जैविक खेती : किसान लेखराम यादव ने जैविक खेती से की सालाना 17 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई

By
On:
Follow Us

जैविक खेती क्यों है आवश्यक?

आज की आधुनिक कृषि व्यवस्था में अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग ने भूमि की उर्वरता को घटा दिया है और पर्यावरण को भी गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में जैविक खेती एक स्वच्छ, सुरक्षित और स्थायी विकल्प के रूप में उभरकर सामने आई है। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण में सहायक है, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने में भी मददगार साबित हो रही है।

क्या है जैविक खेती?

जैविक खेती एक ऐसी कृषि प्रणाली है जिसमें रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और संश्लेषित पदार्थों का प्रयोग नहीं किया जाता। इसके स्थान पर:

  • प्राकृतिक उर्वरकों जैसे गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट और हरित खाद का उपयोग किया जाता है
  • जैविक कीटनाशकों और नीम आधारित उत्पादों से फसलों की सुरक्षा की जाती है
  • मिट्टी की सेहत को बनाए रखने के लिए फसल चक्र और मल्चिंग जैसी विधियों को अपनाया जाता है

इस प्रकार की खेती से न केवल उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि लंबे समय तक भूमि की उर्वरता भी बनी रहती है।

भारत में जैविक खेती का विकास

भारत में पिछले कुछ वर्षों में जैविक खेती को लेकर जागरूकता और रुचि तेजी से बढ़ी है। कई राज्य सरकारों और केंद्र सरकार द्वारा इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। प्रमुख राज्य जहां जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है:

उत्तराखंड – भारत का पहला जैविक राज्य बनने की दिशा में अग्रसर
हिमाचल प्रदेश – फल और सब्जी उत्पादन में जैविक विधियों का प्रयोग
राजस्थान – मसालों और दलहनों की जैविक खेती में वृद्धि
केरल – जैविक चाय, कॉफी और मसालों के लिए प्रसिद्ध

लेखराम यादव: जैविक खेती के अग्रदूत

राजस्थान के कोटपूतली क्षेत्र के किसान लेखराम यादव ने जैविक खेती को अपनाकर एक मिसाल कायम की है।

  • उन्होंने 120 एकड़ भूमि से शुरुआत की थी, जो आज बढ़कर 550 एकड़ हो चुकी है
  • आज उनका वार्षिक टर्नओवर 17 करोड़ रुपये से भी अधिक हो गया है

प्रेरणा की शुरुआत

लेखराम यादव की जैविक खेती की ओर यात्रा एक साधारण घटना से शुरू हुई, जब एक महिला क्वालिटी मैनेजर ने उन्हें खाद्य गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए सोचने को मजबूर किया।

तकनीक और नवाचार से मिली सफलता

  • लेखराम यादव ने यूट्यूब के माध्यम से जैविक खेती की आधुनिक तकनीकों को समझा
  • उन्होंने ताराचंद बेलजी तकनीक (TCBT) को अपनाया
  • साथ ही उन्होंने वृक्षायुर्वेद का फार्मूला भी अपनी खेती में लागू किया, जिससे उनकी फसलों की गुणवत्ता में अप्रत्याशित सुधार हुआ

खेती में विविधता: सफल किसान की पहचान

लेखराम यादव ने खेती में विविधता को अपनाते हुए केवल एक या दो फसलों पर निर्भर न रहकर कई प्रकार की फसलें उगाईं:

गेहूं, चना, सरसों, बाजरा, जीरा, कस्तूरी मेथी और मिर्च जैसी पारंपरिक और मसाले वाली फसलें
उन्होंने सिजनल फसलों की वैज्ञानिक रूप से योजना बनाकर अधिक उत्पादन प्राप्त किया।

राष्ट्रीय स्तर पर पहचान

उनकी मेहनत, नवाचार और समर्पण को पहचान मिली और उन्हें हाल ही में “मिलियनेयर ऑर्गेनिक फार्मर ऑफ इंडिया” के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

For Feedback - feedback@example.com

Leave a Comment