो हरे तनों पर नोडल रंजकता के बिना लटके हुए फल लगते हैं। काशी सुर्ख किस्म के फल की लंबाई लगभग 11 से 12 सेमी होती है। इस किस्म के फल का रंग हरा और परिपक्व होने पर लाल होता है।
काशी सुर्ख किस्म की खासियत
- काशी सुर्ख किस्म एक संकर किस्म है।
- मिर्च की काशी सुर्ख किस्म के फल की लंबाई लगभग 10 से 12 सेमी, मोटाई 1.5 से 1.8 सेमी और रंग हल्का हरा होता है।
- मिर्च की काशी सुर्ख किस्म से उपज प्रति हेक्टेयर 300 से 350 क्विंटल हरी मिर्च प्राप्त की जा सकती है।
- मिर्च की काशी सुर्ख किस्म से फलों की पहली तुड़ाई पौधे की रोपाई से 50 से 55 दिन पश्चात् की जा सकती है, जो सामान्य संकर किस्मों से लगभग 10 दिनों पहले होती है।
- मिर्च की इस किस्म के पौधे की ऊंचाई 70 से 100 सेमी और सीधे होते हैं।
- मिर्च की काशी सुर्ख किस्म से उपज प्रति हेक्टेयर 20 से 25 टन हरी मिर्च एवं 3 से 4 टन सूखी लाल मिर्च प्राप्त की जा सकती है।
(5) पूसा सदाबहार किस्म
पूसा सदाबहार किस्म का विकास भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा किया गया है। पूसा द्वारा विकसित मिर्च की पूसा सदाबहार किस्म देश के किसी भी क्षेत्र में लगाई जा सकती है। मिर्च की पूसा सदाबहार किस्म के पकने की अवधि लगभग 60 से 70 दिन है। मिर्च की इस किस्म से प्राप्त उपज प्रति हेक्टेयर लगभग 40 क्विंटल होती है।
पूसा सदाबहार किस्म की खासियत
- मिर्च की पूसा सदाबहार किस्म के फल की लंबाई लगभग 6 से 8 सेमी होती है।
- मिर्च की पूसा सदाबहार किस्म के पौधे लंबे व फल गुच्छों में होते हैं।
- मिर्च की पूसा सदाबहार किस्म विषाणु रोगों, मोडक़, थ्रिप्स, माइटस और फल-सडऩ के प्रति सहनशील होती है।
- मिर्च की पूसा सदाबहार किस्म से फलों की पहली तुड़ाई पौधे की रोपाई से 60 दिन पश्चात् की जा सकती है।
- मिर्च की पूसा सदाबहार किस्म से लगभग एक गुच्छे में 12 से 14 मिर्च और उपज प्रति हेक्टेयर 8 से 10 टन हरी मिर्च प्राप्त की जा सकती है।