खेत खजाना: किसानों की खेती में नए आयाम का जन्म हो रहा है – डीजल की खेती। जेट्रोफा पौधे को आम बोलचाल की भाषा में “डीजल का पौधा” कहा जाता है। इस पौधे के बीजों से बायोडीजल निकाला जाता है और इसका किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है।
डीजल की खेती का तरीका
जेट्रोफा की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही, डीजल की खेती के लिए ऐसे खेत की आवश्यकता होती है जहां पानी की निकासी ठीक हो। यह पौधा शुष्क क्षेत्रों में अच्छे रूप से उगता है, जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश के कुछ इलाके और मध्य प्रदेश के कुछ इलाके। जेट्रोफा के पौधे को सीधे खेत में लगाने की बजाय, सबसे पहले इसकी नर्सरी बनाई जाती है, फिर इन पौधों को खेत में लगाया जाता है। जब यह पौधा एक बार लग जाता है, तो यह तीन से चार वर्षों तक फसल देता है।
जेट्रोफा बीज से डीजल का उत्पादन
जेट्रोफा पौधों से डीजल का उत्पादन एक विशेषता से गुजरता है। सबसे पहले, जेट्रोफा के पौधे के बीजों को फलों से अलग करना होता है, फिर इन्हें अच्छी तरह से साफ किया जाता है। उन बीजों को एक मशीन में डाला जाता है जहां से डीजल तेल निकलता है। यह प्रक्रिया सरसों से तेल निकालने की प्रक्रिया के तरह होती है।
डीजल की मांग में वृद्धि
डीजल-पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि के कारण, डीजल की मांग विश्वभर में बढ़ गई है। भारत सरकार भी किसानों की सहायता करके इसकी खेती को बढ़ावा दे रही है। इसलिए, यदि भारतीय किसान इसकी खेती करते हैं और इसे बड़े पैमाने पर उत्पादित करते हैं, तो यह उन्हें पारंपरिक फसलों के मुकाबले अधिक मुनाफा प्रदान करेगी।

