Chilly Variety: मिर्ची की बंपर पैदावार देने वाली किस्में, यह किस्में कम लागत में देंगी दोगुना मुनाफा

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Chilly Variety: जानिये मिर्च की उन्नत किस्में – मिर्च भारत की प्रमुख मसाला फसल है। इसका उपयोग हरी एवं लाल दोनों अवस्थाओं में उपयोग किया जाता है। इसका वानस्पतिक नाम कैप्सिकम एनएमएल है। यह सोलेनेसी कुल के अंतर्गत आती है। इसका उद्भव स्थान दक्षिण अमेरिका माना जाता है। मिर्च में तीखापन पाये जाने वाले अवयव कैप्सेसिन के कारण होता है। मिर्च का उपयोग मसाला, चटनी, अचार एवं सॉस बनाने में किया जाता है। मिर्च से प्राप्त कैप्सेसिन एवं ओलियोरेसिन का उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है। भारत विश्व में मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता एवं निर्यातक देश है।

मिर्च की उन्नत किस्में: भारत में 751.61 हजार हेक्टेयर में मिर्च की खेती की जाती है, जिससे 2149.23 हजार मीट्रिक टन उत्पादन प्राप्त होता है। भारत में मिर्च की औसत उत्पादकता 2.86 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर है (हॉर्टिकल्चर स्टेटिक्स एट ए ग्लांस 2018)। भारत में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश एवं ओडिशा प्रमुख मिर्च उत्पादक राज्य हैं। भारत से वर्ष 2017-18 में 22,074.05 लाख रुपये की 44.90 हजार मीट्रिक टन मिर्च अन्य देशों को निर्यात की गई थी। मध्यप्रदेश में 90.98 हजार हेक्टेयर में मिर्च की खेती की जाती है जिससे 244.55 हजार मीट्रिक टन उत्पादन प्राप्त होता है। मध्यप्रदेश में मिर्च की औसत उत्पादकता 2.69 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर है

मिर्ची की खेती के लिए जलवायु

मिर्च की खेती के लिये आर्द्र उष्ण जलवायु उपयुक्त होती है। फल परिपक्वता अवस्था में शुष्क मौसम की आवश्यक होती है। ग्रीष्म ऋतु में अधिक तापमान से फल व फूल झड़ते हैं। रात्रि तापमान 16 से 21 डिग्री सेल्सियस फल बनने के लिए उपयुक्त होता है। मिर्च की खेती के लिये15-35 डिग्री सेल्सियस तापमानत था गर्म आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है।

मिर्ची की खेती में मृदा का चयन

मिर्च की खेती सभी प्रकार की भूमियों में की जा सकती है परंतु अच्छे जल निकास वाली हल्की दोमट मिट्टी जिसका पीएच मान 6 से 7.5 हो मिर्च की खेती के लिये सबसे उपयुक्त है। ऐसी मृदायें जिनमें जल निकास की समुचित व्यवस्था नहीं होती, मिर्च की खेती के लिये अनुपयुक्त होती हैं।

संकर मिर्च -काशी अर्ली

इस संकर के पौधे 60-75 से.मी. लम्बे तथा छोटी गांठों वाले होते हैं। फल 7-8 से.मी. लम्बे, सीधे, 1 से.मी. मोटे तथा गहरे होते हैं। पौध रोपण के मात्र 45 दिनों में प्रथम तुड़ाई प्राप्त हो जाती है जो सामान्य संकर किस्मों से लगभग 10 दिनों पहले होती है। इस संकर के फलों की तुड़ाई 6-8 दिनों के अंतराल पर मिलती रहती है जिससे लगभग 10-12 तुड़़ाई आसानी से ली जा सकती है। हरे फल का उत्पादन 300-350 क्विंटल/हेक्टेयर प्राप्त हो जाता है। इनकी फसल लम्बी अवधि तक चलती रहती है। यह संकर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तरांचल, कर्नाटक, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए अनुशंसित है।

काशी सुर्ख

इस संकर के पौधे लम्बी बढ़वार वाले होते हैं। पौधा लगभग 70-100 से.मी. लम्बा एवं सीधा होता है। फल 10-12 से.मी. लम्बे, हल्के हरे, सीधे तथा 1.5-1.8 से.मी. मोटे होते हैं। प्रथम तुड़ाई पौध रोपण के 50-55 दिनों बाद मिल जाती है। यह फल सूखे एवं लाल दोनों प्रकार के लिए उत्तम किस्म है। हरे फल का उत्पादन 240 क्विंटल/हेक्टेयर या लाल सूखी मिर्च का 40 क्विंटल/हेक्टेयर की दर से प्राप्त होता है। यह चूसक कीटों एवं विषाणु गुरचा से लगभग सहनशील संकर है। यह संकर पश्चिम बंगाल, असम, पंजाब, उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, अरुणाचल प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और हरियाणा के लिए अनुशंसित है।

अर्का मेघना

यह आईएचआर 3905 (सीजीएमएस) – आईएचआर 3310 के संकरण का एफ1 संकर है। यह एक अगेती संकर है, फल गहरे हरे और परिपक्व होने पर गहरे लाल होते हैं। यह विषाणुओं और चूसक कीटों के प्रति सहनशील है। इस संकर की औसत उपज 557 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (हरी मिर्च) या 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (सूखी मिर्च) है। यह संकर पंजाब, यूपी के तराई क्षेत्र, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, अरुणाचल प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल के लिए अनुशंसित है।

