Kisan News: गर्मी में किसानों खेतों की गहरी जुताई करें, कीटनाशकों का खर्चा होगा कम, सबसे आसान तरीका देखें

9 Min Read
खबर शेयर करें

रबी की फसलों की कटाई के तुरंत बाद जुताई कर देनी चाहिए, क्योंकि ऐसे में खेत में नमी बनी रहती है और जुताई करने में आसानी हो जाती है। ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई एक ऐसा काम है, जिसमें अनेक लाभ समाहित हैं। ऐसा करने से मृदा का सूर्य ऊर्जा उपचार होता है, जिससे कीट व पौध रोगकारक नष्ट हो जाते हैं। जल का अपवाह रुकता है, खरपतवार नियंत्रण होता है और जड़ों की अच्छी वृद्धि होती है। इसके अलावा पीड़कनाशियों के अवशेषों का तीव्र विघटन होता है तथा मृदा संरक्षण होता है।

एक ओर इसके फायदों से कृषकों की लागत में कमी आती है तथा दूसरी ओर उपज में लाभ (औसतन 10 प्रतिशत) होता है। इस प्रकार इसे अपनाने से किसानों की आय में वृद्धि होती है।खेत की मृदा को गर्म महीने (अप्रैल-मई) में मृदा पलटने वाले हल की सहायता से गहराई (अधोसतह) से पलटना ही ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई कहलाता है।

Garmi Me Jutai Karne Ke Fayde / Benefits of summer ploughing in hindi

ज्यादातर किसान बुवाई से पहले ही खेत की जुताई करते हैं, जिससे फसल तो अच्छी हो जाती है, लेकिन खेत की मिट्टी में कई तरह के कीट, रोगाणु और खरपतवार बने रहते हैं, ऐसे में किसान इस समय गहरी जुताई करके इनसे छुटकारा पा सकते हैं।केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के निदेशक डॉ. विनय कुमार मिश्रा बताते हैं, “इस समय अगर किसान रबी की फसलों की कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई करके छोड़ देते हैं, जिससे खेत की मिट्टी ऊपर आ जाती है, जिससे उसमें पनप रहे कीटों के अंडे, लार्वा भी बाहर आ जाते हैं जो तेज धूप में नष्ट हो जाते हैं। यही नहीं कई तरह के पक्षी भी इस समय बाहर आए कीटों को खाते हैं।”Garmi Me Jutai Karne Ke Fayde

गहरी जुताई के फायदे जुताई करने से तेज धूप मिट्टी पर लगती है, जिससे मिट्टी में रहने वाले कीटों के अंडे, प्यूपा, लार्वा, लटें व व्यस्क नष्ट हो जाते हैं। गहरी जुताई से कई तरह के खरपतवार जैसे दूब, कांस, मोथा से भी छुटकारा मिल जाता है। फसलों में लगने वालेउखटा, जड़गलन जैसे रोगों के रोगाणु व सब्जियों की जड़ों में गांठ बनाने वाले सूत्रकर्मी भी नष्ट हो जाते हैं। खेत की मिट्टी में ढेले बन जाने से पानीसोखने की क्षमता बढ़ जाती है, जिससे बारिश होने के बाद खेत में ज्यादा समय तक नमी बनी रहती हैं।

ग्रीष्मकालीन जुताई से खेत का पानी खेत में ही रह जाता हैं, जो बहकर बेकार नहीं होता और बारिश के पानी के बहाव होने वाले भूमि कटाव में भारी कमी होती हैं। जुताई करने से खेत की भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों का वायु द्वारा होने वाला नुकसान व मृदा अपरदन कम होता हैं। Garmi Me Jutai Karne Ke Fayde

कब करें जुताई

रबी की फसलों की कटाई के तुरंत बाद जुताई कर देनी चाहिए, क्योंकि ऐसे में खेत में नमी बनी रहती है और जुताई करने में आसानी हो जाती है। साथ ही मिट्टी के बड़े- बड़े ढेले बनते हैं। इससे जमीन में वायु संचार बढ़ता हैं। कोशिश करनी चाहिए की जुताई सुबह के समय ही करें, क्योंकि इस समय कीटों के प्राकृतिक शत्रु परभक्षी पक्षी ज्यादा सक्रीय रहते हैं। जो कीटों और लार्वा को खा जाते हैं।

कैसे करें गर्मियों की जुताई

गर्मी की जुताई 15 सेमी. गहराई तक किसी भी मिट्टी पलटने वाले हल से ढलान के विपरीत करनी चाहिए। लेकिन बारानी क्षेत्रों में किसान ज्यादातर ढलान के साथ- साथ ही जुताई करते हैं जिससे बारिश के साथ मिट्टी के बहने की संभावना ज्यादा हो जाती है। इसलिए खेतों में हल चलाते समय इस बात का ख्याल रखना चाहिए की यदि खेत का ढलान पूर्व से पश्चिम दिशा की तरफ हो तो जुताई उत्तर से दक्षिण की ओर यानी ढलान के विपरीत ढलान को काटते हुए करनी चाहिए।

