Milk Production : भारत एक कृषि प्रधान देश है। यह वाक्य स्कूली शिक्षा के दौरान बहुतेरे बार सुने होंगे लेकिन किसानों को सुविधा अन्य क्षेत्रों के मुकाबले कम दी जाती है। ये आरोप भी जरूर सुने होंगे। लेकिन इस बार आपको एक ऐसी राज्य सरकार के बारे में बताने जा रहा हूं जहां की सरकार किसानों को दूध के बदले अच्छी रकम देगी।
दरअसल हिमाचल प्रदेश की सरकार ने यह ऐलान किया है कि वह पशुपालकों से Rs 80 से ₹100 के बीच में दूध खरीदेगी।राज्य सरकार ने पशु पालकों और किसानों को खुशखबरी देते हुए यह फैसला किया है कि गाय का दूध ₹80 और भैंस का दूध ₹100 प्रति लीटर खरीदेगी। इसके लिए राज्य सरकार कांगड़ा जिले के डगवार में 250 करोड़ रुपए की लागत से अत्याधुनिक मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की तैयारी कर रही है।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Himachal Pradesh Chief Minister Sukhvinder Singh Sukhu) ने यह ऐलान किया कि मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट (Milk Processing Plant) नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (National Dairy Development Board) के सहयोग से स्थापित की जाएगी। एवं मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट (Milk Processing Plant) के संचालन और मार्केटिंग में भी डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की सहायता ली जाएगी।मुख्यमंत्री ने आगे कहा डगवार में बन रहे मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट (Milk Processing Plant) की छमता 1 लाख लीटर से 3 लाख लीटर के बीच होगी। एवं यहां पर दूध से बने हाई क्वालिटी उत्पादों (High Quality Products) का उत्पादन भी किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने संबोधित करते हुए कहा कि हमने चुनाव के समय यह वादा किया था कि अगर कांग्रेस की सरकार आएगी तो गाय का दूध ₹80 और भैंस का दूध ₹100 प्रति लीटर खरीदा जाएगा और आज हमने किसानों एवं पशुपालकों से किए हुए वादे को निभाया है। मुख्यमंत्री ने कहा आसपास के जिले के किसानों को भी यह प्लांट खुलने से काफी फायदा होगा। एवं इस प्लांट के लिए दूध कलेक्शन कैसे हो इसके लिए एक सर्वे भी कराया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि इस प्लांट में प्लास्टिक का उपयोग नहीं किया जाएगा। उन्होंने अन्य राज्य सरकारों से भी अपील की प्लास्टिक के विकल्प को तलाशने होंगे ताकि राज्य के जलवायु एवं वातावरण पर नकारात्मक प्रभाव ना पड़े।मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यह भी कहा कि राज्य की 90% आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है। सरकार ने फैसला इसलिए उठाया ताकि गांव में रहने वाले ग्रामीणों की आय को बढ़ाया जा सके एवं राज्य के ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और मजबूत किया जा सके।

