जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत काम करने वाले सहायक कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि इन कर्मचारियों का मासिक पारिश्रमिक 50 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा। यह एक पुरानी मांग थी जिसे पूरा करके प्रदेश प्रशासन ने इनके कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को सिद्ध किया है।
मनरेगा के तहत कौन-कौन से वर्ग को फायदा होगा?
मनरेगा के तहत सहायक कर्मचारियों के सात वर्ग हैं जिन्हें इस बढ़ोतरी का फायदा मिलेगा। ये वर्ग हैं- जीआरएस (ग्राम रोजगार सेवक), टेक्नीकल असिस्टेंट, एमआइएस आपरेटर, एडमिन असिस्टेंट, डिवीजनल एमआइएस, स्टेट एमआइएस और कंप्यूटर असिस्टेंट। इनमें से जीआरएस और टेक्नीकल असिस्टेंट का मासिक पारिश्रमिक में लगभग 50 प्रतिशत और अन्य वर्गों के कर्मियों का मासिक पारिश्रमिक में लगभग 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। इससे लगभग चार हजार मनरेगा कर्मी लाभान्वित होंगे।
मनरेगा का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी और गरीबी को कम करना है। इस योजना के तहत हर ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिन का गारंटीड रोजगार दिया जाता है। इससे ग्रामीण आबादी को आय का स्थायी स्रोत मिलता है और उनकी आत्मनिर्भरता बढ़ती है। इसके अलावा, मनरेगा के तहत बनाए गए अस्तित्वहीन संपत्ति जैसे बांध, नाले, सड़कें, खेती के लिए जल संग्रहण आदि ग्रामीण विकास में भी योगदान करते हैं।
मनरेगा के फायदे अनेक हैं। इससे ग्रामीण आबादी को रोजगार के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा भी मिलती है। इससे महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों को रोजगार के अवसर मिलते हैं। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलता है और शहरी क्षेत्रों की ओर प्रवास को रोका जाता है। इसके अलावा, मनरेगा के तहत बनाए गए अस्तित्वहीन संपत्ति से पर्यावरण की सुरक्षा और जल संरक्षण भी होता है।