कपास की खेती : कपास की मांग बढ़ने से कपास उत्पादक किसानों को मिलेगा बंपर मुनाफा

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कपास की खेती से संबंधित जानकारी

कपास नकदी फसल के अंतर्गत आने वाली फसल है। कपास के कुल की बात करें तो यह मालवेसी कुल के अंतर्गत आता है। विश्व में कपास की दो किस्में पाई जाती हैं—पहली देसी कपास और दूसरी अमेरिकन कपास। देसी कपास को गॉसिपियम हरबेरियम और अमेरिकन कपास को गॉसिपियम हिर्सूटम के नाम से जाना जाता है।
कपास का पौधा झाड़ी नुमा पेड़ के समान होता है, इसकी लंबाई 2 से 7 फीट तक होती है। कपास के पुष्प का रंग सफेद या हल्का पीला होता है। कपास के फल को बॉल्स कहते हैं। यह फल चिकने होते हैं और इनका रंग हरा-पीला होता है। कपास के फल के ऊपर ब्रैक्टियोल्स कांटों जैसी संरचना होती है।
कपास में लगे इन फलों के अंदर ही बीज और कपास होती है। कपास से रूई बनती है, इस रूई को सफेद सोना भी कहते हैं। कपास में मुख्य रूप से सेल्यूलोज पाया जाता है। कपास से वस्त्रों का निर्माण होता है और कपास से निर्मित वस्त्र सूती वस्त्र कहलाते हैं।
कपास की एक गांठ का वजन लगभग 170 किलोग्राम तक होता है। कपास की फसल के लिए उपयुक्त मिट्टी काली मिट्टी होती है। हमारे देश में सबसे ज़्यादा कपास उत्पादक राज्य गुजरात है। कपास के तीन प्रकार हैं—लंबे रेशे वाली कपास, मध्य रेशे वाली कपास और छोटे रेशे वाली कपास।

हमारे देश में कपास की खेती से संबंधित राज्य

हमारे देश में कई राज्यों में कपास की खेती की जाती है, किंतु हमारे देश में कपास का अधिक उत्पादन करने वाला राज्य गुजरात है। गुजरात राज्य में हमारे देश के कुल उत्पादन का 31.9% उत्पादन होता है। भारत की लगभग 60% कपास का उत्पादन गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में होता है।
देश की 90% कपास का उत्पादन गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और पंजाब मिलकर करते हैं। इसके अतिरिक्त कपास उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश और हरियाणा भी हैं।

भारत में कपास का 2021 में कितना रहा था उत्पादन?

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के मुताबिक हमारे देश में रूई का उत्पादन सीजन 2020-21 में 360 लाख गांठ रहा। पूर्व के बकाया स्टॉक और आयात स्टॉक को मिलाकर कुल आपूर्ति 2021 में 499 लाख गांठ रही, जिसमें 54 लाख गांठ निर्यात और घरेलू खपत में 330 लाख गांठ होने के पश्चात भी 2020-21 सितंबर तक 115 लाख गांठ कपास शेष बचा रहा।
इन बातों को ध्यान में रखते हुए कपास की मांग में तेजी हुई है।

कपास के कीमत का अनुमान

कपास की खेती किसानों के लिए फायदेमंद है। कपास के चालू सीजन में बाजार में किसानों को कपास के काफी अच्छे भाव मिल जाते हैं और कपास के भाव सरकार द्वारा तय की गई MSP से भी अधिक रहते हैं, जिससे कि किसान भाई उत्साहित होते हैं।
अंतरराष्ट्रीय भाव में तेजी होने से कपास के भाव में वृद्धि होती है, जिससे कपास की अच्छी आवक होने के साथ ही किसान भाइयों को अच्छी कीमत मिल जाती है। भारतीय कपास का निर्यात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने से इसकी कीमतों में वृद्धि होती है और MSP से भी अधिक दाम किसानों को मिल जाते हैं।

MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और बाजार कीमत में कितना रहा था अंतर?

पूर्व आंकड़ों के आधार पर देखा जाए तो सरकार द्वारा तय की गई MSP में लंबे रेशे वाली कपास का MSP लगभग प्रति क्विंटल ₹5825 और मध्यम रेशे वाली कपास का MSP लगभग प्रति क्विंटल ₹5515 रहा।
वहीं पुराने भाव को देखा जाए तो व्यापारियों के अनुसार कपास का भाव प्रति क्विंटल ₹6500 रहा। MSP और बाजार कीमत में कपास के भाव में काफी अंतर रहा है। कपास का उत्पादन कम होने पर इसके भाव में तेजी होती है जिससे किसान भाइयों को फायदा होता है।

अंतरराष्ट्रीय मांग से कपास की कीमत में तेजी

भारत, अमेरिका और ब्राजील जैसे मुख्य कपास उत्पादक देशों में कम उत्पादन होने पर कपास की कीमतों में तेजी देखने को मिल सकती है। सोयाबीन और मक्का की फसल को विशेषता देने से कपास के उत्पादन में कमी देखने को मिल सकती है, जिससे कि कपास की कीमत में वृद्धि की उम्मीद है।
अंतरराष्ट्रीय मांग को ध्यान में रखते हुए कपास की कीमतें बढ़ सकती हैं जिससे किसान भाइयों को फायदा होगा।

किसानों की कपास में बढ़ती रुचि

पूर्व में कपास के ऊंची कीमतों को देखते हुए इस सीजन में कपास की खेती के प्रति किसान दिलचस्पी ले सकते हैं। पिछले वर्ष के मुकाबले कम से कम 10% बुवाई में वृद्धि हो सकती है। भारत, कपास और इससे निर्मित उत्पादों का निर्यात लगभग 166 देशों को करता है, जिससे की कपास की कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष कपास उत्पादन में वृद्धि की संभावना

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