समर्थन मूल्य पर यहां भी चना और सरसों की खरीदी 1 अप्रैल से शुरू, 25 तारीख से होंगे पंजीयन

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प्रदेश के किसानों को रबी सीजन में उगाए गए चने और सरसों के ऊपर के न्यूनतम समर्थन मूल्य के बराबर भी दाम मंडी में नहीं मिल रहा है। इस बार दोनों के दाम मांग कम होने के चलते एमएसपी से कम है। जिसके चलते किसानों को खासा मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है।

सरकार ने भले ही चने के एमएसपी में 105 और सरसों में 400 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। इसके बाद भी उन्हें पिछले साल से भी कम दाम मिल रहा है। राजफैड की प्रबंध निदेशक उर्मिला राजोरिया ने बताया कि राजस्थान में 1 अप्रैल से खरीद शुरू करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। इसके लिए 25 मार्च से रजिस्ट्रेशन शुरू हो जाएगा। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से जारी आदेश के मुताबिक एमएसपी खरीद शुरू होने से अगले 90 दिन तक जारी रहेगी।

22 लाख मीट्रिक टन खरीद का लक्ष्य

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सरसों और चने के गिरते हुए दाम को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को मंगलवार को अपने कक्ष में बुलाकर चर्चा की थी। जिसके बाद केंद्र सरकार ने राजस्थान के किसानों की सरसों और चने पर एमएसपी की खरीद शुरू करवाने के लिए आदेश राज्य सरकार को भेजा है। इसके तहत 2,18,4,346 मीट्रिक टन खरीद का लक्ष्य रखा गया है। इसमें चने की खरीद 6,65,028 मीट्रिक टन होगी, जबकि सरसों की खरीद 15,19,318 मीट्रिक टन होगी। स्पीकर बिरला ने कहा कि एमएसपी खरीद शुरू होने पर किसानों को चने पर 700 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल के और सरसों पर 400 से 700 रुपए प्रति क्विंटल के ज्यादा भाव मिलेंगे।

रोजाना 10 करोड़ का नुकसान

साल 2022 में चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,230 था, जिसमें 105 रुपए की बढ़ोतरी करते हुए इसे 5,335 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। साथ ही सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,050 रुपए प्रति क्विंटल था, जिसमें 400 रुपए की बढ़ोतरी करते हुए 5,450 रुपए कर दिया गया है। वर्तमान में कोटा की भामाशाह कृषि उपज मंडी में 28 हजार मीट्रिक टन सरसों और 2000 मीट्रिक टन चने की रोजाना आवक हो रही है।

एमएसपी से भी कम दाम

मंडी में चने का औसत भाव 4400 और सरसों का 4700 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास है। यह बीते साल के एमएसपी के दाम से भी कम है। जबकि इस साल एमएसपी से तुलना की जाए तो किसानों को कोटा मंडी में करीब तीन करोड़ रुपए का रोजाना नुकसान हो रहा है। पूरे हाड़ौती की मंडियों की बात की जाए तो, यह दाम 10 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान किसानों को अपनी उपज बेचने पर हो रहा है।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।