बारिश से किसानों की फसलों को पहुंचा है नुकसान, किसान संघ ने सर्वे की मांग की, देखिए खबर

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Kisan News: किसान संघ ने सर्वे और मुआवजे की मांग की। गेहूं का रंग खराब होगा। इससे किसानों को उपज का मूल्य कम मिलेगा।प्रदेश के मध्य और पश्चिमी क्षेत्र में मौसम के बदले रूख से किसानों की चिंता बढ़ गई है और नुकसान की आशंका जताई जा रही है।बीते दिनों में तेज हवाओं के साथ ओला वृष्टि और बारिश ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है।मौसम विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार मप्र और महाराष्ट्र में 24 घंटे और तेज हवाओं का असर दिखेगा।अगले दो दिनों अधिकतम तापमान में 2 से 4 डिग्री की गिरावट दिखेगी इसके बाद 10 मार्च के बाद तापमान में इतनी की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।

गेहूं की गुणवत्ता खराब होने का खतरा

तीन दिनों से बदले मौसम के मिजाज से प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में खड़ी और तैयार फसलों को खासा नुकसान होने की आशंका है।इस वर्ष बुवाई के रकबे के हिसाब से गेहूं का उत्पादन रिकार्ड आंका जा रहा है। मौसम इस उम्मीद पर अब सवाल खड़े कर रहा है। पहले अचानक शुरू हुई गर्मी और तेजी से तापमान बढ़ने के कारण गेहूं के दानों का आकार छोटा रहने की आशंका जताई जा रही थी।इसके बाद तैयार फसल पर बारिश और ओलो की मार से भी नुकसान होता दिख रहा है।

उपज का मूल्य कम मिलेगा

भारतीय किसान संघ के दिलीप मुकाती के अनुसार इंदौर के आसपास बुधवार को व प्रदेश के अन्य हिस्सों में एक दिन पहले बारिश व कई स्थानों पर ओलावृष्टि हुई है।इससे गेहूं को नुकसान हुआ है। ओलावृष्टि वाले जिलों में नुकसान ज्यादा है। जहां बारिश हुई है।वहां भी अब फसल काटने में कुछ समय और लगेगा। साथ ही गेहूं का रंग खराब होगा। इससे किसानों को उपज का मूल्य कम मिलेगा।

नुकसान का मुआवजा दिया जाए

दरअसल मालवा क्षेत्र में ज्यादातर जगहों पर किसान होली के बाद ही फसल काटते हैं।अगले 8-10 दिनों में मंदसौर, राजगढ़, नीमच और इंदौर-उज्जैन क्षेत्र में फसल काटी जाना थी। अब इसमें देरी हो सकती है।हम सरकार से मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द ओला और बारिश प्रभावित क्षेत्रों में फसलों का सर्वे हो और किसानों के नुकसान का मुआवजा दिया जाए।इधर बाजार में भी मौसम के कारण अब आवक में देरी होती दिख रही है।गुजरात में भी बारिश से जीरा व धनिया की फसल को नुकसान की खबरें हैं।इससे इन उत्पादों में अच्छी गुणवत्ता की आवक कम होगी और दाम तेज होंगे।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।