अर्का स्वेता

यह आईएचआर 3903 (सीजीएमएस वंश) ङ्ग आईएचआर 3315 के संकरण का एफ1 संकर है। फल 11-12 सेमी लम्बे एवं 1.2-1.5 सेमी चैड़े, चिकने, हल्के हरे रंग के पकने पर लाल रंग के होते हैं। यह संकर सिंचित अवस्था में खरीफ एवं रबी मौसम में लगाने के लिए उपयुक्त है। यह संकर विषाणु रोग के प्रति सहनशील है। इसकी औसत उपज हरी मिर्च 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर या सूखी मिर्च 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। यह संकर पंजाब, यूपी के तराई क्षेत्र, बिहार, झारखंड, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल के लिए अनुशंसित है।

अर्का हरिता

यह आईएचआर 3905 (सीजीएमएस)& आईएचआर 3312 के संकरण का एफ1 संकर है। इस संकर के पौधे लम्बे एवं सीधी बढ़वार वाले होते हैं। पत्तियां मध्यम आकार की, फल 6-8 से.मी. लम्बे, पतले, हरे रंग के तथा चरपरे होते हैं। पौध रोपण के 50-55 दिनों बाद प्रथम तुड़ाई प्राप्त हो जाती है। इसकी औसत उपज हरी मिर्च 350-380 क्विंटल प्रति हेक्टेयर या सूखी मिर्च 50-55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। हरे फल उत्पादन के लिए एक उत्तम किस्म है। यह पाउडरी मिल्ड्यू और विषाणुओं के प्रति सहनशील है। यह संकर कर्नाटक, तमिलनाडु,केरल के लिए अनुशंसित है।

अर्का ख्याति

यह सीएमएस आधारित उच्च उपज वाला और ताजा बेचने के लिए विकसित एफ1 संकर है। फल 12&1 से.मी. आकार के, हल्के हरे और परिपक्व होने पर गहरा लाल, मध्यम तीखा, चिकना और सुखाने पर झुर्रीदार होते हैं। सीएमवी के प्रति सहनशील है। इसकी औसत उपज हरी मिर्च 400-450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर या सूखी मिर्च 50-55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

अर्का गगन (एच 30)

इस संकर के पौधे लम्बे और फैलने वाले, फल ऊपर की और खड़े हुए, 7.5-8.5 & 1-1.1 सेमी आकार के दृढ़, अत्यधिक तीखा (1-1.2 लाख SHU), रंग हरा, मध्यम झुर्रीदार होता है। यह संकर जड़ ग्रंथी नेमाटोड और उकटा रोग के लिए सहनशील एवं मिर्च लीफ कर्ल विषाणु के लिए प्रतिरोधी है। इस संकर की औसत उपज क्षमता 250 क्विंटल हरी मिर्च प्रति हेक्टेयर है।

अर्का तन्वी (एच 45)

इस संकर के पौधे लम्बे और फैलने वाले, फल लटके हुए, 9-10&1-1.1 सेमी आकार के, मध्यम तीखे (60000-65,000 SHU), हरे और परिपक्व होने पर गहरे लाल (90-100 ASTA), सूखने पर झुर्रीदार होते हैं। यह संकर जड़ ग्रंथी नेमाटोड और भभूतिया रोग के लिए सहनशील एवं मिर्च लीफ कर्ल विषाणु के लिए प्रतिरोधी है। इस संकर की औसत उपज क्षमता 250 क्विंटल हरी मिर्च प्रति हेक्टेयर है।

अर्का सानवी (एच 19)

यह संकर हरे एवं लाल फल दोनों के खेती के लिए उपयुक्त है। इस संकर का पौधा मध्यम लम्बा और फैला हुआ, फल लटकता हुआ,7-8&1-1.2 सेमी आकार के, मध्यम तीखा (50000-60,000 SHU), हरा और पकने पर लाल हो जाता है (80-90 ASTA) परिपक्वता पर, मध्यम झुर्रीदार होता है। यह मिर्च लीफ कर्ल विषाणु के लिए प्रतिरोधी है। इस संकर की औसत उपज क्षमता 250 क्विंटल हरी मिर्च प्रति हेक्टेयर है।

अर्का यशस्वी (एच 8)

यह संकर लाल सूखी मिर्च की खेती के लिए उपयुक्तहै। इस संकर के पौधे लम्बे और फैलने वाले, फल लटके हुए, 9-10 & 1.2-1.4 सेमी आकार के, मध्यम तीखे (40000-50000 SHU), हरे और परिपक्वता पर गहरे लाल (90-100 ASTA), मध्यम झुर्रीदार होते हैं। यह संकर जड़ ग्रंथि नेमाटोड और भभूतिया रोग के लिए सहनशील एवं मिर्च लीफ कर्ल विषाणु के लिए प्रतिरोधी है। इस संकर की औसत उपज क्षमता 75-85 क्विंटल लाल सूखी मिर्च प्रति हेक्टेयर है।

अर्का तेजस्वी (एच 41)

यह संकर छोटी लाल सूखी मिर्च (तेजा) की खेती के लिए उपयुक्त है। इस संकर के पौधे मध्यम लम्बे और फैले हुए होते हैं, फल लटकते हैं, 7-8&1-1.1 सेमी आकार के, अत्यधिक तीखे (90000-95000 SH), हरे और पकने पर गहरे लाल हो जाते हैं (90-100 ASTA) परिपक्वता पर फल मध्यम झुर्रीदार होते हैं। यह संकर भभूतिया रोग के लिए सहनशील एवं मिर्च लीफ कर्ल विषाणु के लिए प्रतिरोधी है। इस संकर की औसत उपज क्षमता 75-85 क्विंटल लाल सूखी मिर्च प्रति हेक्टेयर है।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।