सरसों के भाव के आधार तेल की नई कीमतें हुई जारी, प्रति टीन, सरसों तेल कच्ची घानी – पक्की घानी का भाव देखें

4 Min Read
खबर शेयर करें

दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शुक्रवार को सोयाबीन डीगम तेल तथा कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट रही। सरसों, मूंगफली तेल तिलहन, सोयाबीन तिलहन, सोयाबीन दिल्ली एवं इंदौर तेल और बिनौला तेल के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में 1.75 प्रतिशत की गिरावट है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में 1.7 प्रतिशत की गिरावट रही। उन्होंने कहा कि विदेशों में एक बार फिर से दाम टूटे हैं और इससे खुश होने के बजाय सभी को चिंता करने की जरुरत है क्योंकि यह देश के तेल तिलहन कारोबार की कमर तोड़ रहा है।

देशी तेल हो जाएगा स्टॉक जमा

समय रहते अगर सरकार ने विशेषकर हल्के तेलों पर आयात शुल्क नहीं बढ़ाया तो देशी तिलहन (आगामी सरसों एवं पहले के सोयाबीन तिलहन) बाजार में खपेंगे नहीं और इसका बड़ा स्टॉक जमा हो जायेगा। सूत्रों ने कहा कि यह हमारे आत्मनिर्भर होने के सपने को ध्वस्त कर देगा। इस मामले में समय रहते कदम उठाने की जरूरत है। अगर स्टॉक बाजार में खपा नहीं तो किसान आगे कैसे तिलहन खेती कर पायेंगे? उन्होंने कहा कि देश के कम आय वर्ग के लोगों में पामोलीन की खपत है जो उन्हें सस्ता मिलना जारी रहने की उम्मीद है पर थोड़ा समृद्ध परिवार हल्के तेलों में सोयाबीन, सरसों, मूंगफली, सूरजमुखी और बिनौला जैसे तेल खाते हैं।

MRP बन रहा Pivot Point

इसलिए केवल हल्के तेलों के अंधाधुंध सस्ते आयात को नियंत्रित करना जरूरी है ताकि देश के किसान हितों को नुकसान न पहुंचे। संभव हो तो विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की शुल्क लगाने की जो अधिकतम सीमा है, वहां तक हल्के तेलों पर आयात शुल्क लगाने के बारे में सोचना चाहिये। सूत्रों ने कहा कि देशी तेल तिलहनों की तेजी को अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की मुस्तैद निगरानी और इसे दुरुस्त करते हुए ठीक किया जा सकता है।

देशी तेल होगा और सस्ता

इसके अलावा शुल्क लगाने से तेलों के दाम सस्ते भी होंगे क्योंकि देशी तिलहन से हमें खल और डीआयल्ड केक (डीओसी) सस्ता मिलेगा जिससे दूध, अंडे, चिकेन, मक्खन के दाम कम हो सकते हैं। सबसे बड़ी बात देशी पेराई मिलें पूरी क्षमता से काम करेंगी और लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही साथ महत्वपूर्ण विदेशीमुद्रा का खर्च कम होगा। सस्ते आयात का दवाब होने के बावजूद हल्की फुल्की मांग के बीच सरसों, मूंगफली तेल तिलहन, सोयाबीन दिल्ली एवं इंदौर तेल, बिनौला तेल और सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्ववत रहे। दूसरी ओर विदेशी बाजारों में गिरावट का रुख रहने से सीपीओ, पामोलीन और सोयाबीन डीगम तेल में गिरावट आई।

प्रति क्विंटल इस प्रकार रहा तेल का भाव

• सरसों तिलहन – 6,695-6,745 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
• मूंगफली – 6,675-6,735 रुपये प्रति क्विंटल।
• मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,780 रुपये प्रति क्विंटल।
• मूंगफली रिफाइंड तेल 2,490-2,755 रुपये प्रति टिन।
• सरसों तेल दादरी- 13,400 रुपये प्रति क्विंटल।
• सरसों पक्की घानी- 2,040-2,170 रुपये प्रति टिन।
• सरसों कच्ची घानी- 2,100-2,225 रुपये प्रति टिन।
• तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
• सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,250 रुपये प्रति क्विंटल।
• सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।
• सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,600 रुपये प्रति क्विंटल।
• सीपीओ एक्स-कांडला- 8,400 रुपये प्रति क्विंटल।
• बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,800 रुपये प्रति क्विंटल।
• पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,050 रुपये प्रति क्विंटल।
• पामोलिन एक्स- कांडला- 9,050 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
• सोयाबीन दाना – 5,575-5,675 रुपये प्रति क्विंटल।
• सोयाबीन लूज- 5,320-5,340 रुपये प्रति क्विंटल।
• मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।


खबर शेयर करें
Share This Article
By Harry
Follow:
नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।