गेहूं की MSP पर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में क्या हुआ बदलाव??
रबी विपणन सीजन 2025-26 के अंतर्गत सरकार द्वारा गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। इस वर्ष राज्य सरकार ने किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में कुछ नए बदलाव किए हैं। विशेष रूप से बटाईदार और सिकमी किसानों के लिए नियमों को स्पष्ट और सख्त किया गया है। अब बटाई अथवा किराए पर भूमि लेकर खेती करने वाले किसानों को MSP पर बिक्री हेतु रजिस्ट्रेशन के लिए सिकमीनामा अनुबंध की तीन प्रतियों को प्रस्तुत करना अनिवार्य कर दिया गया है। यह कदम बिचौलियों द्वारा की जा रही धांधली को रोकने और वास्तविक किसानों को लाभ दिलाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
गेहूं की MSP पर खरीद के लिए सिकमीनामा पर पंजीयन का निर्णय
रबी सीजन 2025-26 के तहत गेहूं की MSP पर खरीद हेतु राज्य सरकार द्वारा सिकमीनामा आधारित पंजीयन प्रणाली को लागू किया गया है। प्रदेश के सभी जिलों में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया जारी है। कलेक्टर कार्यालय की भू-अभिलेख शाखा द्वारा तहसील स्तर पर दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। स्पष्ट किया गया है कि बटाईदार किसानों का पंजीयन केवल तभी किया जाएगा जब उनके पास भूमि स्वामी के साथ अधिनियम 2016 के अंतर्गत वैध सिकमीनामा अनुबंध उपलब्ध हो।
सिकमीनामा पर गेहूं बिक्री के लिए कहां होंगे रजिस्ट्रेशन??
सिकमीनामा के आधार पर गेहूं बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन केवल सहकारी साख समितियों और सहकारी विपणन संस्थाओं में ही किया जाएगा। बटाईदार और सिकमी किसान रजिस्ट्रेशन से पूर्व संबंधित भू-स्वामी के साथ वैध अनुबंध करें और इस अनुबंध के दस्तावेजों के आधार पर पंजीयन करवाएं ताकि उपार्जन के समय किसी भी प्रकार की अड़चन न आए।
गेहूं की MSP पर खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन हेतु दिशा-निर्देश
भूमि स्वामी और बटाईदार किसान के मध्य किया गया अनुबंध मध्यप्रदेश भू-बटाईदार हित संरक्षण अधिनियम 2016 के तहत निर्धारित प्रारूप में ही मान्य होगा। अनुबंध की तीन प्रतियां तैयार की जाएंगी और यह अनुबंध संबंधित पटवारी के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। पटवारी अनुबंध में उल्लिखित भूमि का राजस्व अभिलेखों से मिलान करेगा और निर्धारित पंजी में दर्ज करेगा। तत्पश्चात अनुबंध पत्र को नायब तहसीलदार या तहसीलदार के समक्ष अभिप्रमाणन के लिए भेजा जाएगा।
अनुबंध पत्रों की प्रक्रिया क्या रहेगी??
अनुबंध की एक प्रति तहसील कार्यालय में सुरक्षित रखी जाएगी, दूसरी प्रति पटवारी के अभिलेखों में रहेगी और तीसरी प्रति भूमि स्वामी को दी जाएगी। हर अनुबंध को ग्राम अनुसार दर्ज किया जाएगा ताकि भविष्य में सत्यापन में कोई समस्या न हो। तहसील न्यायालय में रखी गई प्रति ही प्रमाणिक मानी जाएगी।
बंटाईदार किसान की ओर से प्रस्तुत पत्र की प्रति का होगा मिलान
सहकारी समिति में रजिस्ट्रेशन के समय किसान द्वारा प्रस्तुत की गई अनुबंध प्रति का मिलान तहसील न्यायालय में सुरक्षित प्रति से किया जाएगा। मिलान उपरांत ही किसान का रजिस्ट्रेशन सत्यापित होगा और उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी गेहूं फसल बेचने की अनुमति दी जाएगी।
बटाईदार किसान व सिकमी किसानों से क्या अभिप्राय है??
- बटाईदार किसान वे होते हैं जो किसी अन्य की भूमि पर खेती करते हैं और फसल का एक हिस्सा भूमि स्वामी को देते हैं।
- सिकमी किसान वे किसान हैं जो भूमि को एक निश्चित किराए पर लेकर खेती करते हैं। वर्तमान में प्रदेश में प्रति एकड़ सिकमी दर ₹11,000 वार्षिक निर्धारित की गई है।