यह पक्षी साल में सिर्फ एक बार पीता है पानी और मानसून आने का देता है संकेत, जाने इसकी खासियत और रहने का स्थान

साल में एक बार पानी पीने वाला ये पक्षी देता है मानसून आने का संकेत, जानिए कहाँ पाया जाता है और क्या है खासियत इस पक्षी में ऐसी क्षमता है की ये बिना पानी पिए एक साल निकाल देता है ये पक्षी अपना पूरा जीवन बिना पानी पिए गुजारता है जिससे ये सबसे अलग माना जाता है। इस पक्षी में कई खूबियां होती हैं

खास है ये पक्षी
ये पक्षी साल में एक बार पानी पिने के लिए जाना जाता है। जैकोबिन कोयल यानी चातक एक ऐसा पक्षी है जो सिर्फ और सिर्फ बरसात का ही पानी पीता है। इसे पपीहा भी कहा जाता है। भारत में चातक की 2 आबादी पाई जाती हैं इनमें से एक दक्षिणी इलाकों में रहती है और दूसरी मॉनसूनी हवाओं के साथ अरब सागर को पार करते हुए अफ्रीका से उत्तर और मध्य भारत की ओर रुख करती हुई जाती है। ये प्रजाति अन्य सारे पक्षियो से अलग होती है कोई भी पक्षी बिना पानी के अपना जीवन यापन नहीं कर सकते है। जिस वजह से चातक को काफी खास माना जाता है।

कीटों के सहारे बिताता है जीवन


चातक अपना जीवन सिर्फ कीटों या फलों के सहारे बिताते हैं। ये पक्षी मुख्य रूप से कीट खाते हैं, टिड्डे-भृंगे आदि भी इनके भोजन में शामिल होते हैं। हालांकि, कई बार इन्हें फल और जामुन खाते हुए भी देखा गया है। इस पक्षी से जुड़ी एक अनोखी बात यह है कि ये अपने अंडे दूसरे पक्षियों के घोंसले में देता है। ये पक्षी काफी ज्यादा जगहों पर नहीं पाया जाता है। ये पक्षी कोयल की जाती का ही जीव है जो आपको दिखने में कोयल से थोड़ा सा अलग दिखता है।

मानसून का संकेत देने वाला पक्षी


बारिश के पहले ही ये पक्षी मानसून आने का संकेत उस इलाके में दे देता है। मानसून आने से पहले चातक पक्षी उत्तरी भारत के हिस्सों में पहले ही पहुंच जाता है। जिससे यहाँ के लोगों को ये पता चल जाता है की अब मानसून आने वाला है। यानी जिस जगह मानसून आने वाला होता है, चातक पक्षी उस जगह पर पहले ही पहुंच जाता है। कई लोगों को ये बात काफी अचंभित करने वाली लगती है की ऐसा एक पक्षी को कैसे पता चल जाता है।

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