afeem ki fasal आज की पोस्ट में बात करेंगे मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र की मालवा क्षेत्र में अफीम की पैदावार होती है और इसको लेकर किसान बड़ी ही मेहनत करता है तब जाकर अफीम की खेती की जाती है क्योंकि सबसे महत्वपूर्ण फसल में से एक है अफीम जिसका कार्य सरकार की देखरेख में होता है और अफीम महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि इसका उपयोग दवा बनाने एवं अन्य महत्वपूर्ण प्रयोग के लिए भी किया जाता है आइए जानते अफीम की खेती के बारे में।
नीमच मंदसौर एवं राजस्थान के क्षेत्र में
नीमच मंदसौर और राजस्थान के कुछ क्षेत्र में अफीम की फसल की पैदावार होती है साथ ही अफीम किसान समय-समय पर इसकी सुरक्षा को लेकर भी चिंतित रहते हैं क्योंकि अफीम की फसल को बचाने के लिए किसानों को कई प्रकार के हथकंडे भी अपनाने पड़ते हैं ताकि फसल को सुरक्षित रखा जा सके और इसका उत्पादन मुख्य तथा मध्यप्रदेश के मंदसौर नीमच एवं राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के क्षेत्रों में होता है।
मालवा क्षेत्र में लुआई चिराई का कार्य हुआ शुरू
अफीम किसान लगातार अफीम के उत्पादन पर ध्यान दे रहे हैं एवं लुगाई की राय का कार्य क्षेत्र में शुरू हो गया है लुगाई चिराई से पहले किसान अफीम प्लांट पर जाते हैं जहां पर अफीम हो ही गई है वहां पर पूजा अर्चना की जाती है उसके बाद किसान भगवान से अच्छी पैदावार के लिए प्रार्थना करता है।
अफीम का दो शिफ्ट में होता है काम
अफीम की खेती के लिए किसान दो शिफ्ट में काम करता है दिन में 3:00 से 5:00 के बीच में किसान चिराई का काम करते हैं और उसके ठीक अगले दिन लुहई का काम किया जाता है जिसका समय सुबह 7:00 से 11:00 के बीच होता है।
नीमच मंदसौर में अफीम की लुहाई चिराई शुरू अफीम किसानों में उत्साह खेत पर जाने से पहले करते हैं यह काम किसान अफीम कि जब फसल बोलता है तो तब से उस पर बड़ी ही मेहनत करता है साथ ही जब लुगाई चिरई का काम आता है तो किसान खेतों पर ही टेंट लगाकर रहता है क्योंकि उसको उसकी सुरक्षा की चिंता हमेशा बनी रहती है क्योंकि फसल की चोरी होने की एवं आवारा पशुओं से उसकी रक्षा कर सकें साथ ही किसानों को मौसम की भी चिंता हमेशा बनी रहती है क्योंकि जब भी मौसम खराब होता है तो इसका असर सीधा अफीम की खेती पर पड़ता है ।
Source By- rajisthanbreakingnews