MSP 2023: किसानों की हुई मौज, सरकार ने एमएसपी में की बढ़ोतरी, देखिए अब कितने भाव पर खरीदी जाएंगी फसलें

4 Min Read
खबर शेयर करें

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने विपणन सत्र 2023-24 के दौरान सभी स्वीकृत खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है।

सरकार ने फसल उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और फसलों में विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विपणन सत्र 2023-24 हेतु खरीफ फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है। यह वृद्धि नीचे दी गई तालिका में दर्शाई गई कीमतों के अनुसार है।

खरीफ विपणन सत्र (केएमएस) 2023-24 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (रु. प्रति क्विंटल)

फसलेंएमएसपी  2014-15एमएसपी  2022-23एमएसपी  2023-24लागत* केएमएस 2023-242022-23 के मुकाबले एमएसपी में बढ़ोतरीलागत से अधिक लाभ प्रतिशत में
धान – सामान्य136020402183145514350
धान-ग्रेड ए ^140020602203143
ज्वार-हाइब्रिड153029703180212021050
ज्वार-  मालदांडी ^155029903225235
बाजरा125023502500137115082
रागी155035783846256426850
मक्का131019622090139412850
तुअर/अरहर435066007000444440058
मूंग460077558558570580350
उड़द435066006950459235051
मूंगफली400058506377425152750
सूरजमुखी के बीज375064006760450536050
सोयाबीन (पीला)256043004600302930052
तिल460078308635575580550
काला तिल360072877734515644750
कपास (मध्यम  रेशा)375060806620441154050
कपास (लंबा रेशा)405063807020640

लागत को संदर्भित करता है, जिसमें भुगतान किये गए सभी व्यय जुड़े हुए होते हैं। उदाहरण के तौर पर इनमें किराए पर लिया गया मानव श्रम, बैल श्रम / मशीन श्रम, भूमि पर पट्टे के लिए भुगतान किया गया खर्च, फसल उत्पादन में इस्तेमाल सामग्री जैसे बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई शुल्क, उपकरणों एवं कृषि भवनों पर मूल्यह्रास, कार्यशील पूंजी पर ब्याज, पंप सेटों के संचालन के लिए डीजल/बिजली आदि पर किए गए खर्च, विविध मूल्य तथा पारिवारिक श्रम के अनुमानित व्यय को शामिल किया जाता है।

धान (ग्रेड ए), ज्वार (मालदंडी) और कपास (लंबा रेशा) के लिए अलग से लागत डेटा संकलित नहीं किया गया है।

विपणन सत्र 2023-24 के दौरान खरीफ फसलों के दौरान एमएसपी में वृद्धि किसानों को उचित पारिश्रमिक मूल्य उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय बजट 2018-19 की अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर एमएसपी तय करने की घोषणा के अनुरूप है। बाजरा (82%) के बाद तुअर (58%), सोयाबीन (52%) और उड़द (51%) के मामले में किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर अपेक्षित लाभ सबसे अधिक होने का अनुमान है। शेष अन्य फसलों के लिए किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर कम से कम 50% मार्जिन प्राप्त होने का अनुमान है।

हाल के वर्षों में, सरकार लगातार इन फसलों के लिए उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य की पेशकश करके दलहनों, तिलहनों और अन्य पोषक धान्य/श्री अन्न जैसे अनाजों के अलावा कई फसलों की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके अतिरिक्त, सरकार ने किसानों को उनकी फसलों में विविधता लाने के उद्देश्य से प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) जैसी विभिन्न योजनाएं एवं गतिविधियां भी शुरू की हैं।


खबर शेयर करें
Share This Article
By Harry
Follow:
नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।