Kisan News: किसान अपनी फसल से पीलेपन की समस्या इस प्रकार करें दूर, देखिए वैज्ञानिकों की सलाह

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भारत में धान की रोपाई आधे से अधिक एरिया में पूरी हो चुकी है और अब किसानों को इसमें लगने वाले रोगों और समस्याओं का सामना करना होगा। यदि धान की फसल में पौधों का रंग पीला पड़ रहा हो और पौधे की ऊपरी पत्तियां पीली और नीचे की हरी हो तो इसका समाधान आसान है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा ने इस समस्या का समाधान बताया है।

जिंक सल्फेट से फसल को सही करें

धान की पीली होती हुई फसल को सही करने के लिए जिंक सल्फेट (हेप्टा हाइड्रेट 21%) का उपयोग किया जा सकता है। जिंक सल्फेट को 6.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर पर 300 लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे करें। इससे धान की पीली होती हुई फसल में सुधार हो जाएगा।

किसानों को सलाह है कि बाजरा, मक्का, सोयाबीन और सब्जियों में खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई का कार्य शीघ्र शुरू करें। इससे उन्हें बुवाई के समय ही खरपतवार का सामना करने में मदद मिलेगी। जो किसान ने इन फसलों की बुवाई की है, उनमें खरपतवार या घास आ रही होगी। इसे निकालना न भूलें, ताकि पौधों को नुकसान न हो। अपनी फसलों में सफेद मक्खी और चूसक कीटों की नियमित निगरानी करें।

ज्वार की बुवाई के लिए उचित समय

कुछ फसलों की बुवाई के लिए भी एडवाइजरी जारी की गई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह समय ज्वार की बुवाई के लिए उपयुक्त है। इसलिए किसान भाई पूसा चरी-9, पूसा चरी-6 या अन्य सकंर किस्मों की बुवाई करें। बीज की मात्रा को 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें। जिन किसानों की टमाटर, हरी मिर्च, बैंगन और अगेती फूलगोभी की पौध तैयार हैं, उन्हें मौसम के अनुसार रोपाई मेंडों (ऊथली क्यारियों) पर करने का ध्यान रखना चाहिए और जल निकास का उचित प्रबंध करना चाहिए

फसलों के लिए प्रमाणित बीज का उपयोग करें

वर्षाकालीन प्याज की पौध की रोपाई करने के साथ ही यह मौसम स्वीटकॉर्न और बेबीकॉर्न की बुवाई का भी है। ग्वार, मूली, लोबिया, भिंडी, सेम, पालक और चौलाई की भी बुवाई कर सकते हैं। बीज किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें और पानी निकासी का सही इंतजाम रखें। इसके अलावा, कद्दूवर्गीय फसलों में कीटों और बीमारियों की निरंतर निगरानी करने के लिए ध्यान देना चाहिए और कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क रखकर सही जानकारी प्राप्त करने के बाद ही दवाइयों का प्रयोग करना चाहिए। गेदे के फूलों की पौध छायादार जगह पर तैयार करें और फलों जैसे आम, नींबू और अमरूद के नए बाग लगाने के लिए अच्छी गुणवत्ता के पौधों का इंतजाम करके इनकी रोपाई शीघ्र करें।

संपूर्ण कर्णीय

उपरोक्त उपायों का पालन करके किसान धान जैसी महत्वपूर्ण फसल की सुरक्षा कर सकते हैं और अधिक उत्पादन भी प्राप्त कर सकते हैं। विभिन्न फसलों के लिए वैज्ञानिक सलाह का पालन करना बेहद महत्वपूर्ण है ताकि किसान अधिक से अधिक लाभान्वित हो सकें। समय पर फसलों की देखभाल और उचित तकनीकों का उपयोग करके किसान अपनी मेहनत का फल प्राप्त कर सकते हैं।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।