खेत को उपजाऊ बनाने के उपाय : खेत को उपजाऊ बनाने के लिए अपनाए ये आसान तरीके , होगा भरपूर उत्पादन

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जानिए, खेत में फसल अवशेषों से प्राकृतिक खाद कैसे तैयार करें??

वर्तमान में देश के कई राज्यों में रबी की फसल के साथ अन्य फसलों की कटाई हो रही है। रबी की फसल की कटाई के पश्चात् खेत खाली हो जाएंगे। किसान भाई खाली खेत में कुछ तकनीकों का प्रयोग कर मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि कर सकते हैं। किसान भाई कई बार अगली फसल की बुवाई के लिए पिछली फसल की कटाई करके फसल के अवशेषों को जलाकर नष्ट कर देते हैं। फसल के अवशेषों को जलाने से वायु प्रदूषण होने के साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती है। खेत को उपजाऊ करने की इन तकनीकों के प्रयोग से किसान भाइयों को दो फायदे होंगे जैसे – फसल की उपज अच्छी होने के साथ ही खेत की उर्वरा शक्ति में भी वृद्धि होगी। यदि किसान भाई इन फसल अवशेषों का प्रयोग सही तरीके से करें तब इससे बेहतर खाद तैयार की जा सकती है जो उपज में वृद्धि के साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि में भी सहायक होगी। किसान द्वारा इन तकनीकों के प्रयोग से अगली बुवाई की जाने वाली फसल में फायदा होगा। आइए, खेत को उपजाऊ बनाने के इन आसान तरीकों से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।

फसल अवशेषों से बेहतर खाद का निर्माण कैसे करें??

खेत को उपजाऊ बनाने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा किसान भाइयों को यह सलाह दी जा रही है कि किसान रबी फसलों की कटाई के पश्चात् शेष बचे हुए फसल अवशेषों को जलाने के स्थान पर मिट्टी में दबाकर खाद का निर्माण कर सकते हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा दी जा रही सलाह के अनुसार किसान अपने खेत के फसल अवशेषों यानी पराली पर रोटावेटर चलाकर इसे खेत की मिट्टी में मिलाएं। फसल के अवशेषों को मिट्टी में मिला देने से ये अगली फसल के लिए खाद का कार्य करेगी। किसान भाई गेहूं के अवशेषों को जलाने की जगह रोटावेटर की सहायता से खेत की मिट्टी में मिलाकर देसी खाद का निर्माण करें। ऐसा करने से उपज में वृद्धि होने के साथ ही लागत में भी कमी आएगी। इसके अतिरिक्त किसान हरी खाद के निर्माण के लिए ढैंचा जैसी फसलों की खेती भी कर सकते हैं।

किसान भाई खाली खेत में मूंग की बुवाई करें

मूंग एक दलहन फसल है। किसान भाई खाली खेत में मूंग की बुवाई करके उर्वरा शक्ति में वृद्धि कर सकते हैं। मूंग से निर्मित हरी खाद धान की उपज में वृद्धि में सहायक होती है। मूंग की कटाई के पश्चात् किसान शेष अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर हरी खाद का निर्माण कर सकते हैं। जो किसान भाई खरीफ सीजन में धान की अच्छी उपज प्राप्त करना चाहते हैं, वे रबी फसल की कटाई के पश्चात् खाली खेत में मूंग की बुवाई करके काफी अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। मूंग के बाजार भाव भी अच्छे मिल जाते हैं साथ ही इसके अवशेषों से निर्मित हरी खाद से अगली फसल की उपज में वृद्धि होगी। मूंग की कई किस्में हैं जो अच्छी उपज देती हैं। मूंग की खेती में संरक्षित विधि का प्रयोग करके खेती की लागत को कम किया जा सकता है। मूंग की फसल के पकने की अवधि लगभग 60 से 70 दिन है। इस प्रकार किसान भाई खाली खेत में मूंग की फसल की बुवाई करके अतिरिक्त मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।

मूंग के अवशेषों से हरी खाद कैसे तैयार की जाए??

मूंग से हरी खाद तैयार करना काफी आसान है। मूंग के अवशेषों से हरी खाद तैयार करने के लिए मूंग की कटाई के पश्चात् शेष पत्ते और डंठल को खेत में मिट्टी में दबा दिया जाता है। मूंग की तुड़ाई के पश्चात् इसके हरे पौधों को मिट्टी में पलटने वाले हल द्वारा खेत में मिट्टी में दबा दिया जाता है। मिट्टी में मिला देने से ये जल्दी सड़ जाते हैं और अगली फसल के लिए खाद का कार्य करते हैं। इससे हरी खाद का निर्माण हो जाता है।

किसान भाई खाली खेत में ढैंचा की बुवाई करें

ढैंचा भी एक दलहन फसल है। किसान खाली खेत में ढैंचा की बुवाई करके हरी खाद के निर्माण के साथ ही बीज भी प्राप्त कर सकते हैं। किसान भाई अपने खेत की उर्वरा शक्ति में वृद्धि करने के लिए ढैंचा की बुवाई कर सकते हैं। ढैंचा की फसल भूमि की उर्वरा शक्ति के लिए काफी लाभकारी मानी जाती है। ढैंचा के हरे पौधों का उपयोग हरी खाद के लिए किया जाता है। इससे मिट्टी उपजाऊ होती है। ढैंचा की बुवाई के लिए किसान भाइयों को कृषि विभाग की ओर से 80% तक अनुदान (Subsidy) भी दी जाती है। किसान भाइयों को ढैंचा के बीज की खरीद पर सब्सिडी प्रदान की जाती है। ढैंचा की कई किस्में हैं जैसे – CSD-123, CSD-137, पंत ढैंचा-1, पंजाबी ढैंचा-1 और हिसार ढैंचा-1 आदि। ढैंचा के पकने की अवधि लगभग 120 से 150 दिन है। इस प्रकार किसान भाई खाली खेत में ढैंचा की बुवाई करके अतिरिक्त मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।

ढैंचा से हरी खाद कैसे तैयार की जाए??

ढैंचा से हरी खाद तैयार करने के लिए ढैंचा की बुवाई की 40 से 50 दिन पश्चात् नरम अवस्था में पटेला चलाकर और मिट्टी पलटने वाले हल चलाकर फसल को खेत में ही दबा दिया जाता है। खेत में नमी कम होने पर हल्की सिंचाई की जाती है। इससे फसल सड़ कर जल्दी खाद में निर्मित हो जाती है। हरी खाद दबाने के अगले दिन ही धान की रोपाई की जा सकती है। इसके अतिरिक्त हरी खाद दबाने के 22 से 25 दिन पश्चात् किसान अगली फसल की बुवाई कर सकते हैं।

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