मध्य प्रदेश एवं देश के कई राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी चल रही है। एसपी पर गेहूं खरीदी के दौरान कई जगह पर किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। समर्थन मूल्य पर गेहूं विक्रय करने वाले किसानों के लिए राहत वाली खबर है। एमपी के किसानों के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने गेहूं खरीदी को लेकर बड़ा निर्णय Mohan Sarkar decision लिया है। इसके पूर्व केंद्र सरकार भी किसानों के हित में एक निर्णय दे चुकी है।
केंद्र सरकार ने अपने आदेश में कहा था कि 30% चमक विहीन गेहूं की भी खरीदी की जाए। बता दें कि पिछले दिनों ऐसी शिकायतें आई हैं कि किसानों के कम चमक वाले गेहूं को सहकारी समिति ने खरीद लिया। मगर, उसे केंद्रीय एजेंसी लेने में आनाकानी कर रही है। इसके चलते किसानों का भुगतान भी समय पर नहीं हो पा रहा है। इधर मोहन सरकार ने भी ऐसा ही एक निर्णय Mohan Sarkar decision लिया है। पूरी जानकारी क्या है आईए जानते हैं..
केंद्र सरकार ने यह लिया था निर्णय
गौरतलब है कि रबी सीजन के दौरान ढूंढ दल एवं कोहरे के चलते गेहूं की कल क्वालिटी पर असर पड़ा था। एमपी के कई जिलों में कोहरे के कारण गेहूं का कलर खराब हो गया था। इस चमक विभिन्न गेहूं को भारतीय खाद्य निगम न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं खरीद रहा था। इसी संबंध में किसानों की शिकायतों के पश्चात केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर निर्देश दिए की 30% चमक विभिन्न गेहूं को खरीदा जाए। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने राज्य सरकारों को को पत्र द्वारा निर्देशित किया है कि अब बगैर किसी भावों की कटौती के किसानों का बारिश के कारण खराब हुआ गेहूं भी खरीदा जाए।
अब मोहन सरकार ने यह किया फैसला
मध्य प्रदेश के कई जिलों में इन दोनों गेहूं की कटाई का काम चल रहा है। इसी दौरान अचानक बैमौसम बारिश का क्रम शुरू हो गया। प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश के साथ ओले पड़े हैं, जिससे किसानों की फसलों को बड़ा नुकसान हुआ है। भीगे और कम चमक वाले गेहूं की खरीदी में भी किसानों को परेशानी हो रही है। ऐसे में राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बड़ा ऐलान Mohan Sarkar decision किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों का जो गेहूं भीग गया है। उसकी थोड़ी सी चमक भी निकल जाएगी, तब भी हम उसे खरीदेंगे। असमय वर्षा को लेकर हमने निर्देश जारी किए हैं। फसल का नुकसान नहीं होना चाहिए। किसानों का जो गेहूं भीग गया है। उसकी थोड़ी सी चमक भी निकल जाएगी, तब भी हम उसे खरीदेंगे।
गेहूं खरीदी की यह है पूरी प्रक्रिया
सरकार द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार पूर्व प्रक्रिया में किसान को फसल बेचने के लिए SMS प्राप्त होता था। SMS से प्राप्त तिथि पर किसान उपार्जन केन्द्र पर जाकर अपनी फसल बेच सकता था। SMS प्राप्ति की प्रक्रिया में कई बार किसानों को असुविधा का सामना करना पड़ता था। सरकार ने इस व्यवस्था में बदलाव किया है। सरकार द्वारा तय परिवर्तित व्यवस्था में उपार्जन केन्द्र पर जाकर फसल बेचने के लिए SMS प्राप्ति की अनिवार्यता को समाप्त किया गया है।
प्रदेश सरकार ने यह भी किया निर्णय
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने प्रदेश के किसानों के लिए Mohan Sarkar decision निर्णय किया है कि किसानों को फसल नुकसानी का पर्याप्त मुआवजा दिया जाएगा। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि खेत के अंदर भी अगर कोई हानि होती है, तो उसका सर्वे कराकर मुआवजा देंगे। मुख्यमंत्री ने किसानों को आश्वस्त किया कि पशु हानि या किसी अन्य प्रकार का नुकसान होगा तो उसकी भी चिंता हम कर रहे है। किसी भी परेशानी में प्रदेश सरकार सदैव किसानों के साथ खड़ी दिखाई देगी।
पिछले वर्ष से इस वर्ष खरीदी में हुई बढ़ोतरी
पिछले वर्ष गेहूं का समर्थन मूल्य 2125 रुपए प्रति क्विंटल था। इस वर्ष इस भाव 150 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि करते हुए 2275 क्विंटल किया गया। वहीं इस भाव की अतिरिक्त मध्य प्रदेश एवं राजस्थान की प्रदेश सरकार 125 रुपए प्रति क्विंटल का बोनस दे रही है जिसके बाद गेहूं का समर्थन मूल्य इन दोनों राज्यों में 2400 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। इसका असर गेहूं की खरीदी पर दिखाई दे रहा है। नतीजतन पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष गेहूं की अच्छी खरीदी हो रही है। Mohan Sarkar decision
देश में अब तक 2.56 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीदी हो चुकी है, जो बीते वर्ष इसी अवधि के मुकाबले करीब 18 प्रतिशत ज्यादा है। इसमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी मप्र की है। इस सरकारी खरीद में मप्र में कुल 2.52 लाख टन गेहूं खरीदा गया है। वहीं 3325 टन राजस्थान में और 147 टन उप्र के किसानों से खरीदा गया है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश की मंडियों में मार्च माह तक जितनी गेहूं की आवक हुई उसका 31 प्रतिशत सरकार खरीद चुकी है। देशभर की मंडियों में अब तक 8.26 लाख टन गेहूं की आवक देशभर की मंडियों में हुई है। आवक में इस साल बीते साल इसी अवधि के मुकाबले सिर्फ तीन प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है।
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