जानिए, कपास की खेती में ध्यान रखने वाली बातें
रबी फसलों की कटाई पूर्ण हो चुकी हैं। इसके पश्चात् किसान भाई खरीफ की खेती की तैयारी में लग जाएंगे या कई किसान भाई रबी और खरीफ सीजन के बीच के अंतराल में जायद की फसलों की खेती में जुट जाएंगे। इस समय कपास की बुवाई का कार्य प्रारंभ हो गया है। कपास नकदी फसल के अंतर्गत आने वाली फसल है। कपास एक लंबी समय वाली फसल है। शुरुआती अवस्था में कपास के पौधों की वृद्धि धीरे होती है। किसान भाई गेहूं की कटाई के पश्चात् कपास की खेती कर सकते हैं। कपास की बुवाई के लिए कई उन्नत किस्में हैं जिससे अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। कपास की खेती करने वाले किसान भाइयों को कपास में गुलाबी सुंडी के प्रकोप से बचाव करना भी आवश्यक होता है। इसके अतिरिक्त कपास की अच्छी उपज और मुनाफा प्राप्त करने के लिए कपास की खेती से संबंधित कुछ मुख्य बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। कपास की फसल में प्रत्येक वर्ष गुलाबी सुंडी के प्रकोप से नुकसान होता है। कपास किसानों को कृषि विशेषज्ञों द्वारा फसल को गुलाबी सुंडी के प्रकोप से बचाव की जानकारी दी जा रही है। किसान भाइयों को कपास की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए कपास की खेती में विशेष ध्यान रखना चाहिए। आइए, कपास की खेती में ध्यान रखने वाली 5 मुख्य बातों से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।
कपास की खेती में उचित मिट्टी का निर्धारण करें
कपास की खेती के लिए मिट्टी का निर्धारण करना भी आवश्यक है। कपास एक लंबी समय वाली फसल है। शुरुआती अवस्था में कपास के पौधों की वृद्धि धीरे होती है। कपास की फसल लगभग 6 माह तक खेत में रहती है। इस कारण किसान भाई मिट्टी का चयन सावधानीपूर्वक करें। कपास की खेती में दोमट, उथली और हल्की खारी मिट्टी नहीं होना चाहिए। इस प्रकार की मिट्टी कपास की फसल के लिए अच्छी नहीं होती है। कपास की खेती में अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी होना चाहिए। कपास की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी काली और मध्यम से गहरी मिट्टी होती है।
कपास की बुवाई सही समय पर करें
कपास की खेती करने वाले किसान भाइयों के लिए कृषि विशेषज्ञों द्वारा सलाह दी जाती है कि वे कपास की बुवाई सही समय पर करें। कृषि विभाग के अनुसार कपास (नरमा) की बुवाई का उचित समय 15 अप्रैल से 15 मई तक होता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार राजस्थान में कपास की बुवाई का उचित समय 20 अप्रैल से 20 मई तक होता है। किसान भाई कपास की बुवाई मई के अंतिम सप्ताह तक कर सकते हैं। सिंचाई की पर्याप्त सुविधा नहीं होने के कारण किसान कपास की पछेती बुवाई के स्थान पर मूंग-मोठ जैसी कम सिंचाई वाली फसलों की खेती भी कर सकते हैं। किसान भाई को बुवाई के लिए बीजों की मात्रा और उचित दूरी की जानकारी भी होना चाहिए।
कपास की बुवाई में सही तरीके का प्रयोग करें
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार कपास की बुवाई में उन्नत किस्म के बीजों का प्रयोग करना चाहिए। कपास किसान कपास की बुवाई में बीजों की मात्रा BT कॉटन की प्रति बीघा लगभग 475 ग्राम (1 पैकेट) का प्रयोग करें। प्रति बीघा 2 से 3 पैकेट बीजों का प्रयोग उचित नहीं होता है। कपास के बीजों की बुवाई 3 फीट से कम दूरी पर ना करें। कपास की बुवाई के लिए BT कॉटन की ढाई फीट वाली बुवाई मशीन को 3 फीट (108 सेमी) पर निर्धारित करना चाहिए। कपास में पहली सिंचाई होने के पश्चात् पौधों की आपसी दूरी 2 फीट रखने के लिए विरलीकरण करना आवश्यक है।
कपास में उचित खाद का प्रयोग करें
कपास में मिट्टी के परीक्षण के आधार पर खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग निश्चित मात्रा में करना चाहिए। कपास की खेती में बैसल में प्रयोग किया जाने वाला उर्वरक खड़ी फसल में प्रयोग करने से ज्यादा प्रभावकारी नतीजे नहीं मिलते हैं, इसलिए कपास के बीजों की बुवाई के समय सिफारिश उर्वरक बैसल में अवश्य प्रयोग करें। किसान भाई खेत को तैयार करते समय अंतिम जुताई में सड़ी गोबर की खाद की कुछ मात्रा मिला दें। इसके अतिरिक्त यदि मिट्टी में कार्बनिक तत्वों की कमी हो तब अनुशंसित खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। मिट्टी के अनुसार खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। किसान भाई इससे संबंधित जानकारी जिले के कृषि विभाग से प्राप्त करें।
गुलाबी सुंडी पर नियंत्रण के लिए इन उपायों का प्रयोग करें
कपास की खेती में पिछले वर्ष राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में गुलाबी सुंडी के प्रकोप के कारण फसल को लगभग 80% तक हानि हुई थी। राज्य के किसानों को गुलाबी सुंडी के प्रकोप और बॉल सड़न के रोग के कारण उम्मीद के अनुसार उपज प्राप्त नहीं हुई थी। राजस्थान में किसानों द्वारा BT कॉटन की लगभग 2 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में बुवाई की गई थी किंतु गुलाबी सुंडी के कारण फसल में लगभग 80% तक हानि हुई थी। इस कारण किसान भाइयों को इस वर्ष ऐसे बीजों का प्रयोग करना चाहिए जिसमें गुलाबी सुंडी का प्रकोप ना हो सके। गुलाबी सुंडी के प्रकोप की रोकथाम के लिए किसान कपास के बीजों की बुवाई से पूर्व अपने खेतों में भंडारित की गई कपास बनछटियों के ढेर का निस्तारण करने के पश्चात् ही बुवाई करें। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार पिछले वर्ष जिले में BT कॉटन की बुवाई मार्च के अंत से मई के अंत तक की गई थी।
- किसान भाइयों के लिए आवश्यक सलाह : कपास किसान अपने क्षेत्र और जलवायु के अनुसार कृषि विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तावित उपयुक्त किस्म के बीजों का प्रयोग करें। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सोशल मीडिया पर कपास की BT-4 किस्म तक के बीज होने और इन बीजों में गुलाबी सुंडी का प्रकोप नहीं होने के बारे में बताया जा रहा है। इसके संबंध में कृषि विशेषज्ञों ने कहा है कि अभी तक कपास की BT-2 किस्म के बीज ही उपलब्ध हैं। कपास की BT-2 किस्म गुलाबी सुंडी के प्रति सहनशील नहीं है। अभी तक इससे संबंधित कोई शोध नहीं हुआ है। कपास किसानों को कृषि विभाग द्वारा यह सलाह दी जाती है कि वे भ्रमित करने वाले सोशल मीडिया के दावों पर विश्वास ना करें।