Kisan News: गेहूं की फसल में उर्वरकों की मात्रा एवं उनका प्रयोग देखें, गेहूं की बुवाई करने वाले अवश्य देखें

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Kisan News: देश के मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश एवं पंजाब में बड़ी संख्या में किसानों द्वारा गेहूं की खेती की जाती है। इन सभी गेहूं की बुवाई करने वाले इलाकों में नत्रजन की कमी पाई जाती है। इसके अलावा फास्फोरस और पोटाश की कमी भी अधिकांश हमें देखने को मिलती हैं। वर्तमान में मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और पंजाब के कुछ कुछ इलाकों में गंधक की कमी की समस्या देखने को मिली है। आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से गेहूं की फसल में उर्वरकों की मात्रा एवं उनका प्रयोग की जानकारी प्रदान करेंगे।

Kisan News: गेहूं की फसल में उर्वरकों की मात्रा एवं उनका प्रयोग देखें, गेहूं की बुवाई करने वाले अवश्य देखें

Kisan News: नत्रजन और गंधक की कमी के साथ साथ गेहूं की फसल में सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जस्ता, मैगनीज तथा बोरान की कमी गेहूं उगाये जाने वाले क्षेत्रों में देखी गई है। इन सभी तत्वों को भूमि में मृदा-परीक्षण को आधार मानकर आवश्यकता अनुसार प्रयोग करना चाहिए। गेहूं और अन्य फसलों की बुवाई करने वाले अधिकतर किसान विभिन्न कारणों के चलते मृदा परीक्षण नहीं करवा पाते हैं। ऐसी स्थिति में गेहूं के लिये संस्तुत दर निम्न हैं।

किसान समाचार: गेहूं की फसल में असिंचित दशा में उर्वरकों को कूड़ों में बीजों से 2-3 से.मी. गहरा डाले तथा बालियां आने से पहले यदि पानी बरस जाए तो 20 किग्रा/हैं। नत्रजन को टॉप ड्रेसिंग के रूप में देना फायदेमंद साबित हो सकता है।

एनपीके: सिंचित दशाओं में फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा तथा नत्रजन की 1/3 मात्रा बुवाई से पहले भूमि में अच्छे से मिला दे। नाईट्रोजन 2/3 मात्रा प्रथम सिंचाई के बाद तथा शेष आधा तृतीय सिंचाई के बाद टॉप ड्रेसिंग के रूप में देे सकते हैं। यह उर्वरक प्रयोग भी आपके लिए लाभदायक साबित होगा। धान, मक्का एवं कपास के बाद गेहूं लेने वाले क्षेत्रों में गंधक, जस्ता, मैगनीज एवं बोरान की कमी की संभावना होती है तथा कुछ क्षेत्रों में इसके लक्षण भी देखे गए हैं। ऐसे क्षेत्रों में अच्छी पैदावार के लिये इनका प्रयोग आवश्यक हो गया है।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।
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