इस तरह से जुताई करने से बहुत सारा बारिश का पानी मिट्टी सोख लेती हैंऔर पानी जमीन की नीचे तक पहुंच जाता है, जिससे न केवल मिट्टी का रुकता हैं बल्कि पोषक तत्व भी बहकर नहीं जा पाएंगे। Garmi Me Jutai Karne Ke Fayde

जुताई के समय रखें इन बातों का ध्यान

मिट्टी के ढेले बड़े- बड़े रहे और मिट्टी भुरभुरी न होने पाए नहीं तो गर्मियों में तेज हवा द्वारा मृदा अपरदन की समस्या बढ़ जाएगी। ज्यादा रेतीले इलाकों में गर्मी की जुताई न करें। बारानी क्षेत्रों में जुताई करते समय इस बात का ख्याल रखना भी जरूरी हैं की ज्यादा से ज्यादा फसल अवशेषों को जमीन पर आवरण की तरह ही पड़ा रहने दें। इससे मिट्टी को बारिश से होने वाले मृदा अपरदन के नुकसान से बचाया जा सकता हैं और बारिश के पानी के साथ बह रही मिट्टी को भी रोका जा सकता हैं।

गर्मी में गहरी जुताई से फायदे Benefits of deep plowing in summer

जल संरक्षण: अधिकांश किसान एक निश्चित गहराई (6-7 इंच) पर जुताई करते हैं, जिससे पानी का प्रवाह अधिक होता है। गर्मियों में गहरी जुताई (जो लगभग 9 से 12 इंच गहरी होती है) में यह सख्त परत टूट जाती है। परिणामस्वरूप, बारिश के मौसम में ऐसे खेतों की जल धारण क्षमता बढ़ जाती है। इस तरह जल संरक्षण को प्रत्यक्ष बढ़ावा मिलता है। Garmi Me Jutai Karne Ke Fayde

खरपतवार नियंत्रण: खरपतवार लगभग 20-60 प्रतिशत तक फसल उत्पादन कम कर सकते हैं। कुछ खरपतवारों जैसे कि कंस, मोथा, दूध आदि की जड़ें गहरी रहती हैं। उन्हें नियंत्रित करने का एक प्रभावी तरीका गर्मियों की गहरी जुताई है, जिसके कारण उक्त खरपतवारों, प्रकंदों की जड़ें ऊपरी सतह पर आ जाती हैं, जो बाद में सूख जाती हैं और चिलचिलाती गर्मी में नष्ट हो जाती हैं।

कीट और रोग नियंत्रण: फसल रोगों के रोगजनक एवं कीटों के अंडे व शंखी मिट्टी में रहते हैं। गहरी जुताई के कारण वे या तो ऊपर आ जाते हैं या गहराई में दबकर मर जाते हैं। ऊपर आने पर, वे तेज गर्मी के संपर्क में आने से नष्ट हो जाते हैं। इस तरह से कीटों और रोगों पर नियंत्रण संभव हो जाता है।

मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि: गहरी जुताई वाले खेत पहली बारिश के मौसम में सभी पानी को अवशोषित करते हैं, जिससे इन खेतों में अधिकतम वायुमंडलीय नाइट्रोजन की हानि होती है। इसके साथ ही गहरी जुताई वाले खेतों में मिट्टी का कटाव भी कम होता है। परिणामस्वरूप, पोषक तत्वों का प्रवाह भी रुक जाता है। उपरोक्त बिंदुओं से यह स्पष्ट है कि हमारे किसान भाइयों को इस गहरी जुताई से कई लाभ मिल सकते हैं। शायद यही वजह है कि मध्य प्रदेश सरकार हलधर गर्मियों में जुताई के लिए किसान भाइयों को अनुदान दे रही है, जिसे अपनाकर किसान भाई ज्यादा से ज्यादा लाभान्वित हों।

जुताई के लिए इन यंत्रों का कर सकते हैं इस्तेमाल (Deep Plowing Equipment)
डॉ. ख़लील ने बताया कि गर्मियों में गहरी जुताई करने के लिए मोल्डबोर्ड हल, डिस्क हल, सब सॉयलर, कल्टीवेटर जैसे कृषि यंत्रों का इस्तेमाल कर सकते हैं। खरीफ़ फसलों के उत्पादन के लिए गर्मियों की जुताई सबसे अहम होती है। समय से गर्मी की जुताई करने पर 50 फ़ीसदी तक फसलों की पैदावार बढ़ सकती है। गर्मियों की गहरी जुताई से खेत में लंबे समय तक नमी बनी रहेगी। फसलों को ज़्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होगी।


खबर शेयर करें
Share This Article
By Harry
Follow:
नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।