भारत में सीजन के अनुसार रबी, खरीफ और जायद तीन तत्वों में जुड़े हुए हैं। और इनका बुवाई का समय भी अलग-अलग तय होता है और उसी के हिसाब से इसकी बुवाई की जाती है।
फसलों के प्रकार और बुवाई का समय
भारत में सीजन के अनुसार फसलों को रबी, खरीफ और जायद तीन भागों में बांटा गया है। और इनकी बुवाई का समय भी अलग-अलग निर्धारित किया हुआ है और उसी के अनुसार इसकी बुवाई की जाती है।
सामान्यत: खरीफ की बुवाई जून-जुलाई में और अक्टूबर के आसपास की जाती है। इन फसलों को बोते समय अधिक तापमान एवं पक्ते समय शुष्क वातावरण की होती है। खरीफ की प्रमुख धान (चावल), मक्का ज्वर, बजरा, मूंग, मूंगफली, गन्ना, सोयाबीन, उड़ते, तुअर आदि शामिल हैं।
- धान (चावल) की बुवाई
धान की बुवाई का सही समय जून मध्य से जुलाई पहले सप्ताह तक माना जाता है। लेकिन धान की बुवाई वर्षा की शुरुआत होते ही शुरू कर देना अच्छा रहता है। देश के कई भागों में मानसून के आगमन के 10 से 12 दिन पूर्व यानी मध्य जून तक बुवाई कर दी जाती है।
- मक्का की बुवाई
मक्का की मुख्य फसल (खरीफ) के लिए बुवाई का सही समय मई-जून तक होता है। मक्का की बुवाई अक्टूबर के अंत से नवंबर के अंत तक जा सकती है। उसी समय बस मौसम में मक्का की बुकिंग का सही समय जनवरी के तीसरे सप्ताह के मध्य फरवरी तक होता है।
- ज्वर की बुवाई
उत्तर भारत में ज्वार की खेती खरीफ मौसम में की जाती है। इसकी बुवाई के लिए अप्रैल-जुलाई का महीना सबसे उपयुक्त होता है। सिंचित क्षेत्र में ज्वर की कटौती 20 मार्च से 10 जुलाई तक बुवाई कर सकती है। जिन क्षेत्रों में सिंचाई उपलब्ध नहीं है वहां मॉनसून में शुरू होते ही इसकी बुवाई कर दी जाती है।
- बाजार की बुवाई
बरानी क्षेत्रों में भ्रम की पहली बारिश के साथ ही बजरे की बुवाई कर दी जाती है। उत्तरी भारत में बजरे की बुवाई के लिए जुलाई का प्रथम पखवाड़ा है।

